छात्रवृत्ति के मसले पर पीएम से बात करेंगे मांझी
पटना : पिछड़े, अति पिछड़े वर्ग के छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति का मामला आज विधानसभा पहुंच गया। कल विधान परिषद में इसी मसले पर जदयू-भाजपा के सदस्य टकराए थे। शुक्रवार पिछड़े, अति पिछड़े छात्रों की हकमारी का आरोप लगाते हुए भाजपा सदस्यों ने विधानसभा के प्रवेश द्वार पर प्रदर्शन किया। प्रश्नोत्तरकाल के बाद विधानसभा के वेल में भी जाकर हंगामा किया। सदन में नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव ने इस मसले पर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था। जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सरकार का पक्ष रखा। सदन में मौजूद मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि वे इस मसले पर प्रधानमंत्री से एक दौर की बात कर चुके हैं। सत्र के बाद पुन: दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री से मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि मैं पहले इसी विभाग का मंत्री था। तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस मसले पर बात भी हुई थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2012-13 और 13-14 में एक-डेढ़ लाख आवेदन छात्रवृत्ति के लिए आते थे। इसमें अप्रत्याशित वृद्धि हो गई। करीब पांच लाख आवेदन आ रहे हैं। इस हिसाब से इस मद में 1300 करोड़ रुपये देने पड़ते। केंद्र और राज्य सरकार दोनों की इसमें आधा-आधा की हिस्सेदारी है। पिछले तीन साल से केंद्र से प्रयास कर रहे थे। केंद्र सरकार सिर्फ 80 करोड़ रुपये देती है। इस हिसाब से सिर्फ 160 करोड़ का गुंजाइश होता जो ऊंट के मुंह में जीरा के समान होगा। हमने अभी 300 करोड़ दिया। इससे भी काम नहीं चल रहा था। उन्होंने कहा कि इस में भी रैकेट चल रहा था। संबद्धता प्राप्त संस्थान दो-तीन लाख रुपये ले ते थे। हमने मानदंड तय किया कि सभी राज्य में शिक्षण, पुस्तक, हास्टल का जो सरकारी शुल्क है उसी हिसाब से निजी तकनीकी संस्थानों में पढ़ने वालों को भी छात्रवृत्ति की राशि दी जाएगी। यह राशि 15 से 40 हजार रुपये बैठती है। अभी राज्य सरकार ने इस मद में 550 करोड़ रुपये दिया है। प्रधानमंत्री से इस मसले पर पुन: सत्र के बाद मिलेंगे। हम 350 करोड़ देते हैं उतना ही केंद्र से मिलता है तो राशि 700 करोड़ हो जाती है। यह भी कम पड़ेगा। हम और पैसे देंगे। इसके पूर्व प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने इस मामले की चर्चा करते हुए कहा कि पिछड़ा-अति पिछड़ा छात्रों की छात्रवृत्ति की राशि में कटौती कर दी गई है। पोस्ट मैट्रिक छात्रों को पहले एक लाख रुपये मिलते थे। 2012-13 में सरकार ने इसे घटाकर 75 हजार रुपये कर दिया। 2013-14 में यह राशि 15 हजार रुपये हो गई। चालू वर्ष में सिर्फ सरकारी शिक्षण शुल्क सिर्फ दो-तीन हजार रुपये होता है। इस क्रम में यादव ने इसी माह 14 जुलाई के राज्य सरकार के पत्र का हवाला दिया। कहा कि इससे छात्रों को आगे पढ़ने में कठिनाई हो रही है। पूर्ववर्ती केंद्र की यूपीए सरकार ने राशि में कटौती कर दी है। उसका असर पड़ रहा है। राज्य सरकार अपनी ओर से राशि की व्यवस्था करते हुए पूर्व की भांति छात्रवृत्ति दे।
जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि महत्वपूर्ण मामला है। यह केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त योजना है। 50:50 फीसद खर्च वहन करना होता है। इससे 98 लाख पिछड़े अति पिछड़े राज्य के बाहर और भीतर पढ़ने वाले छात्रों को लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 300 करोड़ का उपबंध किया है। केंद्र से अपेक्षित राशि नहीं मिलने के कारण पिछले साल छात्रों को राशि मिलने में कठिनाई हुई हुई। सरकार ने निर्णय कर लिया है कि न सिर्फ चालू वर्ष के लिए बल्कि पिछले साल के छूटे हुए लोगों को भी छात्रवृत्ति की राशि देंगे। पहले राशि देने की सीमा थी अब उस सीमा को हटा दिया है। सरकारी के साथ निजी तकनीकी संस्थानों में पढ़ने वालों को भी छात्रवृत्ति मिलेगी। अब तो शिक्षण शुल्क के साथ हॉस्टल का शुल्क भी देने जा रहे हैं। तीन दिन पूर्व इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। सरकार का ऐतिहासिक निर्णय है। नेता प्रतिपक्ष ने जब एक लाख की राशि घटाने का सवाल पुन: उछाला तब मुख्यमंत्री ने सफाई दी। उसके बाद भाजपा सदस्य पिछड़े-अति पिछड़े की हमारी से संबंधित पोस्टर लेकर वेल में पहुंच सरकार विरोधी नारे लगाने लगे। हंगामा देख अध्यक्ष ने 12.25 में सदन की बैठक भोजनावकाश के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।