अब सरल होगा किसानों का मुआवजा भुगतान
पटना। भू-अर्जन के बाद किसानों को मुआवजा भुगतान की कार्रवाई एवरेस्ट पर्वत पर चढ़ाई से कम नहीं है। विह
पटना। भू-अर्जन के बाद किसानों को मुआवजा भुगतान की कार्रवाई एवरेस्ट पर्वत पर चढ़ाई से कम नहीं है। विहित प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद भी किसानों की संचिका कार्यालय के बाबूओं के आगे परिक्रमा बिना आगे नहीं बढ़ती। बिहटा के किसानों के अवशेष 20 फीसद बकाया राशि सरकार ने आवंटित कर दिया लेकिन तीन-तीन दिनों का समय सिर्फ कोषागार से बैंक खाते में पैसा हस्तांतरित कराने में गुजर रहा है।
बिहटा आइआइटी और मेगा औद्यौगिक पार्क के लिए सिकंदरपुर, दिलावरपुर, दयालपुर, दौलतपुर, अमहरा, रामनगर राघोपुर और खेदलपुरा मौजे की करीब 3500 किसानों की भूमि अर्जित की थी। इन गांवों के किसानों ने जमीन पर दखल-कब्जा छोड़ दिया बावजूद 20 फीसद राशि अब तक नहीं मिली। 2007 से यहां भू-अर्जन की कार्रवाई चल रही है। आठ सालों में शत प्रतिशत किसानों को पैसा नहीं मिल सका।
बीते माह किसानों के आंदोलन के बाद सरकार ने 389 करोड़ रुपये आवंटित किया है। समझौता हुआ था कि 20 जून तक भुगतान कर दिया जायेगा। जिला भू-अर्जन कार्यालय और कोषागार की स्थिति यह है कि मात्र 38 किसानों के बैंक खाते में भुगतान हो सका। जिस रफ्तार से मुआवजे की संचिका बढ़ रही है उसके हिसाब से बिहटा के करीब 3500 किसानों को पैसा मिलने में सालों बीत जायेंगे।
-- ट्रेजरी चेक से परेशानी --
मुआवजा राशि का भुगतान में पारदर्शी व्यवस्था और बिचौलियों के सफाये के लिए ट्रेजरी चेक का सहारा लिया गया है। ट्रेजरी चेक का एक वाल्यूम में 25 से 50 चेक जब तक समाप्त नहीं होता दूसरा वाल्यूम नहीं मिल सकता है। बैंकों की तरह चेक बुक निर्गत करने की मनाही है।
-- एक ही चपरासी बही से परेशानी --
जिला योजना कार्यालय में डीएम के फर्जी हस्ताक्षर से 3.56 करोड़ की हुई निकासी के बाद चेक के लिए वाहक और चपरासी की प्रतिनियुक्ति आदेश जारी करना होता है। जिस चपरासी बही से चेक ट्रेजरी जायेगा उसके लौटने के बाद ही दूसरा चेक भेजने की व्यवस्था है।
-- बिचौलियों की मदद मजबूरी --
मुआवजा राशि भुगतान में विलंब हो रहा है तो बिचौलिये दुकान खोल कर बैठे हैं। दावा राशि के अनुसार करार के बाद बिचौलिये के इशारे पर संचिका को राकेट की गति मिल जाती है। कार्यालय में बाबूओं के टेबल की परिक्रमा लगाकर हार चुके किसानों को ऐसी स्थिति में बिचौलिये ही मददगार होते हैं। ये बिचौलिये कहीं दूर दराज नहीं किसानों के गांव के ही होते हैं।
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ट्रेजरी से अपने नाम पर 24 करोड़ रुपये निकासी के लिए पत्र लिखा है। किसानों के बैंक खाते में एक साथ भुगतान का प्रयोग किया जा रहा है। सफल रहा तो जल्द ही एक मौजे के सभी किसानों को पैसा मिल सकेगा। अन्य मौजे के लिए सरल प्रक्रिया अपनाने की कार्रवाई की जा रही है। ट्रेजरी एक मुश्त सौ-दो सौ किसानों का पैसा एक चेक से भुगतान को तैयार नहीं है इसलिए विकल्प चुना जा रहा है।
- अनामुल हक सिद्दीकी
जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, पटना।
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