यूपीएससी में अमित की सफलता पर इतरा रहा पूरा गाव
नवादा। लगभग 70 बसंत देख चुके अर्जुन सिंह आज अपने पोते की सफलता से काफी गदगद हैं। पोता (पौत्र) ने यूप
नवादा। लगभग 70 बसंत देख चुके अर्जुन सिंह आज अपने पोते की सफलता से काफी गदगद हैं। पोता (पौत्र) ने यूपीएससी की परीक्षा में सफल हो उनका जो नाम रोशन किया है। कहते हैं कि होनहार पूत के पांव पालने से ही दिखाई देने लगते हैं। हिसुआ प्रखण्ड के बगोदर गाव के अशोक कुमार का पुत्र अमित भी कुछ इसी प्रकार का था। माता रेणु कुमारी जो अभी मध्य विद्यालय उड़सा में नियोजित शिक्षका हैं वे बताती है कि पहली कक्षा में नामाकन के लिए जब उसने टेस्ट दिया तो टेस्ट लेने वाले शिक्षक दंग रह गये थे। उसका नामाकन पहली कक्षा की जगह दूसरी कक्षा में ले लिया। एनआईए में पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत उसके पिता अशोक कुमार बताते हैं कि अमित पहली से तीसरी कक्षा तक अपने नाना रामरतन प्रसाद सिंह के साथ सिंदरी में पढ़ाई की। 1999 में श्रीलंका के राष्ट्रपति के द्वारा किये गये घोषणा के बाद बिहार से 30 छात्रों का चयन वर्ल्ड बुद्धा फाउडेशन के लिए किया गया। जिसके तहत उक्त संस्था के खर्च पर अमित ने रामगढ़ राची के सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल से मैट्रिक 91 प्रतिशत मार्क्स के साथ उत्तीर्ण हुआ। मैट्रिक में ही उसने पर्यावरण एवं पुलिस की भूमिका पर आयोजित राज्य स्तरीय निबंध लेखन में झारखंड राच्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया। जिसके बाद राच्यपाल द्वारा उसे प्रशस्ति पत्र भी दिया गया। बारहवीं डीपीएस राची से करने के बाद वह एआईईईई में सफल होकर शस्त्रा विश्वविद्यालय तंजौर तमिलनाडू से कम्प्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री हासिल की। इसके बाद यहीं से कैम्पस सलेक्शन के तहत 6 लाख के पैकेज पर अमित ने अमेरिका की कंपनी एथेना हेल्थ में प्रोग्रामर के पद पर कार्य शुरू कर दिया। अमित ने कंपनी में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और दो साल में ही प्रमोशन पाकर 6 लाख से 8 लाख का पैकेज पा लिया। लेकिन कहते है कि प्रतिभा ठहरती नहीं है। वह बचपन में आईपीएस बनना चाहता था। कारण कि जहानाबाद के मखदूमपुर में ड्यूटी के दौरान एएसपी मनुजी महाराज थाने पर आया जाया करते थे। उन्हें देखकर अमित भी उन्हीं की तरह बनना चाहता था। अमित की इच्छा देखकर मनुजी महाराज ने अमित को प्रेरित भी किया और सफलता के लिये कई टिप्स दिये भी। अमित भी अपनी सफलता के पीछे मनुजी महाराज एवं अपने माता-पिता को मानता है। संघ लोक सेवा आयोग में प्रथम प्रयास में 453 वा रैंक लाने वाले अमित ने बताया कि वह जाब करते हुये भी सेल्फ स्टडी कर यह सफलता प्राप्त की है। उन्होंने बताया कि सुबह में आफिस जाने से पूर्व दो घटे तथा शाम में लौटने के बाद 4 घटे निरंतर पढ़ता था। उसने आपश्नल में समाजशास्त्र लिया और इसके लिये उसने इग्नू के मेटरियल की सहायता ली।