मासूम असगर की याद में आज सजेगी फूल की चौकी
जागरण संवाददाता, नवादा : इस्लामी आदर्शो को लेकर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और यजीद के बीच हु
जागरण संवाददाता, नवादा :
इस्लामी आदर्शो को लेकर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और यजीद के बीच हुए जंग के दौरान शहीद हुये छह माह के असगर की याद में शनिवार को फूल की चौकी सजाई जाएगी। पिछले कई सालों से पार नवादा मधुबन इमामबाड़ा में मुहर्रम की सातवीं तारीख को फूल की चौकी सजाई जाती है। इस दौरान मसीहा गाकर असगर की शहादत को याद किया जाता है और मातम मनाया जाता है। पिछले बीस साल से इस मौके पर मसीहा गाने वाले मो. सलाउद्दीन खां उर्फ सल्लू भाई बताते हैं कि अंग्रेज जमाने से ही मधुबन इमामबाड़ा में मुहर्रम के वक्त यह कार्यक्रम किया जाता है। इस मौके पर मुहर्रम की सातवीं तारीख को फूल की चौकी (ताजिए का छोटा रूप) बनायी जाती है। देर शाम से मसीहा गाने व मातम मनाने का कार्यक्रम होता है। इस दौरान मसीहा में कर्बला में हुई घटनाओं का मार्मिक जिक्र किया जाता है। जिसे सुन लोगों की आंखें नम हो जाती हैं। फूल की चौकी को इमामबाड़े का ढाई चक्कर पूरा करना होता है। जिसे पूरा करने में कई घंटे का वक्त गुजर जाता है। सल्लू भाई द्वारा गाये जाने वाले मसीहा को सुनने के लिए लोगों की काफी भीड़ जुटती है। मसीहा में कर्बला की घटनाओं को मार्मिक जिक्र सुन लोगों की आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं। ताजियादार समेत मुहल्ले के कई लोग तैयारी में जुटे हुए हैं। स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार अंग्रेज जमाने से ही इस स्थान पर फूल की चौकी का आयोजन किया जाता है। दूसरी ओर तन्ने पठान ने बताया कि मुहर्रम बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हसन-हुसैन आदर्शो के लिए परिवार सहित कुर्बान हो गए।