सांसद का आदर्श ग्राम : कुछ हुआ बहुत कुछ होना शेष
रविंद्र नाथ भैया, नवादा : बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री स्वतंत्रता सेनानी बिहार केसरी डा. श्रीकृष्ण
रविंद्र नाथ भैया, नवादा :
बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री स्वतंत्रता सेनानी बिहार केसरी डा. श्रीकृष्ण सिंह की जन्मभूमि जिले के नरहट प्रखंड का खनवां गांव राजनीति की प्रयोगशाला रही है। हाल के कुछ वर्षो में इस गांव से सूबे के कई दिग्गज नेताओं ने अपनापन दिखाया है। इन दिनों गांव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांसद आदर्श ग्राम के रूप में सुर्खियों में है। सांसद आदर्श ग्राम का मतलब गांव का कायाकल्प। यहां विकास हो रहा है लेकिन गति नहीं है।
सांसद सह केन्द्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह ने इस गांव को गोद लिया है। सांसद के गोद लेने के पूर्व सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस गांव में पहुंचे थे। कई घोषणाएं मंच से की गई थी। कुछ घोषणाओं पर अमल भी शुरू हुआ। इस बीच सांसद ने इस गांव को गोद ले लिया।
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विद्यालयों की स्थिति
- खनवां में उत्क्रमित इंटर विद्यालय के साथ ही उत्क्रमित मध्य व कन्या मध्य विद्यालय व मदनपुर नव सृजित प्राथमिक विद्यालय हैं। इनमें शिक्षकों की बेहद कमी है। इंटर की शिक्षा अबतक प्रारंभ नहीं होने से बालिकाओं को उच्च शिक्षा के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है। इंटर विद्यालय में मात्र 9 शिक्षक कार्यरत हैं। कन्या मध्य विद्यालय में 5, बालक विद्यालय में 3 व नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में 3 शिक्षक कार्यरत हैं।
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अस्पताल खुद है बीमार
-अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व पशु चिकित्सालय की स्थिति भी अच्छी नहीं है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक नियमित चिकित्सक व एक नर्स कार्यरत है, जिनके आने जाने का कोई समय निर्धारित नहीं है। ऐसे में अगर कोई गंभीर रूप से बीमार हो जाए या फिर प्राकृतिक आपदा आ जाए तो चिकित्सा भगवान भरोसे है। डा. श्रीकृष्ण सिंह पुस्तकालय भवन में चलाये जा रहे प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय में ताले लटके पड़े हैं। स्थायी चिकित्सक की नियुक्ति नहीं होने से वह सप्ताह में दो दिन खुलता है और शेष पांच दिन बंद रहता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन के हालात भी अच्छे नहीं हैं। न बेड का पता है न चिकित्सक का। मात्र दिखावे के लिये अस्पताल है जहां के कर्मी बैठकर वेतन ले रहे हैं।
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घरों में शौचालय का अभाव
-स्वच्छ भारत का सपना अब भी यहां सपना है। अधिकांश घरों में शौचालय का अभाव है तथा महिलाओं को गांव के पूरब नदी में खुले में शौच जाना पड़ रहा है।
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खेतीहर भूमि
- गांव की भूमि दोमट व बलुआही होने से काफी उपजाऊ है। रकबा 1484 बिगहा का है। जिसमें भवन के साथ आहर, पईन की भूमि शामिल है। यहां के किसान परिश्रमी हैं। वर्ष में तीन फसल का उत्पादन करते हैं। सिंचाई का साधन डीजल पम्प व पैन है। हाल के दिनों में गांव में विद्युत उपकेन्द्र की स्थापना होने से बिजली की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है तो लोग बिजली मोटर पम्प लगाने की योजना बना रहे हैं। मुख्य फसल धान व गेहूं के साथ दलहन व तेलहन है। कभी गन्ना के लिये गांव प्रसिद्ध था लेकिन गुरारू व वारिसलीगंज चीनी मिल बंद होने से गन्ना अब केवल अपने उपयोग के लिये उपजाने का काम किया जा रहा है।
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बागान
- कभी गांव के चारों ओर आम के बागान हुआ करता था। घनाबागी, गूंजर बागी जैसे मशहूर आम के बगीचे हुआ करते थे। आज स्थिति यह है कि आम के बगानों का स्थान चिमनी भट्ठों ने ले लिया है जिससे वायु प्रदूषण फैल रहा है। आम खाने के लिये बच्चे तरस रहे हैं तो सबकुछ बाजार पर आश्रित होकर रह गया है।
