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शॉटगन के 'खामोश' में आडवाणी से लेकर अमिताभ तक, रीना व रेखा भी शामिल

'बिहारी बाबू' शत्रुघ्‍न सिन्‍हा (शॉटगन) कभी 'खामोश' नहीं रहते। हां, उनके 'शॉट' सामने वालों के खामोश करते रहे हैं। अब वे अपनी किताब 'एनीथिंग बट खामोश' के माध्‍यम से फिर विवादों में हैं। इस पुस्‍तक में उनके फिल्‍मी व राजनीतिक जीवन की कई परतें खुलकर सामने आ गईं हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 05 Jan 2016 08:30 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2016 02:42 PM (IST)
शॉटगन के 'खामोश' में आडवाणी से लेकर अमिताभ तक, रीना व रेखा भी शामिल

पटना [अमित आलोक]। 'बिहारी बाबू' शत्रुघ्न सिन्हा (शॉटगन) कभी 'खामोश' नहीं रहते। हां, उनके 'शॉट' सामने वालों के खामोश करते रहे हैं। लेकिन, अब वे अपनी किताब 'एनीथिंग बट खामोश' के माध्यम से फिर विवादों में हैं। बुधवार की शाम रीलीज हुई इस पुस्तक में उनके फिल्मी व राजनीतिक जीवन की कई परतें खुल गई हैं।

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शॉटगन की इस बायोग्राफी में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी से लेकर बॉलीवुड सुपर स्टार अमिताभ बच्चन व राजेश खन्ना तक से उनके रिश्तों की चर्चा की गई है। इसमें उनकी जिंदगी में आईं रीना रॉय से लेकर रेखा तक की शामिल हैं। इसमें बीजेपी एवं राजनीति की चर्चाएं भी खूब हैं।

राजनीति व बीजेपी से जुड़ी अहम बातें

किताब में राजनीति व भाजपा से जुड़ी उनकी कई अहम बातें हैं। आइए नजर डाले, कुछ ऐसी ही बातों पर -

  • लालकृष्ण आडवाणी मुझे मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन मैं केंद्रीय मंत्री बनना चाहता था। 2014 में मोदी के पीएम बनने के बाद मुझे मंत्री नहीं बनाया गया। पार्टी में कुछ नेता ऐसे भी हैं जो 2014 में इलेक्शन हारे, लेकिन उन्हें मंत्री बना दिया गया।
  • 2014 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलता तो मैं निदर्लीय चुनाव लड़ता।
  • एक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की थी कि मैं अपनी जिंदगी में केवल एक बार पार्टी बदलूंगा।
  • मैं हमेशा से कह रहा हूं कि बीजेपी ही मेरी पहली और आखिरी पार्टी है। जो एक बार दोस्त बन जाता है, वो फिर हमेशा दोस्त होता है। हम लड़ते-झगड़ते हैं, लेकिन फिर भी परिवार हैं। पार्टी और मेंबर का रिश्ता पति-पत्नी जैसा होता है।
  • एक बात का हमेशा मलाल रहेगा जब मैंने 1991 में दिल्ली में राजेश खन्ना के खिलाफ इलेक्शन लड़ा। इसके लिए उनसे मैंने माफी भी मांगी थी। उस समय ऐसा कोई कारण नहीं था कि बाइ-इलेक्शन से मैं अपना पॉलिटिकल करियर शुरू करूं। लेकिन, मैंने आडवाणी जी से इसके लिए नहीं कहा था।
  • दिल्ली में चुनाव हारा, तब सही मायनों में निराश हुआ था। शायद पहली बार मैं रोया भी था। मैं बहुत कमजोर महसूस करता था, क्योंकि आडवाणी जी एक भी बार मेरे लिए कैंपेन करने नहीं आए।
  • जैसे ही चुनाव हारा, मुझे साइडलाइन कर दिया गया। अशोका रोड के पार्टी ऑफिस में मुझे कोई तरजीह नहीं दी जाती थी। जब मैं वहां जाता था, तो या तो लोग मुझसे बात नहीं करते थे या टॉपिक ही बदल लेते थे।
  • एक दिन पार्टी का एक पदाधिकारी (जो उस समय पार्टी में ही थे) मेरे पास आया और बोला, "शत्रु जी, प्लीज बाहर बैठिए। जब बात करनी होगी, हम आपको बुला लेंगे। ये बात दिल को लग गई और मैं कभी ऑफिस नहीं गया।"
  • बिहार में पार्टी कुछ नेताओं द्वारा हाईजैक कर ली गई। वे न तो सुनने को तैयार हैं और न बोलने को। ऐसे में अपोजिशन अपनी भूमिका कैसे निभाएगा?
  • अपने आपको पार्टी विद अ डिफरेंस कहने वाली पार्टी अब पार्टी विद डिफरेंस बन गई है।

