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विज्ञान के प्रति जागरूकता बढ़ाना है शगल

देखने में वे एकदम साधारण हैैं। सामान्य वेश भूषा में उन्हें देखकर नहीं लगेगा कि इनमें बच्चों में वैज्ञानिक प्रतिभा जागृत करने का जुनून है। भौतिकी जैसे नीरस माने जाने वाले विषय को किशोर बच्चों के दिमाग में रुचिकर ढंग से भरने की कला में वे माहिर हैैं।

By Mrityunjay Kumar Edited By: Published: Fri, 19 Dec 2014 10:46 AM (IST)Updated: Fri, 19 Dec 2014 11:01 AM (IST)
विज्ञान के प्रति जागरूकता बढ़ाना है शगल

सिवान (प्रमोद पांडेय ) : देखने में वे एकदम साधारण हैैं। सामान्य वेश भूषा में उन्हें देखकर नहीं लगेगा कि इनमें बच्चों में वैज्ञानिक प्रतिभा जागृत करने का जुनून है। भौतिकी जैसे नीरस माने जाने वाले विषय को किशोर बच्चों के दिमाग में रुचिकर ढंग से भरने की कला में वे माहिर हैैं। इस संकल्प शक्ति ने ही उन्हें सिवान में बाल प्रतिभाओं का पोषक व संरक्षक बना दिया है। गांव हो या शहर, स्कूल-स्कूल में घूमकर वे बच्चों में विज्ञान को लोकप्रिय करने के अभियान में लगे हुए हैैं। भारत सरकार के अभियान 'विज्ञान प्रसारÓ के तत्वावधान में वे फरवरी में प्रस्तावित विज्ञान चलचित्र प्रदर्शनी की तैयारी में जुटे हैैं। इसके लिए बच्चे रात-दिन मेहनत कर रहे हैैं। चयनित बच्चे 4 से 6 फरवरी 2015 तक रीजनल विज्ञान केंद्र लखनऊ जाएंगे। सिवान के माध्यमिक स्तर के सरकारी स्कूल हों या निजी, सब जगह वे बच्चों में अपना कार्यक्रम देते रहते हैैं। हर रविवार को वे अपने घर पर बच्चों में वैज्ञानिकता का पुट भरते हैैं। वैज्ञानिकों की कहानियां सुनाई जाती हैैं, प्रयोग कराए जाते हैैं।

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भौतिकी में स्नातकोत्तर (एमएससी) की उपाधिप्राप्त सिवान के दक्खिन टोला निवासी राजीव रंजन कभी कंप्यूटर के व्यवसाय से जुड़े थे। लेकिन वर्ष 2004 को भारत सरकार की ओर से 'वैज्ञानिक जागरूकता वर्ष' और 2005 को 'अंतरराष्ट्रीय भौतिकी वर्ष' के रूप में मान्यता ने उनकी सोच बदल दी। इसके बाद वे इस अभियान से जुड़े और आज पूरे इलाके में उनकी पहचान बाल वैज्ञानिकों की परख करने वाले के रूप में है।

उनके नेतृत्व में सिवान के विभिन्न विद्यालयों के बच्चे साइंस सिटी कोलकाता, बिड़ला आडिटोरियम कोलकाता, भौतिकी संस्थान भुवनेश्वर, रीजनल साइंस सेंटर लखनऊ और श्रीकृष्ण विज्ञान सेंटर पटना और तारामंडल पटना का कई बार दौरा कर चुके हैैं। मई 2014 में वे बिहार की एकमात्र बालिका वैज्ञानिक सिवान की मेघारंजन के साथ उसके मेंटर के रूप में गुजरात के गोधरा भी गए थे। 16 सितंबर को नेशनल एक्सपेरिमेंंटल स्कील टेस्ट के लिए कानपुर आइआइटी के दौरे पर गए सिवान के बाल वैज्ञानिक हिमांशु राज के साथ वहां भी गए जिसमें हिमांशु का चयन हुआ था। वे तंजानिया की राजधानी दारे सलम में स्थित सीबीएसई के एकमात्र स्कूल में दस दिन के विशेष दौरे पर बच्चों को भौतिकी का अध्यापन भी करा चुके हैैं।

राजीव रंजन आइआइटी कानपुर के तत्वावधान में संचालित 'नानी' (नेशनल अन्वेषिका नेटवर्क आफ इंडिया) प्रोजेक्ट के रिसोर्स पर्सन के रूप में भी चयनित हैैं। यह प्रोजेक्ट बच्चों में वैज्ञानिक प्रयोगों को समझने, उन्हें इसके लिए प्रेरित करने का काम करता है। वैज्ञानिक सह भौतिकवेत्ता प्रो.हरिश्चंद्र वर्मा के नेतृत्व में चल रहा यह प्रोजेक्ट फिलहाल देश में 19 स्थानों से संचालित हो रहा है और सिवान में इस प्रोजेक्ट को पांच साल गुजर गए। इस दौरान करीब 500 बच्चों में वैज्ञानिक शोधों के प्रति रुचि जागृत की गई है। 2011 में सिवान में नानी प्रोजेक्ट के तहत ज्ञानविज्ञान मेला लगा था जिसमें बिहार व झारखंड के 200 से ज्यादा बालवैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया था। राजीव इसमें निर्णायक की भूमिका में थे।

अपने अभियान के बारे में राजीव रंजन कहते हैैं- वैज्ञानिक प्रतिभाएं बचपन में ही दिखने लगती हैैं। सही समय पर उनकी पहचान जरूरी है। पूरे देश में वैज्ञानिक सोच विकसित करने की मिसाइल मैन डा.एपीजे अब्दुल कलाम की अपील ने उन्हें प्रभावित किया और आज इस अभियान को ही जीवन का उद्देश्य बनाकर वे खुश हैैं। इसी कारण उन्होंने कहीं नौकरी नहीं की। उन्हें अपने पिता व डीएवी कालेज में भौतिकी के प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त डा.विंदेश्वरी प्रसाद व नगर पालिका मध्य विद्यालय की प्रधानाध्यापिका रहीं (अब दिवंगत) श्रीमती सुमांती देवी का पूरा समर्थन मिला। घर का खर्च शिक्षिका पत्नी शारदा रंजन उठाती हैैं और राजीव स्कूलों में घूम घूम कर बच्चों में विज्ञान का प्रचार करते हैैं। घर का वातावरण भी विज्ञान का ही है। बड़ा बेटा इंजीनियरिंग के फाइनल इयर व छोटा बेटा एमसीए के प्रथम सेमेस्टर में है।


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