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पूर्व एवं वर्तमान स्थिति
- सांसद द्वारा गोद लेने के पूर्व गांव में विकास के कई काम शुरू हुए थे। मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप गलियों में पीसीसी का कार्य चल रहा था। पीएचईडी द्वारा जलापूर्ति केन्द्र का निर्माण कराया गया था। विद्युत उपकेन्द्र की स्थापना हुई थी तो बिहार केसरी के गर्भ गृह को आधुनिक रूप दिया गया था। डा. श्रीकृष्ण सिंह की प्रतिमा लगायी गयी थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा प्रत्येक गलियों का पीसीसी, 60 वर्ष से उपर प्रत्येक को पेंशन, हर को आवास की सुविधा के साथ पोलटेक्निक कालेज की स्थापना की घोषणा पर काम अधर में लटक गया है।
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नहीं मिला इंदिरा आवास का लाभ
-इंदिरा आवास के लिये कुल 434 का चयन किया गया था लेकिन अबतक लोगों को लाभ प्रदान नहीं किया गया है। पीसीसी ढ़लाई का कार्य बंद पड़ा है।
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सांसद द्वारा कराए गए कार्य
- सांसद को गांव गोद लिये एक वर्ष की अवधि हो गयी। उन्होंने सोलर चरखा के माध्यम से महिलाओं को रोजगार देने के लिये पैक्स गोदाम में चरखा केन्द्र का शुभारंभ बड़ी तामझाम से किया। अबतक केन्द्र को मात्र 12 चरखे उपलब्ध कराये गये हैं। लेकिन प्रशिक्षण कर्मी की नियुक्ति नहीं होने से महिलाओं को बहुत ज्यादा लाभ नहीं मिल सका है।
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अन्य मद से कराये गये कार्य
- सांसद के गोद लेने के बाद से गांव में किसी भी मद से अबतक कोई कार्य आरंभ नहीं कराया गया है।
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कहते हैं ग्रामीण
- सांसद के गोद लेने के पूर्व गांव में विकास की बार बह रही थी। डा. सीपी ठाकुर, उपेन्द्र कुशवाहा, डा.अरूण कुमार, ललन सिंह जैसे नेताओं ने गांव के विकास के प्रति न केवल रूचि दिखायी थी, बल्कि अपने कोष से राशि भी उपलब्ध करायी थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो और आगे बढ़कर करीब 200 करोड़ रूपये से विकास की रूपरेखा तैयार करायी जिसमें से कुछ कार्य भी हुआ। लेकिन सांसद के गोद लेने के बाद से विकास ठहर गया है।
पप्पु प्रधान, ग्रामीण
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सांसद ने खनवां को राजनीतिक
इसलिए गोद लिया कि उन्हें कोई कार्य करना ही न पड़े तथा झूठी वाहवाही लूट लें। गांव के लोगों ने कभी सांसद से आग्रह तक नहीं किया था,न ही उनसे किसी प्रकार की अपेक्षा की थी। फिर ऐसा करके उन्होंने गांव में बह रहे विकास के बयारों पर विराम लगाने के सिवाय कुछ नहीं किया।
रामाश्रय प्रसाद सिंह, ग्रामीण।
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खनवां का टोला बंडाचक व खुशियाल बिगहा है। लेकिन इस ओर सांसद का ध्यान नहीं है। वैसे खनवां का विकास होगा तो लाभ सभी को मिलेगा। लेकिन ऐसी स्थिति अबतक है नहीं।
अशोक यादव, पूर्व प्रमुख।
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सांसद ने खनवां को गोद लेकर गांव के विकास को अवरूद्ध किया है। उन्हें उग्रवाद प्रभावित सिउर, बुधवारा, रतोई, धनवां, स्वामी सहजानन्द सरस्वती की कर्म भूमि रेवार या अन्य गांवों को गोद लेना चाहिए था। लेकिन सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने के लिये ऐसा कर उन्होंने उक्त गांव को और पीछे करने का कार्य किया है।
मसीहउद्दीन, अध्यक्ष,ककोलत विकास परिषद।
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सांसद को खनवां के बजाय वैसे गांव को गोद लेना चाहिए था जहां विकास की किरण नहीं फूटी हो। खनवां के विकास के लिये तो राज्य सरकार ने खुद कमान हाथ में ली थी। फिर उक्त गांव का चयन समझ से परे है।
मो.चुन्नु, छोटा शेखपुरा,नवादा।
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क्या करना है सांसद आदर्श ग्राम में
-सांसद आदर्श ग्राम के लिए कोई विशेष धन राशि का आवंटन नहीं है। केंद्र व राज्य सरकार की संचालित योजनाओं से ही प्राथमिकता के आधार इस गांव को विकसित करना है।
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कहते हैं भाजपा नेता
