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प्रत्येक छह माह पर नेत्र-जांच कराएं मधुमेह रोगी

पटना । मधुमेह के मरीजों को प्रत्येक छह माह पर अपनी आंखों की रोशनी की जांच अवश्य करा

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Jun 2017 03:03 AM (IST)Updated: Sun, 25 Jun 2017 03:03 AM (IST)
प्रत्येक छह माह पर नेत्र-जांच कराएं मधुमेह रोगी
प्रत्येक छह माह पर नेत्र-जांच कराएं मधुमेह रोगी

पटना । मधुमेह के मरीजों को प्रत्येक छह माह पर अपनी आंखों की रोशनी की जांच अवश्य करानी चाहिए। मधुमेह के मरीजों को छह माह पर आंखों की जांच नहीं होने पर अचानक समस्या काफी गंभीर हो जाती है। इससे आंख की बड़ी समस्या पैदा हो सकती है। ये बातें राजधानी के एक होटल में आयोजित कार्यशाला में वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. राजव‌र्द्धन आजाद ने कहीं। कार्यशाला का आयोजन आइएमए, एआइओएस, एक्वायन बिहार, वीआरएस के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था।

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बचपन से करें आंखों की देखभाल :

डॉ. आजाद ने कहा कि आंखों की देखभाल बचपन से होनी चाहिए। सबसे पहले पांच साल से पहले बच्चों के आंखों की जांच जरूर हो जानी चाहिए। बचपन में बीमारी पकड़ में आने पर बहुत हद तक ठीक की जा सकती है। कई बीमारियों के देर से पकड़ में आने के कारण पूरी तरह ठीक करने में परेशानी होती है।

विश्वास कायम रखना डॉक्टरों की जिम्मेदारी :

कार्यशाला का उद्घाटन भूमि एवं राजस्व मंत्री मदन मोहन झा ने किया। उन्होंने कहा कि लोग डॉक्टर को धरती का भगवान मानते हैं। उनका विश्वास कायम रखना डॉक्टरों की जिम्मेदारी है। प्रत्येक डॉक्टर को बीमारी मुक्त समाज बनाने की पहल करनी चाहिए। मंत्री ने कहा कि आंख के डॉक्टरों पर विशेष जिम्मेदारी है। आखें नहीं होने पर सारी दुनिया बेमानी लगने लगती है।

कार्यशाला में आए अतिथियों का स्वागत डॉ. सुनील कुमार सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि मधुमेह आंखों के पर्दे को प्रभावित करता है, इससे आंखों की रोशनी कम होने लगती है।

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डायबेटिक रेटिनोपैथी घातक बीमारी :

केरल से आए डॉक्टर एनएसडी राजू ने कहा कि डायबेटिक रेटिनोपैथी एक घातक बीमारी है। यह तेजी से बढ़ रही है। यह बीमारी काफी देर से पता चलती है, तब तक आंखों को बचना काफी मुश्किल है। अगर शुरू में बीमारी पता चल जाए तो उसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।

बच्चों में बढ़ रही आंखों की बीमारी :

कोलकाता से आए डॉ. स्वप्न सामंत ने कहा कि देशभर में बच्चों में आंख संबंधी समस्या बढ़ रही है। इसके प्रति अभिभावकों को जागरूक करना बहुत जरूरी है। बच्चों की एक बार आंख चली गई तो पूरा जीवन ही बोझ बन जाता है। बच्चों को आंखों की बीमारियों से बचाने के लिए प्रिवेंट चाइल्डहुड ब्लाइंडनेस प्रोग्राम चलाया जा रहा है।

मौके पर डॉ. नागेंद्र प्रसाद ने कहा कि रेटिना संबंधी समस्या तेजी से बढ़ रही है। इसका मुख्य कारण मधुमेह की समस्या में इजाफा होना है। रेटिना में खून के धब्बे आना एवं रोशनी में कमी इस बीमारी का मुख्य लक्षण है। इस अवसर पर डॉ. सुधीर कुमार, डॉ. बीएनआर सुबुद्ध, डॉ. सत्यजीत सिन्हा, डॉ. वर्षा सिंह, डॉ. पूजा सिन्हा, डॉ. हरिहर दीक्षित एवं डॉ. जीजे पाण्डेय सहित कई लोगों ने भाग लिया।


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