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नीरा उत्पादन में राज्य में नालंदा अव्वल : डीएम

नालंदा। ताड़ के रस पर किए गए वैज्ञानिकों के अनुसंधान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह रस फायदेमंद गुणों

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 May 2017 06:06 PM (IST)Updated: Mon, 22 May 2017 06:06 PM (IST)
नीरा उत्पादन में राज्य में नालंदा अव्वल : डीएम
नीरा उत्पादन में राज्य में नालंदा अव्वल : डीएम

नालंदा। ताड़ के रस पर किए गए वैज्ञानिकों के अनुसंधान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह रस फायदेमंद गुणों की खान है। उम्र के सभी पड़ाव के लोगों के लिए ताड़ी की प्रोसे¨सग कर बनाए गए नीरा चाहे बच्चे हो या बड़े हर वर्ग के लिए फायदेमंद साबित होता है। नीरा की उपयोगिता को देखते हुए इसको कई प्रकार के मौसमी फलों के फ्लेवर में बाजार में जीविका के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा है। ये बातें सोमवार को जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने समाहरणालय परिसर बाहर स्थित नीरा बिक्री केंद्र के उद्घाटन के मौके पर कही। उन्होंने कहा कि ताड़ी की तुलना में इस व्यवसाय से जुड़ने के बाद पासी समाज की आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हुई है, उनकी आमदनी बढ़ी है तो सामाजिक प्रतिष्ठा में भी इजाफा हुआ है। उन्होंने बताया की नीरा बिक्री केंद्र व सुधा काउंटरों पर नीरा से बनाए गए पेड़ा, गुलाब जामुन आदि भी बेचा जा रहा है जिसे आम लोगों के द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है। डीएम ने बताया कि राज्य में अभी 22 हजार लीटर नीरा तैयार किया जा रहा है जिसमें अकेले नालंदा जिले में 12 हजार लीटर नीरा तैयार किया ता रहा है। नीरा उत्पादन में राज्य में अव्वल स्थान पर है। डीएम ने कहा कि नीरा की क्वालिटी तथा उसकी ताजापन प्रति घंटे के अंतराल में जांचा जा रहा है। उन्होंने बताया कि स्टॉल खुलने के मात्र 45 मिनट में 25 लीटर नीरा, चार किलोग्राम पेड़ा तथा 3 किलोग्राम गुलाब जामुन की बिक्री हो गई। जिलाधिकारी ने बताया कि जिले में 62 जगहों पर नीरा छोटी दुकानों व आइस ठेला के माध्यम से प्रतिदिन 10,000 लीटर नीरा लीची, आरेंज तथा मैंगों के स्वाद वाले नीरा की बिक्री हो रही है। जीविका दीदी गांव के स्तर पर इंसुलेटेड जार एवं आइस बॉक्स में रखकर भी पांच से 6,000 लीटर नीरा प्रतिदिन बेच रही हैं। इस तरह पूरे जिले में प्रतिदिन डीएम ने बताया कि बिक्री के बाद भी जो नीरा शेष बच जाता है उसको बाजार समिति स्थित नीरा प्रोसे¨सग प्लांट के सुपुर्द कर दिया जाता है। वहां पर उस नीरा से तरह-तरह के उत्पाद बनाए जा रहे है। सबसे अधिक नीरा का उत्पादन नूरसराय रहुई, सिलाव इस्लामपुर गिरियक एवं राजगीर प्रखंडों में हो रही है। नीरा के व्यवसाय से जुड़ने के बाद पासी समुदाय के लोगों की प्रतिष्ठा एवं उनके माली हालत में काफी सुधार हुआ है तथा उसका जीवन अपेक्षाकृत खुशहाल बना है। इस उद्घाटन के अवसर पर डीपीएम जीविका डा.संतोष कुमार एवं जीविका से जुड़े अन्य अधिकारी एवं कर्मी उपस्थित थे।


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