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ट्रैफिक सिस्टम: न सुधरें हैं न सुधरने देंगे

नवादा। जिले में ट्रैफिक सिस्टम कभी पटरी पर लौटेगी भी इसका अंदाजा लगा पाना काफी मुश्किल है। वर्तमान ह

By Edited By: Published: Sat, 27 Jun 2015 08:36 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2015 08:36 PM (IST)
ट्रैफिक सिस्टम: न सुधरें हैं न सुधरने देंगे

नवादा। जिले में ट्रैफिक सिस्टम कभी पटरी पर लौटेगी भी इसका अंदाजा लगा पाना काफी मुश्किल है। वर्तमान हालात को देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि यह सुधर भी पायेगी। फिलहाल इसमें सुधार के लिए प्रशासन की ओर से किसी प्रकार के प्रयास तक नहीं किये जा रहे हैं। प्रतिवर्ष छोटे-बड़े वाहनों की संख्या में वृद्धि हो रही है। सड़कें चौड़ी भी हो रही है लेकिन नगर की सड़कें सिकुड़ती जा रही हैं। जाहिर है जब बाजारों की सड़कें सिकुड़ेगी तो ट्रैफिक व्यवस्था लचर रहेगी ही। ऐसे में लोग प्रतिदिन जाम से कराह रहे हैं। फिर नगर समेत जिले में कहीं वाहन पार्किंग की सुविधा भी तो नहीं है जहा लोग अपनी वाहनों को सुरक्षित लगा सके। चाहे जिला मुख्यालय हो या रजौली अनुमंडल मुख्यालय,हिसुआ व वारिसलीगंज नगर पंचायत हो या अकबरपुर-सिरदला बाजार सभी जगह प्राय: मुख्य व व्यस्त सड़कों पर ही वाहनों को अव्यवस्थित ढंग से खड़ा किये जाने से जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है। कहीं भी पार्किंग की व्यवस्था तक नहीं है।

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अकेले नवादा नगर को ही लें तो हर दिन घटों जाम से जूझ रहा है। बावजूद जिला प्रशासन किसी प्रकार का कारगर पहल नहीं कर पा रही है। नगर की सड़कें अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है। परिणाम है कि यहा यातायात की समस्या दिनों दिन सुरसा के मुंह की भाति बढ़ती जा रही है। वाहन चालक भी आगे निकलने की होड़ में ट्रैफिक नियमों की अनदेखी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। जीरो टॉलरेंस घोषित क्षेत्र का हाल बेहाल है। पूरी व्यवस्था जिला प्रशासन का मुंह चिढ़ा रही है। जीरो टॉलरेंस का सपना बिखर चुका है,फिर ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार की कल्पना करनी ही बेमानी है।

बढ़ रही है आबादी

-जिले की आबादी प्रतिवर्ष बढ़ रही है। वर्तमान में जिले की आबादी 22 लाख है। जिसमें नगर की आबादी 2 लाख के करीब है। जिले की आबादी में 5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की वृद्धि हो रही है। आबादी में वृद्धि के साथ ही वाहनों की संख्या खासकर दोपहिया व तीन पहिया वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। जिला परिवहन कार्यालय से प्राप्त आकड़ों के अनुसार गत वर्ष 4603 वाहनों का निबंधन किया गया था। अन्य जिलों व राज्यों से निबंधित वाहनों का परिचालन हो रहा है सो अलग। इनकी वजह से सड़कों पर वाहनों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है।

जाम के लिये बदनाम इलाके -सदभावना चौक,नगर में प्रजातंत्र चौक,खुरी पुल,लाल चौक,प्रजातंत्र चौक,गढ़ पर,स्टेशन रोड,इंदिरा चौक, शहीद भगत सिंह चौक,विजय बाजार,फतेहपुर मोड़,अकबरपुर बाजार,हिसुआ विश्व शाति चौक आदि ऐसे स्थान हैं जहा प्रतिदिन घटों जाम लगते हैं।

