आईजीआईएमएस व बेतिया मेडिकल कालेज को मिले मान्यता
जागरण ब्यूरो, पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद को पत्र लिखकर आइजीआइएमएस व बेतिया मेडिकल कालेज को मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया की अनुमति मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। अपने पत्र में कुमार ने कहा कि एमसीआइ की टीम ने जिन खामियों की तरफ इशारा किया है वे तय सीमा के भीतर हैं। इन्हें जल्द से जल्द दूर कर लिया जाएगा।
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान का जिक्र करते हुए कुमार ने कहा कि यहां कई पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स सफलतापूर्वक चलाए जा रहे हैं। इनके लिए एमसीआई व डिप्लोमैट नेशनल बोर्ड से अनुमति मिली हुई है। इस संस्थान में एमसीआइ ने एमबीबीएस के दो बैच के प्रवेश की अनुमति भी दी है। संस्थान में तीसरे बैच के प्रवेश की अनुमति न देने के पीछे फैकेल्टी और रेजीडेंट की कमी को वजह बताया गया है। 12 जून को बोर्ड आफ गवर्नर की बैठक में संस्थान के निदेशक ने इन कमियों को दूर करने की दिशा में उठाए जा रहे कदमों का ब्योरा दिया है। बैठक में ही निदेशक ने मुख्यसचिव का पत्र दिया जिसमें उन्होंने एक निश्चित अवधि के भीतर कमियों को दूर करने की बात कही है। मुख्यसचिव इस मामले को पूरी गंभीरता से देख रहे हैं। संबंधित अधिकारियों को मैने खुद इस दिशा में निर्देश दिया है। जहां तक बेतिया मेडिकल कालेज की बात है, इसे राज्य सरकार ने 2007 में अनुमति दी थी। यहां पर्याप्त संख्या में शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की बहाली की गयी है। बहाली का क्रम अभी जारी है। इससे एक बड़े जिला अस्पताल को भी जोड़ दिया गया है। एमसीआई ने यहां जिन कमियों की तरफ इशारा किया है उनमें से अधिकांश को दूर कर लिया गया है। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव का पत्र भी बोर्ड आफ गवर्नर की बैठक में दिया जा चुका है। कुमार ने कहा कि एमसीआई की वेबसाइट पर लोड की गयी 18 जून की बैठक की कार्रवाई से ऐसा लगता है कि आइजीआइएमएस और बेतिया मेडिकल कालेज की सौ-सौ सीटों पर प्रवेश की अनुमति नहीं दी गयी है। मुझे इस बात का आश्चर्य है कि एमसीआई की उसी मीटिंग में संबंधित मुख्य सचिव व स्वास्थ्य सचिव के पत्रों के आधार पर अन्य मेडिकल कालेजों को अनुमति दी गयी है।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का ध्यान बिहार में मेडिकल कालेज की कमी की तरफ भी दिलाया। उन्होंने कहा कि आबादी के अनुसार राज्य में बीस मेडिकल कालेज की जरूरत है। जबकि यहां अभी सात मेडिकल कालेज ही हैं। इस हालत में भारत सरकार और एमसीआइ को यहां और मेडिकल कालेज खोलने की अनुमति पर विचार करना चाहिए। बिहार को राष्ट्रीय औसत पर लाने के लिए यहां मेडिकल की सीटें भी बढ़ाई जानी चाहिए। कुमार ने सभी कमियों को जल्द से जल्द दूर करने का भरोसा दिलाते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मामले में व्यक्तिगत रुचि लेने का अनुरोध भी किया।
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