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जनता परिवार का 12वीं बार टूटना तय, क्या नीतीश बनेंगे NDA के संयोजक!

शरद-नीतीश के विवाद में अगर JDU टूटता है तो यह जनता परिवार का 12वां विभाजन होगा। JDU के NDA में शामिल होने के बाद क्‍या नीतीश को जॉर्ज की तरह राजग का संयोजक बनाया जाएगा? जानिए।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 20 Aug 2017 01:47 PM (IST)Updated: Mon, 21 Aug 2017 10:58 PM (IST)
जनता परिवार का 12वीं बार टूटना तय, क्या नीतीश बनेंगे NDA के संयोजक!
जनता परिवार का 12वीं बार टूटना तय, क्या नीतीश बनेंगे NDA के संयोजक!

पटना [अमित आलोक]। बिहार में महागठबंधन की सरकार गिरने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार बना ली है। बीते दिन जदयू की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के राजग में शामिल हाेने पर औपचारिक मुहर भी लग गई। दूसरी ओर पार्टी मेें विरोध की कमान संभाले पूर्व अध्‍यक्ष शरद यादव झुकने को तैयार नहीं हैं। उधर, राजग में नीतीश कुमार को विशेष महत्‍व मिल रहा है।

ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्‍या शरद यादव जदयू में टूट के कारण बनेंगे? दूसरा सवाल यह भी है कि क्‍या नीतीश को जॉर्ज फर्नाडिस की तरह ही राजग का संयोजक बनाया जा सकता है? बिहार में महागठबंधन के विवाद के नाम पर अगर जदयू दो-फाड़ होता है तो यह जनता परिवार का अब तक 12वां विभाजन होगा।

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बगावत की राह पर शरद
महागठबंधन की सरकार के टूटने से नाराज शरद यादव बगावत की राह पर हैं। वे पार्टी सुप्रीमो व सीएम नीतीश के इस कदम की लगातार आलोचना कर रहे हैं। पार्टी का एक गुट शरद के साथ खड़ा है। शनिवार को पटना में जदयू की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने के बदले शरद गुट ने अपना समानांतर सम्‍मेलन किया। शरद गुट ने जहां राजद-जदयू-कांग्रेस के महागठबंधन के जारी रहने की मुनादी की वहीं जदयू की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी ने नीतीश की अध्‍यक्षता में पार्टी के राजग में विलय पर मुहर लगाई।
विभाजन तय, बात केवल वक्‍त की
स्‍पष्‍ट है, दोनों गुट पार्टी पर अपना दावा कर रहे हैं। साथ ही पार्टी नीति को लेकर देानाें में बड़ा मतभेद है। इससे जदयू का टूटना तय माना जा रहा है। बात सिर्फ वक्‍त की रह गई है। जदयू के राष्‍ट्रीय महासचिव केसी त्‍यागी ने स्‍पष्‍ट कहा है कि अगर शरद 27 अगस्‍त को होने वाले राजद के 'भाजपा भगाओ देश बचाओ सम्‍मेलन में शामिल होते हैं तो वे उनके खिलाफ कार्रवाई कर दी जाएगी। पार्टी सुप्रीमो नीतीश कुमार ने भी स्‍पष्‍ट कर दिया है कि शरद चाहें तो अपना रास्‍ता चुनने को स्‍वतंत्र हैं।

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जनता परिवार: एकीकरण से विभाजन तक, एक नजर

अगर यह विभाजन होता है तो यह जनता परिवार का 12वां विभाजन होगा। इस जनता परिवार का इतिहास 1988 से शरू होता है, जब कांग्रेस के खिलाफ 11 अक्टूबर 1988 को विश्वनाथ प्रताप सिंह ने जनता दल का गठन किया था। उस वक्‍त जनता पार्टी, जनमोर्चा और लोकदल को मिलाकर बनाई गई इस पार्टी में वियवनाथ प्रताप सिंह के अलावा उत्तर प्रदेश के चंद्रशेखर और हरियाणा के देवीलाल भी बड़े चेहरे रहे। लेकिन, 1990 में प्रधानमंत्री पद की दावेदारी में पार्टी टूट गई।

