टिकट की चिंता : सीमांचल से कटने लगा लखनऊ का टिकट
समाजवादी पार्टी द्वारा महागठबंधन को बाय-बाय कहने के साथ ही सीमांचल में सियासी सरगर्मी और बढ़ गयी है। महागठबंधन व राजग से टिकट की संभावना न बनने से निराश दावेदार अब लखनऊ की राह पकडऩे लगे हैं।
कटिहार [प्रकाश वत्स]। समाजवादी पार्टी द्वारा महागठबंधन को बाय-बाय कहने के साथ ही सीमांचल में सियासी सरगर्मी और बढ़ गयी है। महागठबंधन व राजग से टिकट की संभावना न बनने से निराश दावेदार अब लखनऊ की राह पकडऩे लगे हैं। कुछ ऐसे माननीय, जिन्हें खुद बेटिकट होने की आशंका है, वे भी सपा सहित अन्य पार्टियों के मुखिया से लगातार सम्पर्क साधने लगे।
फिलहाल जदयू, राजद, कांग्रेस के साथ आ जाने से महागठबंधन के दावेदारों में टिकट को लेकर अनिश्चितता पैदा हुई है। सीटों की हिस्सेदारी के बावजूद क्षेत्र का बंटवारा नहीं होने से इन दलों के दावेदार कशमकश में हैं। इन हालात में सपा की घोषणा ने ऐसे उम्मीदवारों की उम्मीदों को पंख लगा दिए हैं।
एक पार्टी के दावेदार की मानें तो सपा का यह फैसला पूरी तरह उचित है। आखिर पांच साल लोग टिकट के इंतजार में ही पार्टी के लिए खून-पसीना बहाते हैं। चुनाव के मौके पर पार्टी आलाकमान का निर्णय सर्वोपरि हो जाता है। आखिर वंचित लोगों को कोई ठौर तो चाहिए। उन्होंने कहा कि वे इसकी संभावना के बाद से ही सपा नेता के संपर्क में है। आश्वासन भी मिला है।
स्वभाविक तौर पर सामाजिक तानेबाने के लिहाज से सपा के मैदान में उतरने से महागठबंधन की परेशानी बढ़ सकती है। यह, उस स्थिति में ज्यादा घातक होगा जब महागठबंधन के बागी सपा से टिकट पाने में कामयाब हो जाएंगे। वहीं इससे कुछ सीटों पर भाजपा की परेशानी भी बढऩी इससे तय है।
एनसीपी व सपा आ सकती है एक साथ
सपा के एलान से इस बात की चर्चा भी जोर पकडऩे लगी है कि महागठबंधन से पहले ही से नाराज चल रही एनसीपी सपा के साथ आ सकती है। इसमें कुछ वाम दल भी जुड़ सकते हैं। ऐसे में सीमांचल के मौजूदा सामाजिक संरचना में त्रिकोणीय मुकाबला के आसार भी बन सकते हैं। आम लोगों की भी इन सियासी घटनाक्रम पर पैनी नजर लगी हुई है।