विधान परिषद चुनाव पर लटकी तलवार
स्थानीय निकाय से विधान परिषद की 24 सीटों के लिए सात जुलाई को होने जा रहे चुनाव पर तलवार लटक गई है। 30 जून तक चुनाव आयोग को पटना हाई कोर्ट के आदेशानुसार नई अधिसूचना जारी करनी थी।
पटना। स्थानीय निकाय से विधान परिषद की 24 सीटों के लिए सात जुलाई को होने जा रहे चुनाव पर तलवार लटक गई है। 30 जून तक चुनाव आयोग को पटना हाई कोर्ट के आदेशानुसार नई अधिसूचना जारी करनी थी।
इसमें तय करना था कि 24 सीटों में से किसका कार्यकाल दो साल, चार साल और छह साल का होगा, लेकिन मंगलवार 30 जून तक अधिसूचना नहीं निकल पाई। इस कारण सात जुलाई को चुनाव कराना अब संभव नहीं लगता है।
चुनाव आयोग ने मंगलवार को पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर कर विधान परिषद चुनाव की तिथि बढ़ाने का आग्रह किया। साथ ही मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ को यह जानकारी भी दी गई कि हाईकोर्ट के आदेश को आयोग और बिहार विधान परिषद ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर बुधवार 1 जुलाई को सुनवाई भी होने की संभावना है।
इस पर खंडपीठ ने कहा कि जब मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाया गया है ऐसे में हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का क्या मतलब है। सुप्रीम कोर्ट ही चुनाव का भाग्य तय करेगा। इधर चुनाव आयोग के वरीय अधिवक्ता जेपी कर्ण ने कहा कि संशोधित अधिसूचना इतनी आसानी से नहीं निकल सकती है क्योंकि इसके लिए केंद्रीय कैबिनेट की सहमति लेनी होगी। विधान परिषद से भी विचार विमर्श करना होगा। इसलिए अब संभव नहीं लगता है कि पूर्व निर्धारित तिथि को चुनाव हो सकेगा।
विधान पार्षद देवेश चन्द्र ठाकुर और वैद्यनाथ प्रसाद ने जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि चुनाव गैर संवैधानिक तरीके से कराया जा रहा है। सबका कार्यकाल छह साल निर्धारित कर दिया गया है। इसका मतलब है सब एक साथ रिटायर करेंगे। जबकि प्रत्येक दो साल पर एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होना चाहिए।