'दिल्ली' करेगी अल्पसंख्यक योजनाओं की मानीटरिंग
जागरण ब्यूरो, पटना
केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के. रहमान खान ने कहा कि बिहार में अल्पसंख्यक कल्याण से जुड़ी केंद्र प्रायोजित योजनाओं की मानीटरिंग केंद्र सरकार (दिल्ली) खुद कराएगी। इसके लिए नई व्यवस्था होगी। संपर्क पदाधिकारी तैनात किए जाएंगे। स्वयंसेवी संगठनों का सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्यों में मुख्य सचिव और जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में पहले से केंद्र प्रायोजित अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं की मानीटरिंग के लिए कमेटी है मगर वे ठीक से काम नहीं कर रहे। रहमान, बुधवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि 11 वीं पंचवर्षीय योजना में अल्पसंख्यक बहुल सात जिलों में इनके कल्याण से जुड़ी योजनाओं के लिए 500 करोड़ का प्रावधान किया गया था । 12 वीं योजना में 20 जिलों में इसका क्रियान्वयन होगा और इसके लिए करीब 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान होगा। इस मौके पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी, मीडिया प्रभारी प्रेमचंद मिश्र, सरवत जहां फातमा, नजरूल हसन नजमी आदि मौजूद थे। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी ने अल्पसंख्यक योजनाओं से संबंधित विस्तृत मांग पत्र देते हुए मुख्यमंत्री से इस मसले पर वार्ता की अपेक्षा की। रहमान, गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बैठक कर अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं की समीक्षा करेंगे।
कांग्रेस को 'सेक्युलराइटिस' हो गया है? भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया जाहिर करने से परहेज करते हुए अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री खान ने कहा कि वे परेशान हैं। कल तक अल्पसंख्यक शब्द से नफरत करते थे आज इसके नाम पर सम्मेलन कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ की। उनको अच्छा और सेक्युलर बताया। कहा कि मुल्क में सेक्युलरिज्म कांग्रेस की ही देन है। 2004 में यूपीए के गठन के बाद अल्पसंख्यकों को हक दिलाने के लिए सच्चर कमेटी बनी। उसकी रिपोर्ट को लागू किया गया। आज जरूरत है कि अल्पसंख्यकों से जुड़ी योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार हो। प्रदेश अध्यक्ष से इसमें सहयोग करने, प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन कर लोगों को इसकी जानकारी देने को कहा। उन्होंने कहा कि लगता है कि अल्पसंख्यक कल्याण से जुड़ी योजनाएं राज्य सरकार ही चला रही है, केंद्र की कोई भूमिका नहीं है, जबकि ऐसा है नहीं। इंदिरा आवास में भी 15 फीसद अल्पसंख्यकों के लिए प्रावधान है मगर लोगों में जानकारी का अभाव है।
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