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CM नीतीश ने DGP से पूछा - मोबाइल नहीं था तब कैसे पकड़ाते थे अपराधी?

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस अधिकारी मोबाइल ट्रैकिंग पर अधिक भरोसा कर रहे हैं।जब भी पूछिए तो कहेंगे कि मोबाइल ट्रैक करा रहे हैं। जब मोबाइल नहीं था या ट्रैकिंग सिस्टम नहीं था, तब कैसे पकड़ते थे अपराधी। अपनी बुद्धि लगाना जरूरी है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sun, 01 May 2016 10:49 AM (IST)Updated: Mon, 02 May 2016 07:33 AM (IST)
CM नीतीश ने DGP से पूछा - मोबाइल नहीं था तब कैसे पकड़ाते थे अपराधी?

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को दो टूक अंदाज में कहा कि पुलिस मुख्यालय की सख्त मानीटरिंग न होने की वजह से ही आर्म्स एक्ट में होने वाली सजा का ग्राफ नीचे गिर गया है। 2006 में 1609 आरोपियों को इस एक्ट में सजा हुई थी। आज यह संख्या घटकर 281 पर आ गयी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्म्स एक्ट के तहत सजा शुरू हो जाएगी तो बाकी चीजें खुद ब खुद व्यवस्थित हो जाएंगी। स्थानीय अधिवेशन भवन में अभियोजन निदेशालय और गृह विभाग द्वारा स्पीडी ट्रायल, स्पीडी अपील, बेल कैंसिलेशन व रिहाई से जुड़े मामलों पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री ने यह बात कही।

मोबाइल नहीं था तब कैसे पकड़ाते थे अपराधी?

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस अधिकारी मोबाइल ट्रैकिंग पर अधिक भरोसा कर रहे हैं।जब भी पूछिए तो कहेंगे कि मोबाइल ट्रैक करा रहे हैं। जब मोबाइल नहीं था या ट्रैकिंग सिस्टम नहीं था, तब कैसे पकड़ते थे अपराधी। अपनी बुद्धि लगाना जरूरी है। परंपरागत ढंग से देखिए। मोबाइल ट्रैकिंग तो अतिरिक्त सहायता है।उन्होंने कहा कि रोज नई टेक्नोलॉजी आ रही है। आपको हमेशा अपने आपको अपडेट करना होगा, नई तकनीक अपनानी होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि समय पर चार्जशीट दाखिल किया जाना आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो इसके कारणों की सख्त पड़ताल की जानी चाहिए। गवाहों का समय पर हाजिर न होना मुकदमों में देरी की बड़ी वजह है। ऐसे में सरकारी गवाह को हाजिर किए जाने के पुराने नियम लागू किए जाने चाहिए।

एक तारीख पर सरकारी गवाह के न पहुंचने पर उसे हर हाल में दूसरी तारीख पर हाजिर करने की व्यवस्था करायी जानी चाहिए। ऐसा न होने पर उस पर कार्रवाई सुनिश्चित हो। डीजीपी व एडीजी (पुलिस मुख्यालय) हर रोज ट्रायल मसले पर सभी जिलों के पुलिस कप्तान से बात करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए राज्य सरकार वचनबद्ध है। लेकिन अनुसंधान पक्ष सबसे महत्वपूर्ण है। इसके लिए सरकार हर तरह के संसाधन मुहैया कराने को तैयार है। बिहार में एक समय सजा की दर देश में सबसे अधिक थी। इसे फिर से बहाल करना जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने शराबबंदी से जुड़े कानूनों को और सख्ती से लागू कराने की अपील भी की। कहा कि जब जन प्रतिनिधि को नहीं छोड़ा जा रहा तो दूसरे क्या सोचकर होटल में पी रहे थे? दारू का कारोबार करने वालों के पास दो नंबर का बहुत पैसा है। ऐसे में उन्हें कानून की ताकत समझाना जरूरी है।


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