भिखारी ठाकुर के गीतों को सुन कर लोग हुए भाव-विभोर
्रभोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले महान लोक कलाकार 'भिखारी ठाकुर' की जयंती मनी।
खगौल। भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले महान लोक कलाकार 'भिखारी ठाकुर' की जयंती नाट्य संस्था 'सूत्रधार' ने खगौल स्थित आर्यभट्ट निकेतन स्कूल के प्रेक्षागृह में मनाई। कार्यक्रम दो चरणों में विभक्त था। पहले चरण में विचार गोष्ठी एवं दूसरे चरण में भिखारी ठाकुर के गीतों की प्रस्तुति की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता सूत्रधार के महासचिव नवा आलम ने की। इस अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी में वरिष्ठ रंगकर्मी उदय कुमार ने भिखारी ठाकुर की रंग चेतना एवं समकालीन रंग परिदृश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भिखारी ने अपने नाटकों को सामाजिक बदलाव का माध्यम बनाया। पलायन का दर्द, महिलाओं की त्रासदी, उंच-नींच, जात-पात में बंटा समाज, सामंतवादी मानसिकता, स्वार्थ में बिखरते घर-परिवार, रिश्ते-नाते, बाल विवाह, नशा आदि सामाजिक बुराइयों के प्रति नाटक के माध्यम से लोक जागरण का कार्य किया। भिखारी ठाकुर लोक जागरण के सूत्रधार थे। सूत्रधार के महासचिव नवाब आलम ने कहा कि भिखारी ठाकुर के उठाए मुद्दे एवं सवाल आज भी प्रासंगिक है। नवाब आलम ने भिखारी ठाकुर को विलक्षण प्रतिभा का धनी व्यक्ति बताया। अन्य वक्ताओं में विनोद शकर मिश्रा, समाजसेवी रंगकर्मी बिमलेश कुमार, रामनारायण पाठक, कुणाल, सुधीर मधुकर, प्रसिद्ध समाजसेवी एसएन यादव, रंगकर्मी दिलीप देशवासी ने भिखारी ठाकुर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए संदेशों को व्यवहार में उतारने की बात कही। जयंती समारोह के दूसरे सत्र में छपरा (सारण) से आई लोक गायिका बिन्दू भारती ने भिखारी ठाकुर के गीतों की प्रस्तुति से सब का मन मोह लिया। इस अवसर पर रंजीत प्रसाद सिन्हा, अस्तानंद सिंह, अनिल कुमार, मनोज सिन्हा, कमलेश सिंह,राकेश कुमार, रोहित कुमार, आदि लोग मौजूद थे।