योगी आदित्यनाथ को दी थी चुनौती, जानिए फिर से चर्चा में क्यों है ये बिहारी
मनोज तिवारी एक बार फिर चर्चा में हैंं, वजह है दिल्ली एमसीडी चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत। इसके लिए उन्होेंने काफी मेहनत की। कभी उन्होंने योगी आदित्यनाथ को भी चुनौती थी।
पटना [जेएनए]। दिल्ली में एमसीडी चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत के बाद दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं। वैसे मनोज तिवारी हमेशा ही चर्चा में बने रहते हैं। मंच पर गाकर दर्शकों का मनोरंजन करना हो, चाहे भोजपुरी फिल्म हो या क्रिकेट का बल्ला थामकर रन बनाना।
साल 2009 में मनोज तिवारी समाजवादी पार्टी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से 15वीं लोकसभा का चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में वे बीजेपी के उम्मीदवार योगी आदित्यनाथ से चुनाव हार कर तीसरे नंबर पर रहे थे। उसके बाद मनोज तिवारी ने बीजेपी का दामन थाम लिया और 2014 के आम चुनावों में उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव जीत संसद तक पहुंचे।
कैमूर जिले में जन्मे मनोज ने सिंगिंग से की शुरूआत
कैमूर जिले के अतरवलिया में जन्में मनोज के पिता चंद्रदेव तिवारी क्लासिकल सिंगर थे जिससे मनोज को सिंगिंग विरासत में मिली। बता दें कि उनकी मां का नाम ललिता देवी है। उनके परिवार में कुल छह भाई-बहन हैं।
कैमूर के अतरवलिया में ही मनोज की शुरुआती पढ़ाई हुई है। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे वाराणसी आ गए। मनोज तिवारी क्रिकेट के फैन हैं। वे बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी की ओर से खेल भी चुके हैं। साल 2013 में
मनोज ने अपने गांव में सचिन तेंदुलकर का मंदिर बनवाया था। मूर्ति में सचिन के एक हाथ में वर्ल्ड कप की ट्रॉफी जबकि दूसरे हाथ में बल्ला है। भोजपुरी क्रिकेट लीग में उनकी टीम भी है।
साल 1998 में मनोज तिवारी की रानी से अरेंज मैरिज हुई थी, लेकिन व्यक्तिगत कारणों से 2012 में दोनों का तलाक हो गया। तलाक के बाद मनोज ने कहा था कि ये उनकी लाइफ का बहुत बड़ा झटका है। वे तलाक नहीं देना चाहते थे, लेकिन मजबूरन मुझे ऐसा करना पड़ा।
बचपन से ही था एक्टिंग का शौक
मनोज बचपन में स्कूल में होने वाले कल्चरल प्रोग्राम में पार्टिसिपेट करते थे। वे अपने गांव की रामलीला में भी हिस्सा लेते थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वे दुर्गा पूजा के दौरान खुद ड्रामा लिखते थे और उसमें एक्टिंग भी करते थे।
मनोज बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन के बाद नौकरी की तलाश में जुट गए थे। उनके बड़े भाई की जॉब ओएनजीसी में थी। इसलिए उन्होंने काफी कोशिश की थी कि उसी कंपनी में ही स्पोर्ट्स कोटे में नौकरी मिल जाए लेकिन सफलता नहीं मिली।
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इसके बाद उन्होंने बीपीएड (बैचलर ऑफ फिजीकल एजुकेशन) और एमपीएड किया। लेकिन यहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। आखिरकार, 1996 में उनका एलबम 'मैया के महिमा' मार्केट में आया और इसी से उन्हें पहचान मिली। इसके बाद उनका फेसम एलबम 'बगलवाली जान मारेली' रिलीज हुआ। इसके बाद मनोज उस समय के फेमस सिंगर्स के लिए चुनौती बन गए।
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साल 2003 में की एक्टिंग की शुरुआत
साल 2003 में मनोज तिवारी को भोजपुरी फिल्म 'ससुरा बड़ा पइसावाला' के लिए ऑफर आया।उस वक्त मनोज ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के बार-बार मनाने के बाद उन्होंने हां कर दी।
रिलीज के बाद इस फिल्म ने सफलता के झंडे गाड़े और बिहार-झारखंड मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन ने कहा था कि ये फिल्म भोजपुरी सिनेमा के लिए बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। मनोज ने अनुराग कश्यप की फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के लिए 'जिय हो बिहार के लाला' और शाहरुख की फिल्म 'फैन' में भी गाना गाया।