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स्कूल से बाहर के बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद

जिले के स्कूलों से बाहर के 8 से 10 वर्ष तक बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद तेज कर दी गई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Mar 2017 03:06 AM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2017 03:06 AM (IST)
स्कूल से बाहर के बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद
स्कूल से बाहर के बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद

नवादा। जिले के स्कूलों से बाहर के 8 से 10 वर्ष तक बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद तेज कर दी गई है। सर्व शिक्षा अभियान बिहार शिक्षा परियोजना द्वारा गैर आवासीय व आवासीय केन्द्रों के माध्यम से इसे गति दिया जाना है। ऐसे बच्चों को अक्षर ज्ञान देने के साथ ही उन्हें उम्र सापेक्ष वर्ग में नामांकन की सुविधा प्रदान की जाएगी।

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- 1681 बच्चों को किया जा रहा शिक्षित

-175 विद्यालयों में हो रही पढ़ाई

- 500 रुपये का पाठ्य सामग्री का वितरण

-08 आवासीय विद्यालय का हो रहा संचालन

1681 बच्चों को किया जा रहा शिक्षित

- वर्ष 2016-17 सत्र के लिए जिले के चयनित 175 विद्यालयों में 1681 बच्चों को शिक्षित करने का कार्य किया जा रहा है। विद्यालय अवधि के पहले या फिर बाद में केंद्र को संचालित करने के साथ ही विद्यालय अवधि में भी इन अनामांकित बच्चों को पढ़ाई करने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा इस प्रकार के केंद्रों की स्थापना की गई है। गैर आवासीय केंद्रों पर पढ़ने वाले अनामांकित बच्चों को प्रति छात्र 500 रूपये मूल्य की पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई गई है। केंद्र संचालन के लिए शिक्षकों को अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है।

आठ आवासीय केंद्रों का किया जा रहा संचालन

- जिले में अनामांकित बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिये फिलहाल आठ आवासीय केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। इन केन्द्रों में नौ माह तक के प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्हें उम्र सापेक्ष स्थानीय विद्यालयों में नामांकन कराया जाना है। फिलहाल जिले के सिरदला, रजौली के करिगांव व मरमो, कौआकोल के फूलडीह, वारिसलीगंज के मंजौर व शेरपुर, हिसुआ के तुंगी व अकबरपुर के फरहा मध्य विद्यालयों में आवासीय केंद्र संचालित है।

स्वयं सेवकों के माध्यम से दी जा रही शिक्षा

- आवासीय केंद्रों में 24 घंटे रहने, खाने आदि की व्यवस्था की गई है। जहां नौ माह तक इनका संचालन किया जा सकेगा। इसके संचालन पर साढ़े सात लाख रुपये खर्च किए जाने हैं। संचालन की जिम्मेवारी संबंधित विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को सौंपी गई है। इसके लिये अलग से प्रति माह 4500 रुपये के मानदेय पर नौ माह तक के लिए शिक्षा सवयंसेवकों की प्रतिनियुक्ति की गई है।

नियमित जांच की है आवश्यकता

- आवासीय व गैर आवासीय केंद्रों की जांच नहीं होने से इसकी गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। सरकारी राशि की बंदरबांट को रोकने के लिए इसकी नियमित जांच की आवश्यकता है ताकि बच्चों को सही मायने में इसका लाभ मिल सके।

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कहते हैं अधिकारी

- केंद्र का सही रूप में संचालन हो सके इसके लिए समय-समय पर जांच की जा रही है। विद्लय से ऐसे बच्चों को जोड़ा जाए इसका प्रयास किया जा रहा है। शिक्षा का कानून अधिकार के तहत ऐसा किया जा रहा है। अभी यह शुरूआत है, परिणाम जल्द सामने आएंगें।

सुरेन्द्र कुमार, जिला कॉर्डिनेटर,नवादा।


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