अब बिल्डिंग निर्माण में बड़ा घोटाला
पटना : दवा और मेडिकल उपकरणों की खरीद में हुए घोटाले के बाद अब बिल्डिंग निर्माण में हुआ बड़ा घोटाला सामने आया है। महालेखाकार(एजी) ने बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कारपोरेशन लिमिटेड(बीएमएसआइसीएल) द्वारा भवन निर्माण के लिए दिए गए ठेके में 8.62 करोड़ की अनियमितता पाई है। पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार को एजी रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अंगुली उठाई है। उन्होंने कहा कि जब यह घोटाला हुआ तब स्वास्थ्य विभाग तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रभार में था।
मोदी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एजी ने अपनी 20 अगस्त, 2014 की रिपोर्ट में कहा है कि भवन निर्माण में 4.78 करोड़ से 8.62 करोड़ रुपये की अनियमितता पाई गई है। बीएमएसआइसी द्वारा जिला परियोजना प्रबंध के कार्यालय सह आवास बनाए गए। 38 में से 23 जिलों में इनके निर्माण का जिम्मा एकल निविदा के आधार पर ठेकेदारों को दिया गया। चिकित्सा पदाधिकारियों एवं नर्सो के आवास के 49 कांट्रैक्ट में से 21 एकल निविदा के आधार पर निपटा दिए गए। 12 में से 5 ड्रग वेयर हाउस के निर्माण की मंजूरी भी एकल निविदा पर दी गई। प्रत्येक ड्रग वेयर हाउस 45.25 लाख रुपये की लागत से बनना है। मोदी ने बताया कि कितनी संख्या में ये भवन बनने थे, इसकी तकनीकी स्वीकृति भी नहीं ली गई। निजी कन्सल्टेंट की मापी के आधार पर भुगतान कर दिया गया जबकि कारपोरेशन के तकनीकी अधिकारियों द्वारा इसे क्रास-चेक किया जाना चाहिए था। एजी ने इस बात पर भी कड़ी आपत्ति जताई है कि प्राक्कलन की तकनीकी स्वीकृति महज इस कारण नहीं ली गई क्योंकि मुख्य महाप्रबंध का पद रिक्त था। पीडब्लूडी कोड की नियमावली 163 के अनुसार एकल निविदा के मामले में फैसला निर्णय लेने वाली समिति से एक रैंक उपर के पदधारक ले सकते हैं। टेंडर को फाइनल करने वाली समिति के अध्यक्ष कारपारेशन के एमडी थे। यह गैर तकनीकी पद है और यह एक पद ऊपर स्वीकार नहीं किया जा सकता। मोदी ने कहा कि दवा एवं उपकरण घोटाले की तरह इस प्रकरण की भी सीबीआइ से जांच कराई जाए। संवाददाता सम्मेलन में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय, संजय मयूख एवं सुधीर शर्मा भी मौजूद थे।