'स्पॉट' पर ही पीएम मोदी को जवाब देने की रणनीति
अक्टूबर के पहले हफ्ते में बिहार की महाभारत में चक्रव्यूह भेदने की कोशिश होने वाली है। शुरुआत होगी महात्मा गांधी की जयंती पर बांका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से। अगले दिन सोनिया की भागलपुर में रैली है। लड़ाई आर-पार की होगी। जवाब भी 'स्पॉट' पर ही दिया जाएगा।
पटना [सुनील राज]। अक्टूबर के पहले हफ्ते में बिहार की महाभारत में चक्रव्यूह भेदने की कोशिश होने वाली है। शुरुआत होगी महात्मा गांधी की जयंती पर बांका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से। अगले दिन सोनिया गांधी की भागलपुर में रैली है। लड़ाई आर-पार की होगी। जवाब भी 'स्पॉट' पर ही दिया जाएगा।
इस लड़ाई में खामोश तो महागठबंधन के दो अन्य नेता भी नहीं रहेंगे। रणनीति स्पष्ट है कि आवाम के सामने भी स्थिति साफ होनी चाहिए। जो आरोप लगाए गए, मुद्दे उठाए गए उनकी हकीकत आखिर क्या है। बिहार की जंग को जीतने के लिए मैदान के एक सिरे पर पीएम मोदी हैं तो दूसरे पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी और तीसरे सिरे पर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद।
भाजपा के सामने खड़े राजद-जदयू और कांग्रेस के लिए इस बार बिहार की लड़ाई उनके अस्तित्व की भी लड़ाई है। नतीजा कहीं कोई समझौता करने की स्थिति में नहीं दिखता।
भाजपा के विरोध में खड़े तमाम दलों का मानना है कि प्रधानमंत्री जिस शैली और अंदाज में आरोपों की फेहरिस्त पेश कर रहे हैं उनके जवाब उन्हें ऑन द स्पॉट ही दिए जाएंगे। इस वजह से योद्धा कमर कस चुके हैं।
कांग्रेस का स्पष्ट मानना है कि संसद में आमने-सामने भाजपा और कांग्रेस ही हैं। ऐसे में बिहार के चुनाव मैदान में भी मोदी को जवाब देने के लिए कांग्रेस को ही बड़ी लड़ाई लडऩी होगी। नतीजा कांग्रेस ने प्रचार के लिए उन स्थानों का चयन किया है जहां से पीएम मोदी पहले चुनावी सभा को संबोधित कर चुके हैं।
बेतिया में प्रधानमंत्री पद की लड़ाई लड़ते हुए नरेंद्र मोदी ने किसानों की स्थिति का हवाला देकर कांग्रेस पर सीधा निशाना साधा था। जिसका जवाब कांग्रेस ने 19 सितंबर को राहुल गांधी से दिलाया।
बेतिया की तरह ही गया और भागलपुर में मोदी की चुनावी सभाएं हो जाने के बाद एक बार फिर कांग्रेस ने इन दोनों स्थानों पर जाकर स्थिति स्पष्ट करने का फैसला किया है। पीएम मोदी के जवाब में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तीन अक्टूबर को पहले भागलपुर और इसके बाद गया में कार्यक्रम करेंगी। दूसरी ओर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने ही अंदाज में सूबे में घूम-घूमकर भाजपा और पीएम मोदी के दावों-वायदों को हकीकत बयां करते दिखेंगे। रही सही कसर राहुल गांधी के मार्फत पूरी करा दी जाएगी।
लब्बोलुबाब यह है कि अक्टूबर के महीने में बिहार के महाभारत में चक्रव्यूह भेदने की तमाम कोशिश होगी। कौन चक्रव्यूह भेद कर विजयी बनता है और किसे पराजय का सामना करना होगा इसका फैसला अक्टूबर के बाद आने वाले नवंबर महीने की आठ तारीख को होगा।