शहीदों के प्रति सरकार की उदासीनता के खिलाफ आक्रोश मार्च
वैशाली। शहीदों के प्रति राज्य सरकार की अनदेखी व उदासीन रवैये के विरोध में सैकड़ों युव
वैशाली। शहीदों के प्रति राज्य सरकार की अनदेखी व उदासीन रवैये के विरोध में सैकड़ों युवाओं ने शुक्रवार को शहर में आक्रोश मार्च निकाला। आक्रोश मार्च में शामिल लोग राज्य सरकार पर शहीदों के सम्मान की अनदेखी का आरोप लगा रहे थे।राष्ट्रीय युवा विकास परिषद के बैनर तले नगर के रामाशीष चौक स्थित शहीद स्मारक से सैकड़ों युवक आक्रोश मार्च करते हुए स्टेशन चौक स्थित भारत माता मंदिर पहुंचे। यहां लोगों ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार के मंत्री व विधायकों के पास शहीदों के सम्मान के लिए दो मिनट तक का समय नहीं है। छत्तीसगढ़ के सुकमा में शहीद हुए बिहार के शहीद जवानों के पार्थिव शरीर को पटना एयरपोर्ट पर सलामी देने व रिसीव करने के लिए न तो सरकार के मुखिया के पास समय था और न ही उनके मंत्री व विधायकों के पास। आक्रोश मार्च में शामिल लोग बिहार के शहीदों के को 25 लाख रुपये मुआवजा, एक सदस्य को नौकरी देने की मांग कर रहे थे। साथ ही ऐसा नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी।
इस अवसर पर संगठन के अध्यक्ष किशलय किशोर ने राज्य सरकार पर सुकमा में शहीद बिहार के छह जवानों की सम्मान की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक ओर राज्य सरकार प्रतिबंध के बावजूद शराब पीकर मरने वालों के परिजनों को चार लाख रुपये मुआवजा दे रही है। वहीं देश की रक्षा के लिए अपनी शहादत देने वाले शहीदों के लिए पांच लाख रुपये मुआवजा की घोषणा शहीदों की शहादत का अपमान है। कहा कि दूसरे राज्यों में वहां की सरकार अपने शहीद जवानों के सम्मान में 25 से 50 लाख रुपये तक मुआवजा दे रही है। लेकिन यहां तो स्थिति यह है कि शहीदों की गाड़ी को रोक कर मुख्यमंत्री का काफिला निकाला जाता है। वैशाली के जंदाहा के शहीद के घर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी से सूबे के मुख्यमंत्री व कई मंत्री गुजरते हैं लेकिन किसी को शहीद के घर पर जाकर उसके अंतिम दर्शन तक की समय नहीं थी। आक्रोश मार्च का नेतृत्व संगठन के अंशु ¨सह, रवि शंकर व शुभम ने किया। आक्रोश मार्च में राजा उत्सव, कुंदन चौधरी, प्रकाश गोलू, प्रजीत कुमार, अर¨वद कुमार, लव भारद्वाज, निखिल,गुरुद्वार ¨सह, विकास महापात्रा, गोलू ¨सह, नमितेश भूषण, चंदन ठाकुर, राजू कुमार आदि सैकड़ों लोग शामिल थे।