झिलार गांव के लोगों ने मनाया पहली बार वोट देने का जश्न
नवादा। नक्सल प्रभावित कौआकोल प्रखंड के जंगलों के बीच बसा है झिलार गांव। आदिवासियों की बहुल
नवादा। नक्सल प्रभावित कौआकोल प्रखंड के जंगलों के बीच बसा है झिलार गांव। आदिवासियों की बहुलता है। गिने-चुने लोग ही ¨हदी बोल पाते हैं। अधिकांश संथाली भाषा बोलते-समझते हैं। पहली बार इस गांव के प्राथमिक विद्यालय झिलार में मतदान केंद्र 276 बनाया गया था। लिहाजा लोगों ने पहली बार बढ़चढ़ कर मतदान में हिस्सा लिया। इस बूथ की बीएलओ मार्टिना हस्ता के अनुसार पहले गांव से दस किलोमीटर दूर मननपुर गांव जाकर लोगों को मतदान करने की विवशता थी। जिसके चलते बहुत कम लोग ही वोट देने जाते थे। अब गांव में मतदान केंद्र स्थापित होने से लोगों को काफी सहूलियत हुई। इस बूथ पर झिलार गांव के अलावा गायघाट व फरकीपत्थर गांव के मतदाताओं ने भी वोट डाले। बूथ के पीठासीन पदाधिकारी के मुताबिक 54 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले। इसके अलावा नक्सल प्रभावित गांव महुड़र, महुलियाटांड़ समेत अन्य गांवों की बूथों पर भी लंबी-लंबी कतारें दिखीं। कई किलोमीटर की दूरी तय करने की विवशता के बावजूद लोगों ने बूथों पर पहुंच कर मताधिकार का प्रयोग किया। बूथों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम दिखे। रास्ते में बाइक से केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल के जवान गश्ती करते दिखे।
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बोले मतदाता
- इससे पहले दस किलोमीटर दूर मननपुर जाकर वोट डालने की विवशता थी। इस बार मैंने अपने परिवार के साथ बूथ पर जाकर मतदान किया है।
रिनू वासके, झिलार।
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- यह हमारे लिए आजादी के जश्न से कम नहीं है। गांव में बूथ बनने से काफी सहूलियत हुई है। इस बार पहली दफा अपने परिजनों के साथ बूथ पर जाकर मताधिकार का प्रयोग किया हूं।
संजय हेंब्रम, झिलार।
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- गांव में बूथ बनाकर प्रशासन ने ग्रामीणों के दर्द को समझा है। पहले दस किलोमीटर दूर मननपुर गांव जाकर मतदान करना पड़ता था।
संजय टुडू, झिलार।
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