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20वीं सदी में योग क्रांति का सूत्रधार बना मुंगेर का 'गंगा दर्शन' योगाश्रम

आध्यात्मिक-सांस्कृतिक बिहार की धरती पर योग की लंबी परंपरा रही है। यहां 'योग नगरी' नाम से विख्यात मुंगेर में विश्व का पहला योग विश्वविद्यालय 'गंगा दर्शन' योगाश्रम है। योग को विश्व पटल पर लाने में इसकी विशेष भूमिका रही है।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2015 08:22 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jun 2015 09:54 AM (IST)
20वीं सदी में योग क्रांति का सूत्रधार बना मुंगेर का 'गंगा दर्शन' योगाश्रम

पटना [अमित आलोक]। आध्यात्मिक-सांस्कृतिक बिहार की धरती पर योग की लंबी परंपरा रही है। यहां 'योग नगरी' नाम से विख्यात मुंगेर में विश्व का पहला योग विश्वविद्यालय 'गंगा दर्शन' योगाश्रम है। योग को विश्व पटल पर लाने में इसकी विशेष भूमिका रही है। इसके माध्यम से स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने योग को जन-जन तक पहुंचा दिया।

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उन्होंने बिहार में जिस योग क्रांति का सूत्रपात किया, उसका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ा है। आज भी यह संस्थान अपने बूते योग के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान कर रहा है, लेकिन सरकार की इसपर नजर नहीं है। दुर्भाग्य की बात तो यह है कि 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने की योजना में भी इस योग केंद्र को शामिल नहीं किया गया है।

स्वामी सत्यानंद ने गंगा तट पर डाली नींव

मुंगेर में गंगा तट पर स्थित एक पहाड़ी पर असामाजिक तत्वों का अड्डा था। यहां लोग दिन में भी जाने से डरते थे। यहां के ऐतिहासिक कर्णचौरा व प्राचीन जर्जर भवन पर शासन-प्रशासन की नजर नहीं थी। इस उपेक्षित स्थल पर वर्ष 1963-64 में स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने अपने गुरु स्वामी शिवानंद सरस्वती की प्रेरणा से 'शिवानंद योगाश्रम' की स्थापना की।

1983 तक हो चुका था वैश्विक विस्तार

योग की यह हल्की किरण 1983 में 'गंगा दर्शन' की स्थापना तक वैश्विक विस्तार पा चुकी थी। इसी गंगा दर्शन में वह योगाश्रम स्थित है, जिसे 20वीं सदी में एक बार फिर भारत में योग क्रांति का सूत्रधार बनने का गौरव प्राप्त है। इसका आध्यात्मिक प्रकाश आज भारत सहित विश्व के 40 से अधिक देशों में फैल रहा है।

गुरु व संन्यासी का मिलन स्थल 'गंगा दर्शन'

गंगा दर्शन आश्रम कोई मठ-मंदिर नहीं, बल्कि यह गुरु व संन्यासी का वह मिलन स्थल है, जहां नि:स्वार्थ सेवा व सकारात्मक प्रवृत्ति का विकास किया जाता है।

योग शिक्षा का आधुनिक गुरुकुल

गंगा दर्शन वर्तमान में योग शिक्षा का एक आधुनिक गुरुकुल है। यहां एक महीने के प्रमाण पत्र से लेकर डॉक्टरेट तक के योग पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। एक समय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इस एकमात्र योग विवि की उपयोगिता देखकर इसे अपनी प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत संचालित कराया, लेकिन आश्रम के नियमों में बाधा पड़ती देख स्वामी जी ने यूजीसी से संबंध विच्छेद करना बेहतर समझा।

आज इस विशिष्ट योग शिक्षा केंद्र से प्रशिक्षित करीब 15,000 शिष्य व करीब 1300 योग शिक्षक देश-विदेश में योग ज्ञान का प्रसार कर रहे हैं।

साधकों व श्रद्धालुओं के लिए सख्त नियम

आश्रम में आने वाले साधकों व श्रद्धालुओं को यहां के सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है। आश्रम में प्रतिदिन प्रात: चार बजे उठकर व्यक्तिगत साधना करनी पड़ती है। इसके बाद निर्धारित रूटीन के अनुसार कक्षाएं आरंभ होती हैं। सायं 6.30 में कीर्तन के बाद 7.30 बजे अपने कमरे में व्यक्तिगत साधना का समय निर्धारित है। रात्रि आठ बजे आवासीय परिसर बंद हो जाता है।

खास दिन होते विशेष आयोजन

यहां खास-खास दिन महामृत्युंजय मंत्र, शिव महिमा स्तोत्र, सौंदर्य लहरी, सुंदरकांड व हनुमान चालीसा का पाठ करने का नियम है। वसंत पंचमी के दिन हर साल आश्रम का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा गुरु पूर्णिमा, नवरात्र, शिव जन्मोत्सव व स्वामी सत्यानंद संन्यास दिवस पर भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