अबतक इस पंचायत की आधा से ज्यादा राजस्व गांवों में विद्युतीकरण हो चुका है। पेयजल, स्वास्थ्य बीमा,शौचालय के कार्य अगले दो माह में पूरा करने का लक्ष्य है। 30 बेड का अस्पताल और प्लस टू स्कूल तथा सोलर चरखा प्रशिक्षण केंद्र आदि के लिए भूमि चयन को अंतिम रूप दे दिया गया है। सांसद आदर्श ग्राम के तहत गांव को गोद लिए छह माह भी नहीं बीते हैं, जल्द ही काम दिखने लगेगा।
राजेश कुमार श्री, महामंत्री, नवादा जिला भाजपा।
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सामाजिक परिदृश्य:- खनवां का सामाजिक परिदृश्य काफी संतुलित है। अल्पसंख्यक व अनुसूचित जनजाति को छोड़ लगभग हर जाति के लोग निवास करते हैं। लेकिन यहां का सामाजिक ताना-बाना बरकरार रहा। आपस में कभी किसी को शिकायतें अगर हुई भी तो इसे मिल बैठकर सुलझा लिया गया। किसी को गांव छोड़ने की नौबत कभी नहीं आयी।
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आर्थिक संरचना
- गांव पूर्व से ही काफी खुशहाल रहा है। आजादी के पूर्व से ही सरकारी नौकरी पेशा के साथ कृषि से जुड़े रहने के कारण हर घरों में खुशहाली रही। जिनके पास अपनी भूमि नहीं भी रही गांव में ही व्यापार कर जीविकोपार्जन में लगे रहे। फिलहाल गांव के बहुतेरे युवक सेना व सीआरपीएफ की नौकरी में हैं तो प्रतिवर्ष ऐसे युवकों की संख्या में ईजाफा हो रहा है। संपन्न लोगों का झुकाव परिवहन व्यवसाय की ओर होने से तबका खुशहाल है।
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राजनीतिक परिदृश्य
- आजादी की लड़ाई में भले ही गांव का कोई व्यक्ति जेल न गया हो या फिर कोई स्वतंत्रता सेनानी न रहा है,लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि गांव में राजनीतिक चेतना नहीं रही है। स्वतंत्रता संग्राम में लगे नेताओं को आर्थिक सहायता करना यहां के लोगों की विशेषता रही है। बिहार केसरी डा. श्रीकृष्ण सिंह के बाद भी जो कोई मुख्यमंत्री हो गांव के लोग उन्हें अपना मानते हैं। यही कारण है कि चाहे लोकसभा चुनाव हो या फिर विधान सभा हर प्रत्याशी यहां आर्शीवाद लेने जरूर आते हैं।
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आसपास के लोगों की प्रतिक्रिया
- हसनपुरा के रामस्वरूप राजवंशी कहते हैं खनवां को गोद लेकर सांसद ने बिहार केसरी का सम्मान किया। अब उससे कितना फायदा होगा यह तो अभी गर्भ में छिपा है।
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बैजनाथपुर के राजेन्द्र चौधरी का मानना है कि बिहार केसरी के कारण गांव का विकास तो हो ही रहा था,ऐसे में किसी अन्य गांव को गोद लेना श्रेयस्कर होता।
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नरहट के मोहन सिंह का मानना है कि सांसद ने जो किया अच्छा किया। खनवां को गोद लेने से गांव का पूर्ण विकास होगा जिसका वह हकदार है।
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जागरण विचार
- प्रधानमंत्री के जिन उद्देश्यों को लेकर सांसद ने खनवां को गोद लिया उसपर उन्हें खड़ा उतरने की जरूरत है। बिजली, शौचालय,गरीबों को आवास, बेरोजगारों के हाथों को काम आदि देना होगा।
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सांसद की प्रतिक्रिया
-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अवधारणा को जमीन पर उतारने का प्रयास जारी है। पानी, सड़क, बिजली, नाली, गली के साथ समाज के अन्दर समरसता कायम करना प्राथमिकता है। इन सबसे अलग आर्थिक उन्नयन लोगों का हो इस दिशा में काम हो रहे हैं। एक हजार घरों को लक्ष्य बना कर उन घरों की महिलाओं को सोलर चरखा से जोड़ा जायेगा। और उन्हें इतनी सुविधा दी जायेगी कि 5-8 हजार रुपये तक की आमदनी घर में रहकर कर सकें। सांसद आदर्श ग्राम खनवां में स्वच्छता के तहत पेयजल और शौचालय भी उपलब्ध कराया जायेगा। 15 अगस्त 2015 तक खनवां में प्रधानमंत्री के अवधारणा को जमीन पर उतारेंगे।
गिरिराज सिंह, सांसद सह केंद्रीय राज्य मंत्री।
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एक नजर में गांव
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-कुल आबादी 5322
-पुरूष 2710
-महिला 2612
-पिछड़ी जाति 2903
-पिछड़ी जाति की महिलाएं 1447 -कुल मकान 817
-कच्चे मकान 600
- पक्के मकान 217