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आइआइटी एडवांस : अनपढ़ किसान व गार्ड के बेटों ने लिखी अपनी तकदीर

मां-बाप ने उन्हें मेहनत-मजदूरी कर के पढ़ाया। उन्होंने भी बुलंद हौसले व मेहनत से अपनी तकदीर लिखने की ठान ली। आज परिणाम समाने है। बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद के संरक्षण में संचालित 'रहमानी 30' के दो छात्रों ने इतिहास रच दिया है।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 18 Jun 2015 08:30 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2015 08:35 PM (IST)
आइआइटी एडवांस : अनपढ़ किसान व गार्ड के बेटों ने लिखी अपनी तकदीर

पटना। मां-बाप ने उन्हें मेहनत-मजदूरी कर के पढ़ाया। उन्होंने भी बुलंद हौसले व मेहनत से अपनी तकदीर लिखने की ठान ली। आज परिणाम समाने है। बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद के संरक्षण में संचालित 'रहमानी 30' के दो छात्रों ने इतिहास रच दिया है। इनमें एक मामूली निजी सिक्यूरिटी गार्ड का बेटा है तो दूसरे के पिता अनपढ़ किसान हैं।

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इंजीनियर बनकर देश सेवा का लक्ष्य : कादिर नवाज भागलपुर का रहने वाले हैं। उनके पिता सरफराह खां एक निजी अस्पताल में महज तीन हजार रुपये वेतन पर गार्ड का काम करते हैं। खानदान में कोई भी शिक्षित नहीं है, लेकिन बेटे कादिर और आदिल की शिक्षा के प्रति रूझान देख मां शबनम परवीन ने उन्हें शिक्षा देने की ठान ली।

आज कादिर ने आइआइटी के लिए क्वालीफाई कर लिया है। कादिर इंजीनियर बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं।

पिता के प्रोत्साहन से मिली सफलता : अब्दुल अहद के किसान पिता नेसार अहमद अनपढ़ हैं। उन्होंने अपने दो बेटों अब्दुल अहद व अबू अदनान एवं एक बेटी साजिया नाज को पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया। वे महंगे ट्यूशन नहीं दिला सकते थे, लेकिन किताबों की कमी नहीं होने दी।

अब्दुल अहद ने भी ठान लिया कि वे पढ़-लिख कर घर वालों की गरीबी दूर करेंगे। आज उनकी सफलता से मां-बाप सहित पूरे परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है। अब्दुल अहद अपनी सफलता का श्रेय पिता के प्रोत्साहन को देते हैं।


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