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कुपोषण से बचाव को सेविकाओं को प्रशिक्षण

By Edited By: Published: Tue, 02 Sep 2014 01:05 AM (IST)Updated: Tue, 02 Sep 2014 01:05 AM (IST)
कुपोषण से बचाव को सेविकाओं को प्रशिक्षण

जेएनएन, नवादा : बच्चों को कुपोषण से बचाव के लिए आंगनबाड़ी सेविकाओं को प्रशिक्षण देने का कार्य सोमवार से शुरू हुआ। सदर प्रखंड स्थित बाल विकास परियोजना कार्यालय में मिशन मानव विकास कुपोषण मुक्त बिहार बनाने के लिए आंगनबाड़ी सेविका का प्रशिक्षण प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर सीडीपीओ कंचन माला ने सेविकाओं को बताया कि सभी बच्चों में कम से कम पांच साल तक विकास करने की क्षमता एक जैसी होती है। अगर एक बच्चा कुपोषित है, इसका मतलब है कि उसका शरीर और मानसिक विकास कम हुआ है। उन्होंने कहा कि कुपोषित बच्चे रोग से लड़ नहीं पाते हैं। इसलिये बार बार वे बीमार पड़ जाते हैं और इससे उनके जान पर खतरा भी बढ़ जाता है। सीडीपीओ ने कहा कि बच्चों को खिलाने से पहले साबुन से अपने हाथ धोएं और साथ ही बच्चे का हाथ भी धुलाएं। गर्म भोजन खिलाएं तथा खाना में चावल दाल के साथ पौष्टिक भोजन मिलना चाहिए। इस अवसर पर मनीष कुमार, पूनम राज ने भी बाल कुपोषण के बारे में विस्तार पूर्वक से बताया। मौके पर रीता देवी, पुष्पा कुमारी, प्रियंका कुमारी, कुमारी मालती, परिणिता, दीप्ति कुमारी सहित कई सुपरवाइजरों व आंगनबाड़ी सेविका उपस्थित थी।

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रजौली में सीडीपीओ प्रेरणा कुमारी के नेतृत्व में 40-40 सेविकाओं का बैच बनाकर प्रशिक्षित करने का कार्य शुरू हुआ। केयर इंडिया के ब्लाक मैनेजर विजय सिंह, रौशन कुमार सिंह व परियोजना के प्रशिक्षित महिला पर्यवेक्षिका तथा बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के द्वारा सेविकाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मौके पर महिला पर्यवेक्षिका रागिनी अग्रवाल, सपना आर्या, पूनम रानी, शोभा कुमारी, पूनम कुमारी कार्यालय सहायक साकेत सिंह, एवं अवधेष प्रसाद आदि मौजूद थे।

नरहट में आयोजित प्रशिक्षण को संबोधित करते हुए डा. नितेश कुमार ने कहा कि बाल कुपोषण सभ्य समाज के लिए कलंक है। उन्होंने बताया कि गर्भवती-प्रसूति महिलाओं, बच्चों सहित समाज के सभी व्यक्ति को कुपोषण के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता जताई। कहा कि अगर बच्चे स्वस्थ होंगे तभी स्वस्थ समाज की परिकल्पना की जा सकती है। मौके पर पर्यवेक्षिका शोभा कुमारी तथा निर्मला कुमारी उपस्थित थीं।


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