खुद की लापरवाही बस चालक को पड़ी महंगी
सोमवार की अहले अंधरवारी मोड़ के समीप हुए बस हादसे में चालक की लापरवाही सामने आ रही है।
नवादा। सोमवार की अहले अंधरवारी मोड़ के समीप हुए बस हादसे में चालक की लापरवाही सामने आ रही है। लेकिन इस लापरवाही का खामियाजा उसे भी भुगतना पड़ा और उसकी भी जान चली गई। साथ ही एक परिवार के सदस्य भी असमय काल के गाल में समा गए। जबकि 50 लोग बुरी तरह जख्मी हो गए। केबिन में सफर कर रहे यात्रियों ने बताया कि बरही (झारखंड) स्थित एक होटल में खाना खाने और शराब पीने के बाद चालक नौशाद आलम ने खलासी को गाड़ी सौंप दिया। इसके बाद वह केबिन में ही सो गया। खलासी तेज रफ्तार में गाड़ी हांक रहा था। इस बीच रास्ते में एक-दो स्थानों पर उसका संतुलन भी बिगड़ा, लेकिन उसने किसी तरह खुद को संभाला। लेकिन रजौली पार करने के बाद अंधरवारी के समीप एक ट्रक ने चकमा दे दिया। जिससे गाड़ी चला रहे खलासी का संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया और बस सड़क किनारे गड्ढे में पलट गई। जिससे पांच लोगों की मौत हो गई। यात्रियों का कहना था कि अगर चालक बस के खलासी को गाड़ी चलाने के लिए नहीं देता तो शायद यह हादसा नहीं होता। मिली जानकारी के अनुसार, कोलकाता में 70 लोग सवार हुए थे। जिसमें कुछ यात्री बीच रास्ते में ही उतर गए थे।
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सड़क किनारे गड्ढा भी वजह
- बस में सफर करने वाले कई यात्रियों ने यह भी बताया कि सड़क किनारे बना गड्ढा भी हादसे का सबब बना। सड़क किनारे मिट्टी को ठीक से नहीं भरा गया था। जिससे वहां पर गड्ढे बन गए थे। संतुलन खोने के बाद ड्राइवर ने गाड़ी को संभालने की काफी कोशिश की, लेकिन गड्ढे ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया। फिर बस सड़क किनारे पलट गई। इधर, लोगों का कहना है कि प्रशासन व पथ निर्माण विभाग को इन सब बातों पर ध्यान देना चाहिए। ताकि भविष्य में ऐसी वारदात न हो। कई जगहों पर सड़क किनारे 20-30 फीट खाई है, लेकिन वहां पर सड़क किनारे साइडवाल नहीं लगाया गया है।
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चीख-पुकार सुन दौड़े ग्रामीण
- सोमवार की सुबह ग्रामीणों की नींद सही से खुली भी नहीं थी। कई लोग बिस्तर पर ही अंगड़ाई ले रहे थे। इसी बीच धड़ाम की जोरदार आवाज हुई और पलभर में ही लोगों की चीखें गूंजने लगी। ग्रामीण आवाज सुनकर सन्न पड़ गए, फिर दौड़े-दौड़े घटनास्थल पर पहुंचे तो देखा कि बस पलटी हुई है। घायल यात्री जमीन पर कराह रहे थे। जिसमें कई महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे। तत्काल ग्रामीण राहत कार्य में जुट गए और प्रशासनिक अधिकारियों को घटना की जानकारी दी। घटना की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई और काफी संख्या में ग्रामीण वहां पहुंच गए।
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तत्काल पहुंचा अधिकारियों का दल
- घटना की जानकारी मिलते ही रजौली एसडीएम शंभुशरण पांडेय, सीओ अशोक कुमार, थानाध्यक्ष अवधेश कुमार दल-बल के साथ घटनास्थल पहुंच गए। फिर ग्रामीणों के साथ मिलकर राहत कार्य में लग गए। अधिकारियों ने एंबुलेंस मंगाकर घायलों को इलाज के लिए रजौली अनुमंडलीय अस्पताल भेजा। हालांकि, घायलों की संख्या अधिक रहने के चलते एंबुलेंस कम पड़ने लगे। तब एसडीएम ने सिविल सर्जन से मोबाइल पर संपर्क साधा और अकबरपुर व सिरदला पीएचसी से एंबुलेंस मंगाया। तब जाकर सभी घायल अस्पताल पहुंच सके।
