उद्योग के लिए अब निजी जमीन का सहारा
जागरण ब्यूरो, पटना
राज्य सरकार ने उद्योग इकाइयों को निजी जमीन मुहैया कराने निर्णय लिया है। जमीन का विधिवत अधिग्रहण नहीं किया जाएगा बल्कि भू-स्वामी खुद ही इसे औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित करेंगे और इसे निवेशकों को उपलब्ध कराएंगे। ऐसे पार्क विकसित करने के लिए उद्योग विभाग उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करेगा। इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए उद्योग विभाग ने नीति तैयार कर ली है, जिसकी घोषणा इस माह के अंत में की जाएगी।
सूत्रों ने बताया कि निजी जमीन के मालिकों की ओर से इस संबंध में आए दो प्रस्तावों को देखने के बाद उद्योग विभाग ने यह नीति बनाने का निर्णय लिया है। ये प्रस्ताव मोकामा और मधेपुरा के निजी जमीन मालिकों की ओर से आए हैं। नीति बनाते समय उद्योग संगठनों जैसे बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन, बिहार चैम्बर्स आफ कामर्स, सीआइआइ आदि से सुझाव भी लिए गए हैं।
दरअसल, विभाग इस बात से चिंतित है कि पिछले सात सालों में तीन लाख करोड़ से अधिक के निवेश के प्रस्ताव आने के बावजूद प्रदेश में करीब 12 हजार करोड़ का ही निवेश हो पाया है। एक भी बड़ी इंडस्ट्री नहीं आ सकी है। विभाग का मानना है कि बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार (बियाडा) के पास पर्याप्त जमीन नहीं है। इसके अलावा अधिकांश निवेशक पटना या इसके आसपास ही जमीन चाहते हैं। ऐसे में निजी औद्योगिक पार्क समस्या का बहुत हद तक समाधान कर सकते हैं। निजी औद्योगिक पार्क में बियाडा का कोई दखल नहीं होगा, बल्कि भू-स्वामी ही इसका संचालन करेंगे।
उद्योग विभाग ने खुद का अपना औद्योगिक पार्क बनाने की दिशा में भी प्रयास शुरू किया है। नालंदा, भागलपुर, बक्सर, लखीसराय, बांका, मधेपुरा और बेगूसराय में औद्योगिक पार्क बनाने की पूर्व में की गई घोषणा को सरजमीन पर उतारने की दिशा में पहल की जा रही है। संबंधित जिलाधिकारियों से जमीन का अधिग्रहण करने का आग्रह विभाग ने किया है। उद्योग विभाग को इन पार्को को विकसित करने के लिए 4,547 एकड़ भूमि की आवश्यकता पड़ेगी। वैसे विभाग को हर जिले में छोटे-छोटेऔद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की दिशा में अबतक कामयाबी नहीं मिली है। जिलाधिकारियों को इस कार्य के लिए 25-100 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने का निर्देश दिया गया था।
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