आपके खून को भी सुरक्षित नहीं रख पाता ब्लड बैंक
नवादा। राज्य सरकार व जिला प्रशासन स्वास्थ्य सेवाओं के सु²ढ़ होने का लाख दावा कर ले, पर जिले
नवादा। राज्य सरकार व जिला प्रशासन स्वास्थ्य सेवाओं के सु²ढ़ होने का लाख दावा कर ले, पर जिले का सबसे बड़ा अस्पताल इन दावों की पोल खोल रहा है। इन दिनों सदर अस्पताल कुव्यवस्थाओं का शिकार हो गया है। बिचौलियों से घिरा अस्पताल प्रबंधन जनहित से जुड़ी समस्याओं के समाधान के प्रति पूरी तरह उदासीन है। लिहाजा मरीजों को स्वास्थ्य सेवाओं का अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा है। सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में खून को सुरक्षित रखने के लिए चार फ्रिज उपलब्ध कराये गये हैं। जिसमें मात्र एक फ्रिज ही चालू अवस्था में है, शेष तीन पिछले दो माह से खराब पड़ा है। खराब पड़े फ्रिज को दुरुस्त कराने के प्रति महकमा तनिक भी ¨चतित नहीं है। जिसका भरपूर फायदा बिचौलिए उठा रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन रक्तदान के प्रति लोगों को जिस स्तर पर जागरुक कर रहा है, उससे कई गुणा अधिक बिचौलिये सक्रिय हैं। जो अस्पताल की कुव्यवस्था को बता लोग भ्रमित करने में जुटे हैं। सूत्र बताते हैं कि शुभ-लाभ के फेर में अधिकारी भी चुप्पी साधे हैं। बाजार में खून खरीदने और बेचने का धंधा संचालित होता है। जरुरतमंद मरीजों से खून के एवज में मोटी रकम वसूली जाती है।
जागरुकता अभियान में कोताही
रक्त दान महादान माना जाता है। लेकिन जागरुकता के अभाव में लोग रक्तदान नहीं कर पाते हैं। इतना ही नहीं रक्तदान दिवस के मौके पर महज शिविर आयोजित कर औपचारिकता पूरी कर ली जाती है। लिहाजा लोगों को कार्यक्रम के बारे में पता भी नहीं चल पाता है। हद तो तब हो जाती है जब अपनी मर्जी से सामाजिक कार्यकर्ता रक्तदान करने पहुंचते हैं तो उन्हें भी निराश होकर लौट जाना पड़ जाता है। इस प्रकार की कई शिकायतें खुलकर सामने आ चुकी है। लेकिन व्यवस्था सुधार को लेकर किसी प्रकार की कार्रवाई तक नहीं की जाती है।
निगेटिव ग्रुप का ब्लड उपलब्ध नहीं
- सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में निगेटिव ग्रुप का एक भी यूनिट ब्लड उपलब्ध नहीं है। जानकारी के अनुसार वर्तमान में कुल 12 यूनिट ब्लड उपलब्ध है। जो विभिन्न ग्रुप के पोजिटिव ग्रुप ब्लड हैं। ऐसे में यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि जरुरतमंद निगेटिव ग्रुप के मरीजों को क्या मुश्किलें उठानी पड़ सकती हैं। पर इन समस्याओं से मानों अस्पताल प्रबंधन को कोई ¨चता है ही नहीं। इधर, कुछ दिनों से लगातार अस्पताल में व्याप्त कुव्यवस्थाओं को लेकर मीडिया ध्यान आकृष्ट करा रही है। पर, व्यवस्था में सुधार को लेकर न तो प्रबंधन संवेदनशील दिख रहा है और न ही प्रशासन गंभीर। केवल कागजी आदेश जारी किये जा रहे हैं।