कृषि को ले नए फार्मूले इजाद करें वैज्ञानिक : सिद्दिकी
राजगीर के अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेटर के सभागार में बिहार एवं झारखंड के भूगोल कार्यक्रम शुरू किया गया।
नालंदा। राजगीर के अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेटर के सभागार में बिहार एवं झारखंड के भूगोलविद विशेष एसोसिएशन का दो दिवसीय 18वां राष्ट्रीय सेमिनार सह वार्षिक अधिवेशन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन राज्य के वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी एवं एसोसिएशन के अध्यक्ष सह मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मो. इस्तेयाक ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर सिद्दिकी ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश रहा है बावजूद हम पिछड़े हैं। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में विविधता लाकर ही इसका विकास किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में उद्योग व शहरीकरण की होड़ में व्यक्ति कृषि क्षेत्र पर ध्यान नहीं दे रहा है। जिससे कृषि से जुडे लोगों की जीवनशैली प्रभावित हो रही है। इस तरह का सेमिनार किसानों के जीवन शैली में सुधार लाने का एक बेहतर प्रयास हो सकता है। उन्होंने कहा कि आज किसानों की जीवनशैली में गिरावट देखा जा रहा है। खेतिहर मजदूरों और गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वालों की संख्या बिहार सहित देश के अन्य राज्यों में भी बढ़ रहा है। यह एक गंभीर विषय है। आज लोग कृषि की तुलना उद्योग से करने में लगे हैं। परन्तु कृषि में उद्योग से कहीं ज्यादा मेहनत और रिस्क है। किसानों को बाढ़ और सुखाड़ तो झेलने ही पडती है। उन्हें कृषि उपकरण से लेकर खाद, बीज व कीटनाशक खुदरा दर पर खरीदना पडता है। वही उन्हें अपने फसल को थोक भाव में बेचना पडता है। किसानों के पास कोई विकल्प नहीं है। इसका एक वजह किसानों को बाजार उपलब्ध ना होना और बिहार में फूड प्रोसे¨सग प्लान्ट की कमी है। उन्होंने कहा कि आज बिहार में 75 प्रतिशत किसान के पास आधे एकड़ से कम भूमि रह गई है। उन्होंने भूगोलविदों कि ओर इशारा करते हुए कहा कि इस सेमिनार से ऐसा कुछ निकाला जाए जो किसानों के हित में हो और जिसे सरकार व किसान एम्पि्लमेंट कर सके। उन्होंने कहा कि बिहार के किसान आज भी पारम्परिक खेती कर रहे है। जिसमें बदलाव लाने की आवश्यकता है।