Move to Jagran APP

प्रदेश के 29 जिलों में सामान्य से बहुत कम बारिश

By Edited By: Published: Sat, 02 Aug 2014 11:07 AM (IST)Updated: Sat, 02 Aug 2014 11:07 AM (IST)
प्रदेश के 29 जिलों में सामान्य से बहुत कम बारिश

पटना : जून व जुलाई बीत गया, लेकिन सूबे में बारिश के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। किसान आकाश की ओर नजर लगाए हैं कि शायद भगवान इन्द्र की कृपा हो और बारिश की बूंदें गिरे। बारिश के अभाव में खेतों में धान की रोपनी नहीं हो पा रही है। प्रदेश में धान रोपनी की अवधि समाप्त हो गई है, पर अब तक मात्र 50 फीसद खेतों में ही बिचड़ा लग पाया है। राज्य में मानसून आगमन के डेढ़ माह बीत गए, मगर कभी भी झमाझम बारिश नहीं हुई। प्रदेश के 29 जिलों में सामान्य से बहुत कम बारिश हुई है। मात्र 9 जिलों में ही सामान्य बारिश हुई है।

loksabha election banner

अब तक 27 प्रतिशत कम हुई बारिश

पटना मौसम विज्ञान केन्द्र के निदेशक एके सेन का कहना है कि एक अगस्त तक सूबे में 520 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन अब तक मात्र 389 मिलीमीटर बारिश हुई है। सूबे में अब तक औसतन 27 मिलीमीटर कम बारिश रिकार्ड की गई है। राज्य के पूर्वी क्षेत्र में अच्छी बारिश हुई है तो पश्चिमी क्षेत्र में बहुत कम।

बक्सर में सबसे कम वर्षा

प्रदेश में सबसे कम बारिश बक्सर जिले में हुई है। बक्सर में एक अगस्त तक सामान्य से 80 प्रतिशत कम बारिश रिकार्ड की गई है। सबसे अधिक बारिश बेगूसराय जिले में हुई है। बेगूसराय में सामान्य से 61 प्रतिशत ज्यादा बारिश रिकार्ड की गई है। पूर्वी बिहार के मात्र नौ जिले ही ऐसे हैं जहां सामान्य से ज्यादा बारिश रिकार्ड की गयी है।

कल से बारिश के आसार

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि तीन अगस्त से सूबे में बारिश के आसार बन रहे हैं। वर्तमान में बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है, जिससे सूबे के आकाश में काले बादल दिखाई पड़ रहे हैं। दक्षिण-पश्चिम मानसून भी धीरे-धीरे सक्रिय हो रहा है। मानसून के सक्रिय होने के बाद प्रदेश में बारिश हो सकती है।

50 प्रतिशत हो पाई धान की रोपनी

राज्य में अब तक मात्र 50 प्रतिशत धान की रोपनी हो पाई है जबकि 27 जुलाई तक प्रदेश में रोपनी समाप्त हो जानी चाहिए थी। कम अवधि वाली धान की किस्में 10 अगस्त तक लगाई जा सकती हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी भी झमाझम बारिश हो तो किसानों का बहुतहद तक भला हो सकता है। किसानों के पास बिचड़ा है, जिसे खेतों में लगा सकते हैं। लेकिन बारिश कम होने की स्थिति में खेत परती छोड़ने के सिवा किसानों के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं दिखाई पड़ रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.