बेटियों ने पेश की मिसाल, मां की अर्थी को दिया कंधा
बिहार के नवादा में बेटों के रहते हुए बेटियों ने मां की अर्थी को कंधा देकर श्मशान घाट तक पहुंचाया। उन्होंने मिसाल कायम करते हुए यह साबित कर दिया कि वे किसी से कम नहीं हैं।
नवादा [जेएनएन]। बिहार के नवादा जिले के कौआकोल में बेटों के रहते बेटियों ने मां की अर्थी को कंधे दे श्मशान घाट तक पहुंचा बेटे-बेटी के बीच भेद को मिटाने और नारी सशक्तिकरण की बेजोड़ मिशाल पेश की। बेटियां समाज को बताना चाहती थी कि वह बेटों से किसी भी परिस्थिति में कम नहीं है।
बताया जाता है कि कौआकोल थाना क्षेत्र के बीझो गांव निवासी कैलाश महतो को दो बेटे व चार बेटियां है। बेटे दूसरे प्रदेश में रोजी-रोटी के लिए रहते हैं। शुक्रवार को कैलाश महतो की पत्नी राजकुमारी देवी का अचानक निधन हो गया। निधन के बाद बेटों की अनुपस्थिति खलने लगी।
ग्रामीणों की सलाह थी कि बेटों को आने दिया जाए। बेटों के आने में विलंब होना तय था। समस्या ये थी कि ज्यादा दिनों तक शव को रखा नहीं जा सकता था। असहज परिस्थितयों में बेटियां आगे आई और अर्थी को कंधा दिए श्मशान घाट तक पहुंचाई।
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चारों बेटियां पुष्पा, कंचन, पूजा व राजश्री समाज के आगे खड़ी हो अपनी मां की अर्थी को कंधा तो दी ही श्मशान घाट पहुंचाकर अंतिम संस्कार भी कराया। बेटियों की इस कदम की चारों ओर चर्चाएं हो रही है।
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