जल्ला का ग्रीन-बेल्ट जोन टाउनशिप में तब्दील
अनिल कुमार, पटना सिटी। आलू-प्याज व हरी सब्जियों के बंपर उत्पादन के लिए राज्य भर में प्रसिद्ध पू
अनिल कुमार, पटना सिटी।
आलू-प्याज व हरी सब्जियों के बंपर उत्पादन के लिए राज्य भर में प्रसिद्ध पूर्वी पटना के दक्षिण में बसा जल्ला क्षेत्र अब तेजी से टाउनशिप विकसित हो रहा है। खेती में बढ़ती लागत और मुनाफे में कमी की वजह से किसान भी जमीन का सौदा कर पुश्तैनी कार्यो से तौबा करने में ही अपनी ज्यादा भलाई समझ रहे हैं।
-पचास हजार बिगहे में था जल्ला क्षेत्र
लगभग पचास हजार बिगहा के रकबा में फैले जल्ला क्षेत्र में 46 गांव बसे थे। हालांकि, पटना शहरी क्षेत्र के तेज विस्तार में अब कई गांव केवल नाम के ही रह गए हैं। ऊंची इमारतें और चिमनियों से उगलते धुएं क्षेत्र के बदलाव की गाथा कह रहे हैं।
-अंग्रेजों ने घोषित किया था ग्रीन बेल्ट
पुनपुन व बरमुत्ता नाला से घिरे पटना के दक्षिणी भाग को अंग्रेजी हुकूमत ने ग्रीन बेल्ट घोषित किया था। क्षेत्र के पुराने बाशिंदे व नगर निगम के पूर्व महापौर चंद्रमोहन प्रसाद ने बताया कि जल्ला क्षेत्र की सात पंचायत मर्चा-मर्ची, महुली, खानपुर, सोनावां, कोठिया, सबलपुर व फतेहपुर को मिलाकर पचास हजार बिगहा क्षेत्र को सब्जी व आलू-प्याज के उत्पादन के लिए अधिसूचित किया गया था। हालांकि, वर्ष 1990 में ग्रीन-बेल्ट की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया और धड़ाधड़ जमीन बिकने लगी।
-आसमान छू रही जमीन की कीमत
जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं। खेती व रीयल स्टेट के धंधे से जुड़े लोगों ने बताया कि मेन बाइपास के आसपास 40 से 50 लाख रुपए, लिंक रोड पर 25 से 30 लाख रुपए व अंदर में 6 से 15 लाख रुपए प्रति कट्ठा की दर से जमीन बिक रही है।
-खेती में मुनाफा गोल
किसान बताते हैं कि खाद व बीज की बढ़ती कीमतें तथा मजदूरों का मेहनताना आसमान छूने के कारण खेती अब घाटे का सौदा होने लगी है। कृषक बताते हैं कि अधिकांश किसान आलू व प्याज की खेती करते हैं। दिन भर खेतों में काम करने के मजदूर चार सौ रुपए मांगते हैं। वहीं, मौसम भी कई बार दगा दे जाता है। ऐसे में पूंजी और मेहनत के बाद भी किसानों को अपेक्षित फायदा नहीं मिल पाता।