पूर्व जेलर सहित चार को एक वर्ष का कारावास
कैदियों से रंगदारी मांगने व मारपीट करने के आरोप में नवादा मंडल कारा के पूर्व जेली को सजा ।
नवादा। कैदियों से रंगदारी मांगने व मारपीट करने के आरोप में नवादा मंडल कारा के पूर्व जेलर सहित चार जेल आरक्षियों को अदालत ने गुरुवार को एक-एक वर्ष कारावास की सजा सुनाई। सजा पाने वालों में पूर्व जेलर शिवशंकर चौधरी, जमादार चंद्रदेव राम व रामबचन ¨सह और आरक्षी महेंद्र यादव शामिल हैं। तृतीय अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अनिन्दिता ¨सह ने फैसला सुनाया।
सजा पाने वाले जेलर वर्तमान में सहरसा में पदस्थापित बताए जा रहे हैं। मामला वर्ष 2002 में कैदियों से रंगदारी मांगने से जुड़ा है। जेल में बंद कैदियों ने ही कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और सभी गवाह कैदी ही थे।
होली पर जेल में बंद कैदियों से रंगदारी का है मामला :
वर्ष 2002 में नवादा मंडल कारा के जेलर शिव शंकर चौधरी, जमादार चंद्रदेव राम व रामबचन ¨सह, जेल आरक्षी महेंद्र यादव, रमेश ¨सह व रवि रंजन ¨सह ने होली पर्व के नाम पर जेल में बंद कैदियों से रंगदारी के रूप में परवी (पर्व के नाम पर रुपये) की मांग की थी। तब जेल में बंद काशीचक थाना क्षेत्र के धानपुर गांव निवासी ब्रजशेखर ¨सह सहित अन्य कैदियों ने इसका पुरजोर विरोध किया था। इससे खार खाए जेलर के निर्देश पर 29 मार्च को शाम में वार्ड से कैदियों को घसीटते हुए बाहर निकाला गया और लाठी-डंडा से पीट कर जख्मी कर दिया गया था। जिसमें एक कैदी संजय कहार का हाथ भी टूट गया था।
कैदियों ने अदालत में परिवाद दायर कर लगाई न्याय की गुहार :
घटना के विरोध में दूसरे दिन सभी कैदियों ने अनशन शुरू कर दिया था। बाद में जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद अनशन समाप्त हुआ था। घटना से क्षुब्ध कैदियों ने अदालत में परिवाद दायर कर न्याय की गुहार लगाई थी। दायर परिवाद में जेल के अंदर व्याप्त भ्रष्टाचार तथा कैदियों के साथ हुई अमानवीय व्यवहार का भी उल्लेख किया हुआ है। अदालत ने गवाहों के बयान के आधार पर आरोपी जेलर शिव शंकर चौधरी, जमादार चंद्रदेव राम व रामवचन सिहं, जेल आरक्षी महेन्द्र यादव को दोषी करार दिया तथा भादवि की धारा 385 के तहत एक वर्ष का साधारण कारावास, धारा 323 के तहत छह माह तथा धारा 341 के तहत एक माह की कारावास की सजा सुनाई। बाद में उन्हें जमानत पर मुक्त किया गया। दो आरोपी आरक्षी रमेश ¨सह तथा रवि रंजन ¨सह का सुनवाई पृथक वाद में किया जा रहा है।