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कुव्यवस्था से हुआ सामना
- रजौली अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचने पर घायलों को कुव्यवस्था का सामना करना पड़ा। आलम यह था कि कई घायलों को जमीन पर लिटाकर इलाज शुरु किया गया। लेकिन पर्याप्त डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी नहीं होने की वजह से कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अस्पताल में मौजूद एकमात्र चिकित्सक घायलों की इलाज में जुटे थे। इसके बाद गंभीर रुप से घायल यात्रियों को बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल रेफर किया गया। अनुमंडलीय अस्पताल में कुव्यवस्था के बीच बस चालक नौशाद आलम ने भी दम तोड़ दिया।
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सदर अस्पताल में रही अफरातफरी
- सदर अस्पताल में भी अफरातफरी की स्थिति रही। घटना की जानकारी मिलने पर लोगों की भीड़ सदर अस्पताल पहुंचने लगी थी। हालांकि सिविल सर्जन डॉ. श्रीनाथ प्रसाद के नेतृत्व में मेडिकल टीम घायलों के इलाज में मुस्तैदी से जुटी रही। चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी घायलों की इलाज में लगे रहे। स्वास्थ्यकर्मी घायलों को सेलाइन व इंजेक्शन लगाने में व्यस्त दिखे। उपाधीक्षक डॉ. रामनंदन प्रसाद, डॉ. विमल प्रसाद, डॉ. अखिलेश कुमार मोहन सहित कई चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी पूरी तरह मुस्तैद नजर आए।
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डीएम ने घायलों का लिया हालचाल
- घटना की जानकारी मिलने पर डीएम मनोज कुमार सदर अस्पताल पहुंचे। उन्होंने घायलों से मिलकर हालचाल जाना। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन को बेहतर तरीके से घायलों का इलाज करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि पूरी मुस्तैदी से लोगों का इलाज करें। किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस बीच सदर एसडीएम राजेश कुमार, एसडीपीओ संजय कुमार पांडेय, बीडीओ प्रभाकर ¨सह भी अस्पताल पहुंचे और घायलों का इलाज कराने में मदद करते दिखे।
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एक्स-रे सेंटर बंद रहने से हुई फजीहत
- सदर अस्पताल में एक्स-रे सेंटर के कर्मियों पर हड़ताल पर रहने के कारण घायलों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लिहाजा कुछ लोगों को रेफर कर दिया गया तो कुछ घायलों का प्राइवेट एक्स-रे सेंटर में एक्स-रे कराना पड़ा। इसकी जानकारी मिलने पर डीएम मनोज कुमार ने सिविल को पोर्टेबल एक्स-रे मशीन खरीदने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जल्द ही रोगी कल्याण समिति की बैठक कर मशीन खरीदने की तैयारी शुरु करें। उन्होंने कहा कि इसकी व्यवस्था हो जाने से लोगों को काफी फायदा होगा।
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इनसेट के लिए
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घर लौटने की खुशियां हुईं काफूर