1989 के लोकसभा चुनाव में जनता परिवार को 142 सीट मिले। दूसरे दलों के समर्थन से उसे सरकार बनाने का मौका मिला। विश्‍वनाथ प्रताप सिंह ने चुनाव में पार्टी की अगुवाई की थी। वे प्रधानमंत्री भी बने। दूसरी ओर देवीलाल और चंद्रशेखर जनता के बीच काफी लोकप्रिय नेता थे।लेकिन,1990 में 11 महीने बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार गिर गई और चंद्रशेखर जनता दल से अलग होकर कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बन गए। जनता परिवार की यह पहली टूट थी।

जनता दल के पहली टूट के बाद समाजवादी पार्टी बनी। जनता दल से चंद्रशेखर, चौधरी देवीलाल और मुलायम सिंह यादव अलग हो गए। लेकिन, चंद्रशेखर की सरकार केवल सात महीने ही चल सकी। आगे 1992 में समाजवादी पार्टी से अलग होकर मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी जनता पार्टी बनाई तो अजित सिंह ने भी राष्ट्रीय लोकदल बना ली।

आगे 1994 में जनता दल में एक और विभाजन हुआ। इस बार जॉर्ज फर्नांडीस और नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय लोकदल बनाया, जिसका नाम बदलकर समता पार्टी रखा गया। इस बीच 1996 में चंद्रशेखर की समाजवादी जनता पार्टी में भी विभाजन हो गया। उससे कटकर देवीलाल ने हरियाणा लोकदल (राष्ट्रीय) की स्थापना की। बाद में यह इंडियन नेशनल लोकदल के नाम से जाना गया।

इस बीच बिहार में लालू प्रसाद यादव मुख्‍यमंत्री थे। लेकिन, चारा घोटाले में फंसने के बाद भी वे सत्ता से अलग नहीं होना चाहते थे। 1997 में उन्होंने जनता दल में नया विभाजन किया। लालू ने राष्ट्रीय जनता दल का गठन कर पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया।

1997 में ही ओडिशा के नवीन पटनायक भी जनता परिवार से अलग हो गए। बीजू ने बीजू जनता दल बना कर सत्‍ता हासिल किया। दो साल बाद  अगला विभाजन दक्षिण भारत में तब हुआ, जब कर्नाटक में रामकृष्ण हेगड़े ने लोकशक्ति पार्टी की बना ली।

इसके बाद विभाजन की कहानी में शरद यादव की इंट्री होती है। 1999 में शरद यादव भी जनता दल से अलग हो गए। उन्‍होंने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) बनाया, जिसमें जॉर्ज फर्नांडीस और नीतीश कुमार शामिल हुए और समता पार्टी का इसमें विलय हो गया।

सन् 1999 में ही पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने कर्नाटक में जनता दल (सेक्युलर) बनाया। उनकी पार्टी कर्नाटक की सत्ता में भी आई। फिर, 2000 में रामविलास पासवान ने बिहार में जनता दल यूनाइटेड से नाता तोड़कर लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया।

अागे अगर जदयू का शरद यादव गुट नई पार्टी बनाता है तो यह जनता परिवार का 12वां विभाजन होगा। संभव है कि यह जदयू द्वारा शरद यादव के खिलाफ कार्रवाई के बाद हो। या फिर, शरद खुद ही असली जदयू पर दावेदारी करते हुए नीतीश कुमार पर कार्रवाई की घोषणा कर दें। दोनों ही स्थितियों में विभाजन तय है।

क्‍या नीतीश बनेंगे राजग के संयोजक?
राजग में जदयू के शामिल होने से बिहार में 2019 के लोकसभा चुनाव का प्लेटफार्म तैयार हो रहा है। राजनीतिक तौर पर इसका असर यह भी संभव है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में नीतीश कुमार को राजग का संयोजक बना दिया जाए। पहले भी जदयू के जार्ज फर्नांडिस राजग के संयोजक रहे हैैं।

 


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