2013 में हुआ था विश्व योग सम्मेलन : यहां 2013 में 'विश्व योग सम्मेलन' का आयोजन किया गया था। उसमें करीब 77 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।

विश्व के कोने-कोने से आते साधक

योगाश्रम की सहज व सादी व्यवस्था में मिलने वाली शांति से आकर्षित विश्व के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं। आज भी यहां अनेक विदेशी साधक योग का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। पश्चिम की भौतिकवादी संस्कृति से दूर आत्मिक शांति के लिए यहां हर साल हजारों आम व खास लोग आते हैं, लेकिन आश्रम की नजर में सभी समान होते हैं।

यहां खिंचे चले आए राजेंद्र, कलाम, इंदिरा व मोरारजी

योग विद्या के प्रचार-प्रसार के लिए आश्रम की व्यापक सराहना होती रही है। इससे प्रभावित होने वालों में शामिल न्यूजीलैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लिथ हालोस्की, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद व डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी व मोरारजी देसाई तो केवल उदाहरण मात्र हैं।

बाबा रामदेव ने भी की सराहना

राजनीतिज्ञों के अलावा योग गुरु बाबा रामदेव भी योगाश्रम से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके थे। उन्होंने आश्रम के प्रमुख स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को खुद से अधिक ज्ञानी बताते हुए कहा था कि 21वीं सदी योगज्ञान की होगी और भारत इसका मार्गदर्शक होगा। परमहंस मेंहीं दास ने भी योगाश्रम की सराहना की थी।

...और रिखिया चले गए स्वामी सत्यानंद

वर्ष 1972 में स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को योगाश्रम का अध्यक्ष व प्रधान गुरु बना कर सत्यानंद सरस्वती तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) में स्थित रिखिया चले गये। उन्होंने अपने जीवनकाल में बताया था कि रिखिया उनकी संन्यास दीक्षा का आश्रम है। इस क्षेत्र के अतिनिर्धन आदिवासी हजारों बच्चों-बड़ों को स्वामीजी ने काफी पिछड़ा पाकर उनकी सेवा और उत्थान का संकल्प लिया। यहां भी विशाल भूभाग में आश्रम तैयार हो गया। उन्होंने जीवनपर्यंत रिखिया के गांव-गांव के गरीब व उपेक्षित आदिवासी बच्चों को आश्रम में योगज्ञान के साथ परंपरागत शिक्षा देने के लिए विद्यालय चलाया।

केंद्र की मुहिम में शामिल नहीं आश्रम

दुर्भाग्य की बात तो यह है कि 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने की योजना में इस योग केंद्र को शामिल नहीं किया गया है। केंद्र सरकार ने पूरे भारत के प्रत्येक जिले में योग प्रशिक्षण केंद्र खोलने की योजना बनाई है। इसके लिए सरकार ने कई संस्थाओं को जिम्मेदारी भी सौंपी है, लेकिन मुंगेर के योग आश्रम को इस मुहिम में शामिल नहीं किया गया है।

नहीं पड़ता फर्क : वरिष्ठ संन्यासी व योगाश्रम के पूर्व कुलपति स्वामी शंकरानंद ने कहा कि केंद्र सरकार की मुहिम से अलग रखे जाने की जानकारी उन्हें नहीं है। उन्होंने योगाश्रम को इस मुहिम में शामिल किए जाने की जानकारी से भी इन्कार किया। स्वामी शंकरानंद के अनुसार इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता।

योग दिवस पर आश्रम में विशेष कार्यक्रम

21 जून को विश्व योग दिवस के अवसर पर योगाश्रम में भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। आश्रम ने 'परगना से घर के आंगन तक' योग का कार्यक्रम आयोजित किया है। इसकी विशेषता यह है कि इस अवसर पर शाम में भी एक घंटे का आयोजन किया जाएगा। योगाश्रम शहर में 77 जगहों पर भी प्रशिक्षण शिविर आयोजित करेगा।

खुद कर सकते योग : योगाश्रम ने लोगों से अपील की है कि सुबह छह बजे से एक घंटे के लिए अपने घर या सामुदायिक केंद्र की छत, बरामदे, आंगन या अन्य खुली जगह पर आसन और प्राणायाम करें। योगाश्रम के संदेश के अनुसार कोई भी व्यक्ति बिना किसी योग शिक्षक के भी इसे कर सकता है। सबसे पहले दो बार 'ओम' मंत्र का उच्चारण कर इसकी शुरूआत करें और अंत पांच चक्र 'सूर्य नमस्कार' से होगा।


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