फोटो::::::सोलर लाइट के खंभे बचे, रोशनी गायब
गांव के टोलों पर पंचायत मद से लगाए गए सोलर लाइट रोशनी के बदले मुंह चिढ़ा रही है।
नवादा। गांव के टोलों पर पंचायत मद से लगाए गए सोलर लाइट रोशनी के बदले मुंह चिढ़ा रही है। आलम ये कि खंभे तो दिख रहे हैं, लेकिन रोशनी गायब है। गलियों में अंधेरा का साम्राज्य है। पंचायतों में सोलर लाइट लगाने में जमकर लूट-खसोट हुई। कल तक साईकिल से चलने वाले मुखिया जी आज स्कार्पियो व बोलेरो से धूल उड़ाते फिर रहे हैं और जनता को दूधिया रोशनी की जगह शाम होते ही गांवों की गलियों में कूप अंधेरे का सामना करना पड़ रहा है। जब सोलर लाइट लग रही थी तो लोगों में खुशी का ठिकाना नहीं था। लोग सोलर लाइट अपने मनचाहे जगह पर लगवाने के लिए मारामारी कर रहे थे। लेकिन, चंद दिनों तक गांव की गलियां दुधिया रोशनी से जगमगाई, उसके बाद लाइट की जगह सिर्फ खंभे बचे रह गए। कुछ जगहों पर तो सोलर प्लेट व बैट्री तक चोरी हो गई। बाकी जगहों पर लाइट जलना बंद हो गया। सोलर लाइट लगाकर गांवों को रोशन करने की सरकार योजना में धरातल पर कामयाब नहीं हो पाई है। पंचायतों में वर्ष 2005-06 से सोलर लाइट लगाने का काम शुरू हुआ था। मुखिया व जिला परिषद् के लिए यह बहुत सॉफ्ट योजना साबित हुई तथा कमाई का बहुत सहज रास्ता मिल गया। गुणवत्ता का तनिक भी ख्याल नहीं रखा गया। तकरीबन 21 हजार की कीमत वाली सोलर लाइट को 35-36 हजार रुपये में लगाया गया। सोलर लाइट के लिए ब्रेडा के नियम की अनदेखी की गई। नतीजा हुआ कि बड़े पैमाने पर घपलेबाजी हुई। पंचायतों में 11वें और 12वें वित्त आयोग की राशि से सोलर लाइट लगाई गई। सरकार का लाखों रुपये प्रखंड के 20 पंचायतों में इसपर खर्च कर दिए गए। हालांकि कई मुखिया पर इस मामले कार्रवाई हुई लेकिन, इससे व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ।
पंचायतों में सोलर लाइट का सच
प्रखंड के पंचायतों में सोलर लाइट के खंभे आज भी व्यवस्था की कहानी बता रहे हैं। प्रखंड के लगभग पंचायतों में जितनी भी सोलर लाइट लगाई गई थी उनमें कुछ के खंभे बचे हैं और कुछ के तो खंभे भी गायब हैं। बड़ैल पंचायत के पूर्व मुखिया कुंती देवी और पंचायत सचिव रविन्द्र कुमार पर सोलर लाइट योजना में घोटला करने से संबंधित केस भी दर्ज किया गया था। दोनों पर 93 हजार रुपये घोटाला करने का आरोप है।