अमिताभ बच्चन से रिश्तों पर बहुत कुछ

किताब के बारे में शत्रुघ्न सिन्हा एवं अमिताभ बच्चन के रिश्तों पर भी लिखा गया है। कभी अमिताभ व शत्रुघ्न की दोस्ती की चर्चा थी, लेकिन 70 के दशक में इस दोस्ती में दरार पड़ गई। बताया जा रहा है कि शॉटगन ने लिखा है कि जो वाहवाही अपनी फिल्मों से अमिताभ चाहते थे, वह नहीं मिलने से वे आहत थे। इस कारण दोनों की दोस्ती टूट गई। इस किताब में दोनों की दोस्ती को लेकर बातें हैं -

  • शॉटगन आज भी नहीं भूले अमिताभ से दोस्ती टूटने का दर्द। किताब में इसपर है चर्चा।
  • शॉटगन मानते हैं, 70 के दशक में उनका कद अमिताभ से बड़ा था। इस कारण टूट गई दोस्ती।
  • शॉटगन लिखते हैं, तब लोग कहते थे कि अमिताभ और मेरी ऑन स्क्रीन जोड़ी सुपरहिट है, पर वो मेरे साथ काम नहीं करना चाहते थे। नसीब, काला पत्थर, शान और दोस्ताना में शत्रुघ्न सिन्हा मुझ पर भारी पड़ गए, लेकिन इससे मुझे कभी फर्क नहीं पड़ा।
  • शॉटगन के अनुसार, काला पत्थर के सेट पर कभी मुझे अमिताभ के बगल वाली कुर्सी ऑफर नहीं की गई। शूटिंग के बाद लोकेशन से होटल जाते हुए कभी अमिताभ ने मुझे अपनी कार में आने के लिए ऑफर नहीं दिया। मुझे ये देखकर आश्चर्य होता था कि आखिर क्यों हो रहा है? लेकिन मैंने कभी किसी बात को लेकर शिकायत नहीं की।
  • शॉटगन लिखते हैं, अमिताभ के करियर के लिए उन्होंने कई बड़ी फिल्में उनके लिए छोड़ दीं। मैंने साइनिंग अमाउंट भी प्रोड्यसर को लौटा दिया।
  • शॉटगन लिखते हैं, दिक्कत थी उस वाहवाही से जो मुझे मेरी एक्टिंग से मिल रही थी। अमिताभ भी ये देख रहे थे और इसी कारण वे मेरे साथ फिल्म नहीं करना चाहते थे।

रीना राॅय व रेखा से रिश्तों पर भी...

शत्रुघ्न सिन्हा की जीवनी में अभिनेत्री रीना रॉय व रेखा के साथ उनकी आॅन स्क्रीन केमिस्ट्री व व्यक्तिगत रिश्तों की परतें भी खुल गई हैं।

दिल्ली में लोकार्पण

शॉटगन की पुस्तक 'खामोश' का लोकार्पण दिल्ली में छह जनवरी की शाम में एपीजे अब्दुल कलाम ऑडिटोरियम के पास होटल क्लैरिजेज में किया गया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं आए। लाेकार्पण वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी एवं यशवंत सिन्हा ने की। इस अवसर पर शॉटगन की पत्नी पूनम सिन्हा, पुत्री सोनाक्षी सिन्हा तथा पुत्र लव व कुश उपस्थित थे।

बिहार व मुंबई में भी होगा लोकार्पण

चर्चा है कि बिहारी बाबू की किताब का बिहार व मुंबई में भी लोकार्पण किया जाना है। बिहार के कार्यक्रम में बिहार के भी बड़े नेताओं को बुलाया जाएगा।

शशि थरूर ने लिखा प्राक्कथन

बिहारी बाबू की पुस्तक 'खामोश' के लोकार्पण से पहले ही सुर्खियां बटोर रही है। इसकी वजह भी है। सिन्हा के करीबी सूत्रों के मुताबिक किताब की लेखिका वरिष्ठ पत्रकार भारती एस. प्रधान हैं, जो वर्षों से सिन्हा की परिचित हैं। सबसे ज्यादा चर्चा किताब के प्राक्कथन को लेकर हो रही है, जिसे पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने लिखा है।

राजनीति पर पड़ेगा दूरगामी असर

अपनी पार्टी से नाराज चल रहे बिहारी बाबू अपने विवादित बयानों के कारण कई बार सुर्खियों में रहे हैं। ऐसे में उनकी किताब का बिहार की राजनीति में दूर तक असर पड़ेगा यह तय है।


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