Move to Jagran APP

पटना में खाइए बनारस का जगन्नाथी पान और 30 अंडों वाला बाहुबली पिज्जा आमलेट

पटना में तीन दिवसीय स्ट्रीट फूड फेस्टिवल की शुरुआत हो चुकी है। यहां दिल्ली से लेकर बनारस और राजस्थान के लजीज व्यंजन उपलब्ध हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 01:14 PM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 01:14 PM (IST)
पटना में खाइए बनारस का जगन्नाथी पान और 30 अंडों वाला बाहुबली पिज्जा आमलेट
पटना में खाइए बनारस का जगन्नाथी पान और 30 अंडों वाला बाहुबली पिज्जा आमलेट

अक्षय पांडेय, पटना। चटपटा, तीखा, मीठा हो या नमकीन, सिन्हा लाइब्रेरी के स्ट्रीट फूड फेस्टिवल में सब कुछ है। 42 स्टॉलों पर सजे इस शहरी समृद्धि उत्सव में कलछी से टनटनाते तवे देश के कई राज्यों की महक बिखेर रहे हैं। यहां बनारस का मशहूर जगन्नाथी पान है तो राजस्थान के जयपुर की स्वादिष्ट कचौड़ी। दिल्ली का बाहुबली आमलेट पिज्जा है तो अपने कंकड़बाग का चिल्ला भी। नगर विकास एवं आवास विभाग और 'नासवी' के सहयोग से आयोजित स्ट्रीट फूड फेस्टिवल का उद्घाटन शुक्रवार को नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा ने किया। तीन दिवसीय आयोजन के दौरान खुले मंच पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी होंगी।

loksabha election banner

कभी खत्म नहीं होने वाला है ये व्यापार

उद्घाटन के बाद मंत्री सुरेश कुमार शर्मा ने स्टॉलों का मुआयना किया। बाद में अपनी पसंद के कुछ व्यंजन भी चखे। मंत्री ने कहा कि दूसरों को स्वादिष्ट खाना खिलाने का जिन भी लोगों ने बीड़ा उठाया है, उनका व्यापार कभी बंद नहीं होगा। बस ख्याल इतना रखना है कि स्वच्छता बनी रहे। एक उदाहरण देते हुए सुरेश कुमार खन्ना ने कहा, बड़े-बड़े अधिकारी भी सड़कों के किनारे सजे स्टॉलों पर नाश्ता करना चाहते हैं, मगर गंदगी देखकर वे अपने आप को रोक लेते हैं। मंत्री ने कहा कि हम स्ट्रीट वेंडरों के लिए अलग से स्थान मुहैया कराएंगे। ताकि वे भी अपने द्वारा बनाया गया स्पेशल खाद्य पदार्थ लोगों तक पहुंचा सकें। इस दौरान उन्होंने परिसर में बाल मजदूरी का दंश दिखाती एक नुक्कड़ नाटक मंडली को 11 हजार रुपये का नगद ईनाम भी दिया। मेयर सीता साहू ने कहा, देश की आधी आबादी के पेट भरने में स्ट्रीट वेंडरों का योगदान है। इस लिए ऐसे आयोजन होने जरूरी हैं।

खर्च करें बीस रुपये, खाएं बनारस का जगन्नाथी पान

अब पटना में बनारस का पान खाने को मिले तो कौन पीछे हटेगा? खर्च भी मात्र बीस ही रुपये तो करने हैं। फेस्टिवल में लगे चार-पांच स्टॉलों से आगे बढऩे पर एक कोने में शशि दिख जाएंगे। इनके स्टॉल पर सबकी नजरें एक बार जरूर टिक रही हैं। आखिर शशि के पास बनारसी पान जो है। शशि कल ही दिल्ली वालों को पान का स्वाद चखा कर पटना लौटे हैं। कहते हैं, मगही पान तो हर जगह मिल जाएगा पर जगन्नाथी के लिए क्या करेंगे? अब शशि के इस सवाल पर कुछ लोगों ने पान खा भी लिए। फिर, लाजवाब-लाजबाव कहते आगे बढ़ गए।