राहुल/पवन, रजौली (नवादा) : दर्दनाक बस हादसे के मृतक व घायल कोलकाता में सीमा ईंट-भट्ठा पर काम करते थे। पिछले कुछ महीनों से वहीं रहकर मजदूरी कर रहे थे। ताकि अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें। कुछ लोग तो अपने पूरे परिवार के साथ बंगाल गए थे तो कुछ लोग अकेले। रविवार की शाम खुशी-खुशी घर लौटने के लिए सियाराम बस पर सवार हुए। लेकिन उन्हें क्या पता था कि सोमवार की सुबह घर के समीप ही एक अनहोनी उनका इंतजार कर रही है। गांव से करीब 22 किलोमीटर पहले बस पलट गई और पांच लोग असमय काल के गाल में समा गए। जबकि 50 लोग बुरी तरह जख्मी हो गए। जिससे उनके घर लौटने की खुशियां काफूर हो गईं। रविवार की शाम उन लोगों के मन में घर लौटने की खुशियां चहक रही थी, पर सोमवार की सुबह उनके चीखने-चिल्लाने की आवाज गूंज रही थी। लोग अपनी जान बचाने के लिए गुहार लगा रहे थे।
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सीमा ने खोया चार परिवार
- हादसे में गंभीर रुप से घायल सिरदला थाना क्षेत्र के पांडेडीह गांव निवासी सत्येंद्र मांझी की पत्नी सीमा देवी अपना सारा दुख-दर्द भूल चुकी थी। इस हादसे ने उसके परिवार का चार सदस्य सदा के लिए छीन लिया। अपने परिजनों को खोने के गम में वह रोते हुए बेसुध हो जा रही थी। सदर अस्पताल में बेड पर कराह रही सीमा की आंखें मौत के मुंह में समा चुके परिजनों को तलाश रही थी। बता दें कि इस घटना में सीमा के पिता नारदीगंज थाना क्षेत्र के डोहड़ा गांव निवासी भासो मांझी, बहन गीता कुमारी, बहन का बेटा रंजीत व एक अन्य रिश्तेदार अरुण मांझी की मौत हो गई। सीमा ने बताया कि रंजीत अकबरपुर थाना क्षेत्र के बरेव अड्डा के समीप गांव निवासी राजाराम का पुत्र था। वह उसकी बड़ी बहन का बेटा था। जब वह ईंट-भट्ठा पर काम करने कोलकाता जा रही थी तो वह भी उनके साथ गया था।
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आंखों से नहीं हट रहा घटना का मंजर
- हादसे की चर्चा होते ही घायल यात्री सिहर उठ रहे थे। पूरा घटना का मंजर उनकी आंखों के सामने काफी देर तक दौड़ रहा था। यात्रियों ने बताया कि कई लोग सोए हुए थे। अचानक धड़ाम की आवाज हुई और होश-हवास गायब हो गया। कुछ देर बाद खुद को संभाला तो पता चला कि बस पलट चुकी है। महिलाएं व बच्चे जमीन पर कराह रहे थे। आसपास के ग्रामीण व पुलिस-प्रशासन उन्हें मदद कर रहे थे।
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यात्रियों की जुबानी
- खुशी-खुशी घर जाने के लिए बस पर सवार हुए थे। लेकिन अब सारी खुशियां गायब हो गई हैं। मेरा बेटा अशोक भी जख्मी है।
राजकुमार देवी, बुधौल बेलदरिया। फोटो-18
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- बस में हम सभी यात्री बैठे हुए थे। अचानक गाड़ी सड़क किनारे गड्ढे में पलट गई। अभी भी घटना का ²श्य आंखों के सामने कौंध रहा है।
महेश्वर राम, ओढ़नपुर। फोटो-19
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- घटना काफी भयावह थी। एकाएक जोरदार झटका लगा और चंद सेकंड में बस पलट गई। मुझे चोटें भी आई हैं।
शिवरत्ना देवी, नवादा। फोटो-20
-----------------------मृतकों की सूची
- भासो मांझी, गीता कुमारी, रंजीत कुमार, अरुण मांझी व नौशाद आलम।
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गंभीर रूप से घायलों के नाम
- गौरव कुमार, पूजा कुमारी, नीभा देवी, फुलवा देवी, पंकज कुमार, भूषण साव, रौशन कुमार, चंदा देवी, गुड़िया देवी, सुदामा कुमार, सुनील राम, चंद्रदेव राम, जगदीश मिस्त्री, विपिन, रामोतार मिस्त्री, रेशमी देवी आदि।