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विधि-व्यवस्था व लाठीचार्ज को ले विधानमंडल में हंगामा

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदर्शनकारियों पर पिछले दिनों हुए लाठीचार्ज और प्रदेश में गिरती विधि-व्यवस्था एवं बढ़ते अपराध का मसला बिहार विधानमंडल में सोमवार को छाया रहा।

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2015 07:41 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 07:46 PM (IST)
विधि-व्यवस्था व लाठीचार्ज को ले विधानमंडल में हंगामा

पटना। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदर्शनकारियों पर पिछले दिनों हुए लाठीचार्ज और प्रदेश में गिरती विधि-व्यवस्था एवं बढ़ते अपराध का मसला बिहार विधानमंडल में सोमवार को छाया रहा। इन मसलों को लेकर विपक्षी दल भाजपा आक्रमक दिखी और नीतीश सरकार को निशाने पर लिया। दोनों सदनों के वेल में आकर भाजपा सदस्यों ने पुरजोर तरीके से सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और सरकार से इस्तीफा मांगा। अपनी मांगों के समर्थन में भाजपा सदस्य पोस्टर और तख्तियां लहराते रहे। रिपोर्टर टेबल को बार-बार पीटकर गुस्से का इजहार किया। विधानमंडल की प्रथम पाली की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई। दोनों सदनों की कार्यवाही बमुश्किल से पांच-दस मिनट तक चली और दो बार स्थगित हुई। द्वितीय पाली में कार्यवाही कमोबेश सामान्य रही।

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सोमवार को पूर्वाह्न 11 बजे बैठक आरंभ होने के पूर्व भाजपा के सदस्यों ने दोनों सदनों के गेट पर छात्रों पर लाठीचार्ज और राज्य में खराब विधि-व्यवस्था एवं बढ़ते अपराध को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया। कार्यवाही आरंभ होने पर भाजपा सदस्यों ने वेल में आकर तख्तियां लहराते हुए जबरदस्त हंगामा किया। भाजपा के अरुण शंकर प्रसाद, संजय सिंह टाइगर, प्रेम कुमार, संजय सरावगी और सुरेंद्र मेहता का विधि-व्यवस्था पर कार्यस्थगन प्रस्ताव था, जिसे अध्यक्ष ने नामंजूर कर दिया। अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने वेल में आए सदस्यों से अपनी-अपनी जगह पर जानकर बात कहने का आग्रह किया, लेकिन सदस्यों ने उनके आग्रह को दरकिनार कर दिया। सदन में हंगामा होता रहा।

प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने आसन से कहा कि राज्य में विधि-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। सरकार जान-माल की सुरक्षा के लिए होती है, लेकिन यह सरकार जनता की सुरक्षा में फेल है। संगठित अपराध से राज्य तबाह हो रहा है। ऐसी सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है। सरकार तत्काल इस्तीफा दे। उन्होंने आरोप लगाया कि राजद के समर्थन से चल रही जदयू सरकार में अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने का दम नहीं दिखता है। अपराधियों के हौसले बुलंद है और पुलिस अफसर राजनीतिक दबाव में अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। भाजपा नेताओं पर आए दिन संरक्षित अपराधी हमले कर रहे हैं। अपराधियों को दबोचने के बदले जुलूस में शामिल छात्रों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया जा रहा है। इस गंभीर मसले पर सदन में चर्चा होनी चाहिए और सरकार को जवाब देना चाहिए।

इस पर प्रभारी गृह मंत्री विजय कुमार चौधरी ने आसन से मुखातिब होते हुए कहा कि विपक्ष क्या चाहता है? कार्य संचालन नियमावली के तहत विपक्ष कोई विषय को उठाए तो सरकार सदन में चर्चा कराने को तैयार है और विपक्ष के हर सवाल को जबाव भी देगी, मगर सदन में हंगामा करके विपक्ष के लोग कौन-सा लोकतंत्र चाह रहे हैं! सिर्फ सदन की कार्यवाही में बाधा खड़ा कर आखिर किस परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं! इनके नारे लगाने से सरकार इस्तीफा नहीं देगी। हंगामे के कारण अध्यक्ष ने मात्र दस मिनट के बाद सदन की कार्यवाही दिन के 12:30 बजे तक स्थगित कर दी। दोबारा जब सदन में शून्यकाल शुरू हुआ तो भाजपा सदस्य वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। पांच मिनट के अंदर सदन की कार्यवाही भोजनावकाश तक के लिए स्थगित हो गई।

विधान परिषद में भी उपरोक्त मुद्दे पर वेल में आए भाजपा सदस्यों ने हंगामा किया। सभापति अवधेश नारायण सिंह ने हंगामे के कारण शुरुआत के दो मिनट बाद ही सदन की कार्यवाही अंतराल तक के लिए स्थगित कर दी। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा सदस्यों ने विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज का मामला उठाया। भाजपा के वैद्यनाथ प्रसाद ने कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया था, जिसको सभापति ने अस्वीकृत कर दिया।


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