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नीतीश-सुशील मोदी के समाने 'मत चूको चौहान' जैसे हालात, जानिए

बिहार में लंबे समय बाद ऐसी सरकार बनी है, जिसके केंद्र से बेहतर संबंध हैं। परिस्थितियां इसके अनुकूल हैं। ऐसे में राज्‍य के विकास की उम्‍मीद है।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 27 Jul 2017 08:45 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jul 2017 12:20 PM (IST)
नीतीश-सुशील मोदी के समाने 'मत चूको चौहान' जैसे हालात, जानिए
नीतीश-सुशील मोदी के समाने 'मत चूको चौहान' जैसे हालात, जानिए

पटना [सुभाष पांडेय]। लम्बे अरसे बाद बिहार को एक सुनहरा मौका मिला है। ठीक उसी तरह जैसा प्रताप सिंह कैरो के शासन काल में कभी पंजाब, देवराज अर्स के समय कर्नाटक और चंद्र बाबू नायडू के नेतृत्व में आंध्र प्रदेश को मिला था। बारह साल पहले  नीतीश और मोदी की इस जोड़ी ने बिहार को जंगलराज से मुक्ति दिलाकर राज्य को विकास की पटरी पर लाने का जो प्रयास शुरू किया था उसे एक बार फिर मुकाम तक पहुंचाने का मौका है।
सबसे बड़ी चीज है कि इस बार परिस्थितियां पूरी तरह से इस युगल जोड़ी के अनुकूल है। मसलन केंद्र सरकार में वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली जैसा एक ऐसा व्यक्ति बैठा है, जिसके नीतीश कुमार से भी उतने ही अच्छे रिश्ते हैं जितने सुशील कुमार मोदी से।

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24 नवंबर 2005 को इस जोड़ी ने बिहार के पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी संभाली थी। इससे एक दिन पहले भाजपा ने जब सुशील मोदी को विधायक दल का नेता चुना और अरुण जेटली उन्हें साथ लेकर विधान परिषद सभागार में नीतीश कुमार को लेकर पहुंचे और दोनों का आमना सामना हुआ तब जेटली ने नीतीश से कहा था- नया बिहार बनाने के लिए सुशील मोदी को आपके हवाले करने आया हूं।

तब से लेकर 16 जून 2013 को एनडीए से नीतीश कुमार के अलग होने तक दोनों की यह जोड़ी इस बेहतर तालमेल से काम किया कि बीमारू राज्य से बिहार की गिनती सर्वाधिक तेज गति से दौड़ लगाने वाले राज्यों में होने लगी।
जंगलराज से मुक्ति के लिए कानून व्यवस्था सुधारने का काम प्राथमिकता से लिया। अभयानंद को पुलिस महानिदेशक बनाकर स्पीडी ट्रायल शुरू कराकर 35 हजार से अधिक अपराधियों को सींखचों के अंदर पहुंचाकर कानून का राज स्थापित किया। देर शाम घरों में कैद हो जाने वाले लोग देर रात तक बाहर निकलने लगे। आम बोलचाल में कहा जाने लगा- भय का रावण भागा, रात भर पटना जागा।
लालू-राबड़ी राज में बिहार की सड़कों की दयनीय स्थिति की तुलना ओम पुरी के गाल से की जाती थी। आर के सिंह और प्रत्यय अमृत सड़क और पुल पुलियों के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपकर गांव गांव तक सड़कों का जाल बिछाने का काम किया गया।
उस समय राज्य के अस्पतालों में मरीजों के बेड पर कुत्तों का आशियाना हुआ करता था। अस्पतालों में डाक्टरों की उपस्थिति को सुनिश्चित कराकर तथा आवश्यक दवाओं की व्यवस्था कराने की वजह से अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढऩे लगी थी।
शिक्षा के क्षेत्र में भी बुनियादी शुरूआत इसी जोड़ी ने शुरू करायी। स्कूली लड़कियों को साइकिल और पोशाक देने की देश में यूनिक योजना शुरू कराने का श्रेय भी इसी जोड़ी को जाता है। पंचायतों में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करने वाला बिहार पहला राज्य बना। अब एक बार फिर से इस युगल जोड़ी को बिहार में विकास की गति को तेज कराने की जिम्मेदारी मिल गई है।


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