बिक्रम में बिगड़े हैं विकास के सुर-ताल
पटना : 1942 की अगस्त क्रांति के दौरान थाना पर तिरंगा फहराने के दौरान आजादी के तीन दीवाने
पटना : 1942 की अगस्त क्रांति के दौरान थाना पर तिरंगा फहराने के दौरान आजादी के तीन दीवाने शहीद हो गए। यहां बापू ने नमक सत्याग्रह आंदोलन चलाया। अंग्रेजी हूकूमत में किसानों के लिए सोन नहर का जाल बिछा। 60 के दशक में राजकीय नलकूपों की स्थापना हुई। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय और त्रिभुवन पुस्तकालय पूर्वजों की देन है। गौरवशाली इतिहास के बावजूद बिक्रम विधानसभा क्षेत्र में विकास के सुर-ताल बिगड़ गए हैं। जिसे ठीक करने का दावा यहां से चुनावी दंगल में कूदने वाले तमाम प्रत्याशी कर रहे हैं।
80 के दशक में बिक्रम में नवोदय विद्यालय की स्थापना हुई। ढाई दशक बाद भी इसका अपना भवन नहीं है। 2001 से बन कर तैयार आधुनिक ट्रॉमा सेंटर खुद कोमा में है। सोन नहर का आधुनिकीकरण नहीं होने से खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा है। बिहटा चीनी मिल बंद होने के बाद किसानों की नकदी फसल मारी गई। एनएच 98 एक दशक से अधूरी है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से बनीं सड़कें ध्वस्त हो गई हैं।
- चौपट हुई स्वास्थ्य सेवाएं -
सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों को मौत से बचाने के लिए बिक्रम में 1.25 करोड़ की लागत से आधुनिक ट्रॉमा सेंटर का निर्माण 2001 में हुआ। जहां एडवांस लाइफ सपोर्ट उपकरण वाले एम्बुलेंस, आधुनिक आपरेशन थियेटर, ऑटो मूविंग एक्स-रे मशीन और पूर्णत: वातानुकूलित गहन चिकित्सा कक्ष में छह बेड लगाए गए। आज तक यहां न डाक्टर आए न किसी उपकरण का उपयोग हो सका। अब भवन व उपकरण जर्जर और अनुपयोगी हो गए हैं।
-गन्ने की खेत में बीयर फैक्ट्री -
इलाके के धान पैदा करने वाले किसानों के हाथ फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा। बिचौलिये, अधिकारी और मीलर बोनस का पैसा हजम कर गए। 1935 में बिहटा में चीनी मिल खुली। नकदी फसल से यहां के किसान खुशहाल थे। मिल नीलाम हो गया। अब यहां बीयर की फैक्ट्री खुल गई। सिंचाई व्यवस्था ध्वस्त होने से किसानी चौपट है।
- परिसीमन से बदला भूगोल --
नए परिसीमन में नौबतपुर व बिक्रम प्रखंड के अलावा बिहटा प्रखंड की कौड़िया, बिंदौल, कुंजवां, मचहलपुर लई, यमुनापुर और तारानगर पंचायतें बिक्रम विधानसभा में शामिल हुई हैं। इस क्षेत्र से बिहटा प्रखंड की अमहरा, कंचनपुर खड़गपुर, दिलावरपुर, दौलतपुर व राघोपुर पंचायतों को काटकर मनेर में जोड़ दिया गया है।
- 20 वर्षो तक लाल झंडे का राज --
बिक्रम विधानसभा में सबसे अधिक 20 वर्षो तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का कब्जा रहा। 1980 से 95 तक चार बार लगातार भाकपा के रामनाथ यादव यहां से चुनाव जीतते रहे। 2000 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के रामजन्म शर्मा ने भाकपा से यह सीट छीनी थी। फरवरी 2005 के चुनाव में लोजपा की टिकट पर अनिल कुमार विजयी हुए। अक्टूबर 2005 के चुनाव में उन्होंने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और फिर जीत हासिल की। 2010 के चुनाव में लगभग 2300 वोट से अपनी सीट बचाने में कामयाब हुए।
--बूथ तक पहुंचना मुश्किल---
बिक्रम विधानसभा क्षेत्र के बूथों तक पहुंचना आसान नहीं है। प्राथमिक विद्यालय, सोहरा के बूथ नंबर 255 तक संपर्क पथ नहीं है। इस बूथ पर 1126 वोटर हैं। मोरियावां से अराप, सरासत से चेचौल, बिक्रम से नगहर, पतूत से जनपारा, हरपुरा-बिक्रम ये चंद ग्रामीण सड़कें हैं जो पूरी तरह ध्वस्त हैं।
--एनएच, एसएच पर गढ्डे --
बिक्रम विधानसभा के बीच से एनएच 98 गुजरती है। जिसका निर्माण एक दशक पहले शुरू हुआ। नौबतपुर से बिक्रम तक सिर्फ गढ्डे रह गए हैं। फुलवारीशरीफ से नौबतपुर तक सड़क का अस्तित्व समाप्त हो गया है। सोन नहर के किनारे कनपा, बिक्रम, नौबतपुर-भुसौला दानापुर तक निर्मित सड़क अब नाकाम हो चुकी है। नौबतपुर का शहर रामपुर से एनखां रोड हो या बिक्रम-कनपा एनएच, यहां सड़कों पर केवल गड्ढे हैं।
-- विकास के बड़े दावे --
भाजपा प्रत्याशी अनिल कुमार ने लगातार दो बार बिक्रम का प्रतिनिधित्व किया। दावा करते हैं कि विधानसभा क्षेत्र का कोई ऐसा गांव नहीं है जहां विधायक फंड से विकास का कोई काम नहीं हुआ है। महागठबंधन के सहयोगी कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतरे सिद्धार्थ कुमार सिंह कहते हैं कि सड़क, बिजली, शिक्षा-चिकित्सा विकास के मानक हैं। यहां के स्कूल, अस्पताल, सड़क, पुस्तकालय की सुध नहीं ली गई।
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बिक्रम विस चुनाव क्षेत्र संख्या - 191
मतदान केन्द्रों की संख्या - 312
कुल मतदाता - 290822
पुरूष मतदाता - 154427
महिला मतदाता - 136386
थर्ड जेंडर - 09
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नामांकन तिथि - 8 अक्टूबर तक
नामांकन पत्रों की जांच - 9 अक्टूबर
नाम वापसी - 12 अक्टूबर
मतदान - 28 अक्टूबर
मतगणना - 5 नवंबर
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-बिक्रम विधानसभा परिणाम 2010 -
अनिल कुमार - भाजपा - 38,965
सिद्धार्थ सिंह - लोजपा - 36,613
रामजन्म शर्मा - निर्दलीय -11,812
पंचम कुमार - बसपा- 11,264
सुभाष यादव - निर्दलीय- 9,974
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कब कौन रहा विधायक?
विधायक - कार्यकाल - पार्टी
मनोरमा देवी - 1957 - कांग्रेस
मनोरमा देवी - 1962 - कांग्रेस
एम. गोप - 1967 - कांग्रेस
खदेरन सिंह - 1969 - बीकेडी
खदेरन सिंह - 1972 - एनसीओ
कैलाशपति मिश्र -1977 -जनता पार्टी
रामनाथ यादव - 1980 से 95 -भाकपा
रामजन्म शर्मा - 2000 - भाजपा
अनिल कुमार - फरवरी 2005-एलजेपी
अनिल कुमार -अक्टूबर 2005-भाजपा
अनिल कुमार - 2010 - भाजपा
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