आम की लकड़ी से बनी डुमराव का सिंदूरदानी

इस आयोजन में जीविका की महिलाओं का भी एक अहम योगदान है। इनके द्वारा मेले में साज-सज्जा के सामान लाए गए हैं। इसी में एक है ओम अजीविका एवं शक्ति अजीविका। इस स्टॉल पर स्वयं सहायता समूह की महिलाएं हैं। यहां सौ रुपये से लेकर चार सौ रुपये तक की सिंदूर दानी है। सौ रुपये वाली की खासियत आम की लकड़ी से बने होना है। जबकि चार सौ रुपये वाली सिंदूर दानी दूल्हे के सेहरे जैसी आकृति में है। इसी तरह एक स्टॉल पर सितारा, रजनी और कविता हैं। इनके पास 60 रुपये से लेकर 200 रुपये तक की चूडिय़ों का भंडार है।

दिल्ली का 'बाहुबली आमलेट'

फेस्टिवल में एक स्टॉल पिज्जा-आमलेट का भी है। यहां दिल्ली से आए संजीव गुप्ता हैं। उनके पास 100 रुपये से लेकर 1200 रुपये तक के आमलेट हैं। किसी भी जायके को बनाने से पहले वे मक्खन से कढ़ाई को साफ करते हैं। चर्चा में इनका 'बाहुबली आमलेट' है। ये 30 अंडों से बनाया जाता है। इसे चखने के लिए जेब थोड़ी ढीली करनी पड़ेगी। मतलब 750 रुपये खर्च करने होंगे। संजीव के मुताबिक उनके यू-ट्यूब और फेसबुक पर मिलियन्स फॉलोवर हैं। वे दिल्ली से पटना केवल अपने लजीज पिज्जा आमलेट का स्वाद लोगों को चखाने यहां आए हैं। कहते हैं वो सैकड़ों तरह के पिज्जा बना सकते हैं।

राजधानी में इटली वाला बॉन फायर पिज्जा

पिज्जा के शौकीनों की कहां कमी है। ये शहर में अलग-अलग वैरायटी ही तलाशते रहते हैं। फूड फेस्टिवल में एक चलंत ऑटो भी है। यहां बॉन फायर (लकड़ी की आग से बना) पिज्जा उपलब्ध है। कंकड़बाग में अपनी शॉप लगाने वाले शेफ निखिल बताते हैं, हमारे पास 60 रुपये से लेकर 300 रुपये तक का पिज्जा है। वैसे हम लोग 10 तरह के पिज्जा बनाते हैं पर मांग होने पर इसकी संख्या दोगुनी से भी ज्यादा हो सकती है।

भागलपुर के घेवर के साथ झालमुड़ी और पकौड़ी

खाद्य पदार्थों के इस उत्सव में बिहार के कई जिलों से लोग आए हुए हैं। फेस्टिवल में पहला स्टॉल दही-चूड़ा और घेवर का है। यहां तेल से छनता भागलपुर का लजीज घेवर उपलब्ध है। गर्म-गर्म खाने में इसका स्वाद ही लेते बनता है। इसी बगल में एक स्टॉल झालमुड़ी और कचरी और पकौड़ी का है। यहां रंजीत और मनोज शाह मौजूद शाह हैं। ये सात आइटम से को मिलाकर झालमुड़ी बना रहे हैं।

स्ट्रीट फूड को बढ़ावा देना है मकसद

नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ इंडिया (नासवी) के राज्य समन्वयक राकेश त्रिपाठी बताते हैं कि इस आयोजन का मकसद देशभर में सड़क किनारे बिकने वाले लाजवाब व्यंजनों का स्वाद हर किसी तक पहुंचाना है। वे कहते हैं कि हम स्ट्रीट फूड वेंडरों को पहचान दिलाने के लिए काफी समय से पहल कर रहे हैं। पटना में लगे इस उत्सव में बिहार के साथ उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और झारखंड से आए लोगों के 42 स्टॉल सजे हैं।

इनमें 15 पटना के हैं तो 15 राजधानी के बाहर के। जबकि सात अन्य राज्यों के हैं। आयोजन में वेंडरों को पूरा सहयोग सरकार की ओर से दिया गया है। बस उन्हें अपनी खाद्य सामग्र्री का ही इस्तेमाल करना है। सिन्हा लाइब्रेरी परिसर में एक चलंत खाद्य प्रयोग शाला भी है। यहां मौजूद एनालास्टिक विनय कुमार सिंह कहते हैं, स्ट्रीड फूड फेस्टिवल में लगे विभिन्न स्टॉलों की हमारे द्वारा जांच की जा रही है। लोगों को स्वच्छ खाद्य पदार्थ मिले यही हमारी प्राथमिकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.