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अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिनों ने रखा वट-सावित्री का व्रत

आज सुहागन महिलाओं ने अपने अखंड सौभाग्य के लिए वट सावित्री का व्रत रखा है। आज सुबह से ही वट वृक्ष की पूजा करने के लिए महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 25 May 2017 02:24 PM (IST)Updated: Thu, 25 May 2017 11:04 PM (IST)
अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिनों ने रखा वट-सावित्री का व्रत
अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिनों ने रखा वट-सावित्री का व्रत

पटना [जेएनएन]। अपने अखंड सुहाग के लिए सुहागिन महिलाओं ने गुरुवार को वट सावित्री का व्रत रखा है। आज सुबह से ही पूरी श्रद्धा के साथ महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा अर्चना की।

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सुबह में ही व्रती महिलाएं नहा-धोकर पूरी तरह से सज संवर कर पूजन की सामग्री लेकर वट वृक्ष की पूजा करने पहुंचीं। महिलाओं ने वट वृक्ष के फेरे लगाकर पति की दीर्घायु होने की कामना की। फिर गरीबों व असहाय लोगों को दान दिया।

मंदिरों में लगी भीड़

वट सावित्री व्रत के मौके पर शहर के मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए महिलाओं की भीड़ लगी रही। नाथ बाबा मंदिर,श्री रामेश्वर नाथ मंदिर,सिद्धनाथ मंदिर,सोमेश्वर नाथ मंदिर, गौरी-शंकर मंदिर समेत अन्य मंदिरों में व्रती महिलाओं की भीड़ देखी गई।

प्यार,श्रद्धा व समर्पण का पर्व

प्यार,श्रद्धा व समर्पण के इस पर्व पर महिलाओं ने अपने अमर सुहाग के साथ ही परिवार और समाज के लिए  भी शांति और सुख की कामना की। आज महिलाएं पूरे दिन उपवास रखेंगी। बता दें कि ऐसी मान्यता है कि इसी दिन मां सावित्री ने यमराज के फंदे से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी।

भारतीय धर्म में वट सावित्री पूजा स्त्रियों का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे करने से हमेशा अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीष प्राप्त होता है।

क्यों करते हैं वट-सावित्री पूजा

कथाओं में उल्लेख है कि जब यमराज सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगे तब सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे चलने लगी। यमराज ने सावित्री को ऐसा करने से रोकने के लिए तीन वरदान दिये। एक वरदान में सावित्री ने मांगा कि वह सौ पुत्रों की माता बने। यमराज ने ऐसा ही होगा कह दिया।

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इसके बाद सावित्री ने यमराज से कहा कि मैं पतिव्रता स्त्री हूं और बिना पति के संतान कैसे संभव है। फिर यमराज को सत्यवान को जिंदा करना पड़ा। वृक्ष की परिक्रमा का महत्व- जब सावित्री पति के प्राण को यमराज के फंदे से छुड़ाने के लिए यमराज के पीछे जा रही थी उस समय वट वृक्ष ने सत्यवान के शव की देख-रेख की थी। पति के प्राण लेकर वापस लौटने पर सावित्री ने वट वृक्ष का आभार व्यक्त करने के लिए उसकी परिक्रमा की।

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