कल से शुरू होगा बिहार विधानसभा का सत्र, नहीं दिखेंगे ये चर्चित चेहरे
सोमवार से आरंभ हो रहे सोलहवीं विधानसभा के पहले सत्र से ही सदन के भीतर का दृश्य बदला-बदला सा दिखेगा। विगत दस वर्षों से विधानसभा में जिनकी आवाज गूंजती रही वे चेहरे इस बार विधानसभा में नहीं दिखेंगे।
पटना। सोमवार से आरंभ हो रहे 16वीं विधानसभा के पहले सत्र से ही सदन के भीतर का दृश्य बदला-बदला सा दिखेगा। विगत दस वर्षों से विधानसभा में जिनकी आवाज गूंजती रही वे चेहरे इस बार विधानसभा में नहीं दिखेंगे।
ऐसे चेहरों में विधानसभा अध्यक्ष रहे उदय नारायण चौधरी का नाम भी शामिल है। उदय नारायण चौधरी चुनाव चुनाव हार चुके हैं। इस वजह से विधानसभा अध्यक्ष के आसन पर भी इस बार नया चेहरा दिखेगा।
विधानसभा परिसर में नियमित रूप से किसी न किसी मुद्दे को ले धरना पर बैठने वाले भाई दिनेश और रश्मि ज्योति इस बार नहीं दिख्रेंगे।
भाई दिनेश धान क्रय और किसानों से जुड़े कई मामलों पर सदन के भीतर और बाहर लंबी अवधि तक धरना देते रहे। विधानसभा का शायद ही ऐसा कोई सत्र हो जब विधायक रश्मि ज्योति शराबबंदी को लेकर कोई पोस्टर लेकर सदन में नहीं पहुंचीं हों।
एक बार तो सदन के वेल में उनकी महिला मार्शलों से भिड़ंत भी हो गयी थी। अब जब मुख्यमंत्री ने शराबबंदी का ऐलान कर दिया है तो इस बार वह विधानसभा में नहीं दिखेंगी। जदयू विधायक मंजीत सिंह की आवाज भी इस बार विधानसभा में नहीं गूंजेगी। मांग पर सरकार की ओर से अपनी बात रखने वाले चर्चित चेहरे में मंजीत सिंह का नाम शामिल था।
विधानसभा में विपक्ष जब वेल में पहुंचता था तो भाजपा के दो चेहरे काफी सक्रियता से सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते दिखते थे। इनमें एक चेहरा विक्रम कुंवर का होता था और दूसरा विनोद नारायण झा का। विक्रम कुंवर तो टिकट से ही वंचित हो गए वहीं इस बार विनोद नारायण झा चुनाव हार गए।
ये दोनों चेहरे सोलहवीं विधानसभा में नहीं दिखेंगे। विधानसभा पोर्टिको के बाहर होने वाले प्रदर्शन में भाजपा के जो चेहरे नियमित रूप से दिखते थे उनमें भी कई इस बार गुम रहेंगे। इनमें पालीगंज की विधायक डॉ. उषा विद्यार्थी, सूर्यगढ़ा विधायक प्रेमरंजन पटेल और डॉ. सुखदा पांडेय का नाम शामिल है।
इन दोनों को इस बार भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा ही नहीं। विधानसभा के वयोवृद्ध सदस्य के रूप में कई दशकों से लगातार सदन में दिखने वाले भाजपा विधायक सत्यदेव नारायण आर्य भी इस बार नहीं दिखेंगे। इस बार वह चुनाव हार गए हैं। दस वर्षों से लगातार सदन में दिखने वाले पूर्व मंत्री रामाधार सिंह भी नजर नहीं आएंगे।
पीठासीन सदस्य के रूप में यदा-कदा आसन पर दिखने वाली गुड्डी देवी भी नजर नहीं आएंगी। कई पूर्व मंत्री जो दस वर्षों तक दिखे विधानसभा में इस बार नहीं दिखेंगे। इनमें अनिल कुमार, अजीत कुमार और शाहिद अली खान आदि का नाम शामिल है।
कई महिला विधायक भी नहीं दिखेंगी। इनमें कुछ को टिकट नहीं मिला तो कुछ चुनाव हार गयीं। इनमें डॉ. रेणु कुशवाहा, पूनम देवी व प्रो. उषा सिन्हा का नाम लिया जा सकता है। दस वर्षों से लगातर दिखने वाला जो चेहरा इस बार नजर नहीं आएगा उसमें राहुल कुमार, सतीश कुमार, रवींद्र राय आदि का नाम भी शामिल है।