18 जवानों के भरोसे है ट्रैफिक व्यवस्था

-नगर के प्रजातंत्र चौक,लाल चौक,सदभावना चौक व शहीद भगत सिंह चौक व इंदिरा चौक को अगर छोड़ दिया जाये तो कहीं टै्रफिक पुलिस की व्यवस्था है ही नहीं। इन चार स्थानों के लिये 18 जवानों की प्रतिनियुक्ति की गयी है। जिनके वश में जाम से निजात दिलाना संभव नहीं हो पा रहा है।

वाहनों के हैं 18 शोरूम

-जैसे जैसे आर्थिक विकास हो रहा है जिले में वाहनों के शोरूम खुल रहे हैं। नगर को अगर छोड़ दे ंतो रजौली,हिसुआ,अकबरपुर,वारिसलीगंज में ही ट्रैक्टर समेत दोपहिया व तीन पहिया वाहनों के 18 शोरुम खुल चुके हैं। जबकि पकरीबरावा में शोरूम खोलने की तैयारी है।

चौक-चौराहों का अपेक्षित विकास नहीं

-नगर के किसी चौक चौराहों का अपेक्षित विकास नहीं हो सका है। सदभावना चौक को छोड़ कहीं गोलंबर तक या डिवाइडर तक नहीं है। भगत सिंह चौक के पास गोलंबर तो है लेकिन किसी काम का नहीं।

पथों की स्थिति

-नगर के खुरी पुल व प्रजातंत्र चौक से इंदिरा चौक तक पथ चौड़ा तो हुआ लेकिन अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है। स्टेशन रोड,विजय बाजार,मेन रोड की सड़कें पूर्व से संकीर्ण होती जा रही है। पुरानी बाजार के पास सड़कों पर कूड़े फेंके जाने के कारण वाहनों का चलना एकतरफा हो जाता है तो घटों वाहनों का जाम लगना स्वाभाविक है।

नगर में लागू नहीं है रूट प्लान

-जिला प्रशासन ने नगर को जाम से मुक्ति दिलाने के लिये अबतक वाहनों के लिये रूट प्लान तक निर्धारित नहीं किया है। वैसे मेन रोड में सुबह आठ बजे से शाम 6 बजे तक बडे वाहनों के परिचालन को प्रतिबंधित तो किया गया है लेकिन इसका अनुपालन शायद ही होता है। खुद सरकारी पदाधिकारी ही नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।

वाहन पार्किंग की नहीं है सुविधा

- नगर में वाहन पार्किंग के लिए कोई स्थान चिन्हित नहीं किया गया है। जहा वाहन चालक वाहनों को पार्किंग कर सकें। ऐसे में जहा तहा बेतरतीब तरीके से वाहनों के बाजार में लगा दिये जाने से जाम की समस्या आम है। वाहन पार्किंग के लिए कोई स्थान चिन्हित नहीं है इसलिए पुलिस चाहकर भी वैसे वाहनों पर कार्रवाई नहीं कर सकती। वैसे यदा-कदा सड़कों के किनारे लगे वाहनों को जब्त कर जुर्माने वसूले जा रहे हैं।

नहीं बना बाइपास

-नगर को जाम से मुक्ति दिलाने के लिये व्यवहार न्यायालय के पास से प्रस्तावित बाईपास का सपना अबतक धरातल पर नहीं उतर सका है। वैसे फिलहाल कलाली रोड के पास खुरी नदी पुल पर पुल निर्माण का कार्य आरंभ किया गया है लेकिन मंथर गति से कार्य होने के कारण अभी यह कारगर नहीं हो पा रहा है। इसके बनने से कुछ हद तक जाम से नगर को मुक्ति मिलने की संभावना है।

कहा है गतिरोध

-नगर के सड़कों का चौड़ीकरण न होना तथा सड़कों पर फुटपाथी दुकानदारों के कब्जे के कारण जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है। दूसरी ओर पुरानी बाजार के पास फेंके जा रहे कूड़े के कारण भी गतिरोध बरकरार है। इसके लिये नगर परिषद के साथ जिला प्रशासन समान रुप से जिम्मेवार है। आवश्यकता है सड़कों व खुरी पुल पर बने फुटपाथ को अतिक्रमणमुक्त किये जाने का।


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