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युवाओं ने कहा, विवाह को न बनाएं व्यापार

शादी को लेकर युवाओं ने रखे अपने विचार।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 May 2017 01:39 AM (IST)Updated: Wed, 24 May 2017 01:39 AM (IST)
युवाओं ने कहा, विवाह को न बनाएं व्यापार
युवाओं ने कहा, विवाह को न बनाएं व्यापार

मैं तो अपनी बेटी की शादी में 20 लाख दहेज के रूप में दे रहीं हूं, ये बात पड़ोस में रहने वाली चाची कह रहीं थीं। दहेज समाज का अभिन्न अंग बन गया है और हम इसके बारे में बात करते समय तनिक भी विचार नहीं करते कि दहेज कुप्रथाओं में शुमार है। जहां कुछ वगरें के लिए यह उनकी आर्थिक स्थिति में उत्थान का प्रमाण होता है वहीं कुछ के लिए दहेज देना सामाजिक स्वीकृति का सवाल बन जाता है। ऐसे परिदृश्य में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता से दरख्वास्त की थी कि जिन घरों की शादी में दहेज लिया गया हो वहां भोज न खाएं, अर्थात अपनी उपस्थिति दर्ज ना कराएं। सीएम कहें या न कहें राजधानी के युवा तो दहेज लेने या देने के पक्ष में नहीं दिखते।

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मात्र अपील से ठोस बदलाव की उम्मीद नहीं

पटना वीमेन्स कॉलेज की छात्रा तनु प्रिया और नेहा कुमारी का कहना है, आजकल शादी व्यापार बन गई है। जहा लोग ज्यादा निवेश करते हैं, परिवार भी वहीं शादी करना चाहता है। यह तब तक नहीं रुक सकता जब तक लोगों की मानसिकता में बदलाव नहीं आएगा। वहीं इसी कॉलेज में विज्ञान विभाग की छात्रा मौली चैटर्जी ने भी इस मुहिम को व्यर्थ बताया है। उनका मानना है कि जब दहेज के खिलाफ इतने कानून बनने के पश्चात भी आकड़ों में कमी नहीं आई है तब ऐसी अपील से कोई लाभ होने की आशा भी नहीं है। दुर्गापुर में रह रही जागृति आनन्द ने इस कुप्रथा को दोनों पक्षों की गलती बताई है।

लड़के भी हैं इसके विरोध में

दहेज एक नैतिक अपराध है जिसने समाज में अपनी जड़ इतनी मज़बूत कर ली है कि मात्र अपील भर से इसमें बदलाव नहीं आएगा। बेटियों को सम्मान की नजर से भी देखना होगा। ऐसा संत ज़ेवियर(राची) के छात्र विवेक का कहना है। वहीं ला की पढ़ाई कर रहे शौरोजीत ने इस कुप्रथा के नकारात्मीक पहलू को देखते हुए कहा, परिवार नए जोड़े को घर बसाने में मदद करता था, मगर अब इस प्रथा को दहेज लेने के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है।

आई कुछ रोचक प्रतिक्रियाएं

बीआईटी पटना के छात्र, प्रियदर्शन ने कहा कि मुझमें इतनी काबिलियत नहीं की शादी के लिए कोई लड़की मुझे दहेज दे। यह मेरे लिए शर्म की बात होगी कि मैं शादी मात्र दहेज के लिए करूं। जहा तक बात ऐसी शादियों .0के बहिष्कार की है तो समाज यदि चाहे तो इस मुहिम को सफल बना सकता है।

लोगों की बढ़ती आय के कारण भी आज दहेज की खुलकर माग होती है। जब चार लड़किया दहेज को ना करती हैं और पाचवी राज़ी हो जाती है तब ऐसी स्थिति में दहेज पर रोक लगाना इतना आसान ना होगा।

रिन्कु कुमार केशव, उद्यमी


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