नेपाली डालडा से बनता है नकली देसी घी
पटना : नेपाली डालडा, सोयाबीन का तेल, सफेद पाउडर के दूध की क्रीम, केमिकल और सेंट से बनता है नकली देसी घी। नकली घी बनाने में सबसे ज्यादा नेपाली डालडा का इस्तेमाल किया जाता है। नेपाली डालडा को धीमी आंच पर एक घंटे तक भूनने के बाद सोंधी-सोंधी खुशबू आने लगती है। फिर, अन्य सामग्रियों को मिलाकर तैयार किए जाने वाले नकली घी को शुद्ध देसी घी के नाम पर डिब्बे में पैक कर खुले बाजार में बेच दिया जाता है। पिघलने के बाद नकली होने का पता न चले, इसलिए उसमें फ्लेवर और सेंट डाला जाता है।सीमांत इलाकों से आता है नेपाली डालडा: नेपाली डालडा सीमांत इलाकों से पुलिस व कस्टम की नजरों से बचाकर राजधानी में आता है। फिर यहां उसे विभिन्न कंपनियों के नाम से दूसरे डिब्बे में डाल दिया जाता है। इसके बाद नेपाली डालडा प्रदेश और आसपास के राज्यों में भेजा जाता है। पटना में नेपाली डालडा की सबसे बड़ी मंडी मीठापुर में है। सफेदपोशों की मदद से गोरखधंधा करने वाले दिन दूनी- रात चौगुनी आमदनी कर रहे हैं।दूध मार्केट में बिकती है सफेद पाउडर की क्रीम: सफेद पाउडर से बनी दूध की क्रीम स्टेशन के पास दूध मार्केट में उपलब्ध है। नकली घी बनाने वाले ज्यादातर कारोबारी इसी मार्केट से क्रीम खरीदते हैं। इसका खुलासा लगभग दो साल पहले बड़े पैमाने पर हुई छापेमारी के दौरान पकड़े गए नकली घी के कारोबारियों ने किया था। इसके बाद खाद्य विभाग व पुलिस की संयुक्त टीम ने मार्केट में छापेमारी की थी।
पर्व-त्योहारों में खूब बिकता है नकली घी:अक्सर देखा गया है कि पर्व-त्योहारों के मौसम में नामी कंपनियों के माल की किल्लत हो जाती है। तब नकली घी का काला कारोबार जोरों पर फलने-फूलने लगता है। तरह-तरह की कंपनियां बाजार में नजर आने लगती है। कुछ कारोबारी तो नामी कंपनियों के डिब्बे में नकली घी डालकर सप्लाई करते हैं।
ऐसे बनता है नकली घी
स्वाद और गंध के लिए घी फ्लेवर।
हाइड्रो कार्बन केमिकल और जेजू नामक सेंट।
घी को दानेदार बनाने के लिए सोयाबीन का तेल और नेपाली डालडा।
करते थे।