शराबबंदी कानून रद : कहीं खुशी, कहीं गम
नालंदा। हाईकोर्ट द्वारा बिहार में शराबबंदी कानून को रद करने से जिले में कहीं खुशी का
नालंदा। हाईकोर्ट द्वारा बिहार में शराबबंदी कानून को रद करने से जिले में कहीं खुशी का तो कहीं गम का माहौल देखा गया। अधिकांश लोगों का कहना है कि शराबबंदी लागू होने पर किसी को एतराज नहीं था पर जिस तरह से नए कानून बनाए गए थे यह कहीं से उचित नहीं था। इससे निर्दोष भी बली का बकरा बन रहे थे। अधिकांश लोगों ने कहा कि सरकार ने देसी शराब की बिक्री पर रोक लगाकर विदेशी शराब की दुकानों को भी अचानक बंद कर सभी की रोजी-रोटी को खत्म कर दिया। शराबबंदी के कारण बड़े-बड़े होटल, ढाबा व बीयर बार बंद हो गए थे। इस कारण वहां काम करने वालों के परिवार के समक्ष भरण-पोषण की समस्या उत्पन्न हो गई थी। इस संदर्भ में जब लोगों की प्रतिक्रिया ली गई थी देखें उन्होंने क्या कहा इधर शराबबंदी कानून को रद करने की घोषणा होते ही बंद पड़े दुकानों की साफ-सफाई शुरू कर दी गई है।
कागजी मोहल्ला निवासी मिथलेश कुमार मिट्ठू का कहना है कि हाईकोर्ट का फैसला सर्वमान्य है लेकिन शराबबंदी होने से काफी लोगों को फायदा हुआ था। कई घर उजड़ने से बच गए। हालांकि शराबबंदी कानून पर सभी लोगों को नाराजगी थी।
राजेश कुमार उर्फ राजू ने बताया कि हाईकोर्ट का यह निर्णय अव्यवहारिक है। शराबबंदी बिहार में सफल होने जा रहा था लेकिन हाईकोर्ट के इस आदेश से शराब के खिलाफ चलाए जा रहे मुहिम को काफी झटका लगा है।
व्यवसायी महेन्द्र कुमार बॉलीपर निवासी का कहना है कि शराबबंदी का फैसला राज्य सरकार का सराहनीय कदम था। इससे कई घर उजड़ने से बच गए थे। यदि फिर से शराब की दुकानें चालू हुई तो दोबारा अराजकता का माहौल कायम हो जाएगा। इसलिए कोर्ट का निर्णय समझ से परे हैं।
पंकज कुमार का कहना है कि हाईकोर्ट का फैसला सही है। शराबबंदी के मामले में इस तरह के कानून से ऐसा लग रहा था जैसे फिर से अंग्रेज का राज कायम हो गया है। नए शराब बंदी लागू होने से विरोधियों को गलत तरीके से फंसाने का फंडा मिल गया था।
गृहिणी बेवी देवी ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला सुनने के बाद काफी निराशा हुई। कल तक महिलाएं इस बात से खुशी थी कि अब शराब के कारण उनके घर में किसी तरह का कलह नहीं होता है। अब कोर्ट के इस फैसले ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया है।
टिकुली निवासी दिलीप कुमार का कहना है कि शराबबंदी के लिए जो कानून लागू किए गए थे इससे आम व खास सभी को तकलीफ हुई थी। इस कानून के तहत किसी भी शख्स को किसी समय भी आसानी से फंसाया जा सकता था। कोर्ट ने यह फैसला काफी लोकहित को ध्यान में रखने के लिए किया गया है।
गृहिणी निर्मला देवी कहती हैं कि हाईकोर्ट के इस फैसले से वे काफी नाराज हैं। शराबबंदी कानून का फैसला सही था। लेकिन इस कानून में संशोधन की जरूरत थी ताकि निर्दोष लोगों को फंसाया नहीं जा सके।
शिक्षिका ¨पकी कुमारी का कहना है कि अप्रैल में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा के बाद महिलाएं काफी खुश थीं। लेकिन अचानक कोर्ट के इस फैसले पर महिला वर्ग में काफी नाराजगी है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून में संशोधन की जरूरत पर जोर देना चाहिए था।
गढ़ पर निवासी संतोष कुमार का कहना है कि शराबबंदी से हमें कोई नाराजगी नहीं थी लेकिन शराबबंदी के नए कानून लागू होने से हर वर्ग के लोगों में उहापोह की स्थिति बनी थी। हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं कोई दुश्मनी के वजह से शराब की एकाध बोतल भी घर के किसी कोने में रखकर सभी को फंसा न दें। इसलिए इस शराबबंदी कानून कहीं से सराहनीय नहीं कहा जाएगा। हाईकोर्ट का यह फैसला सर्वमान्य है।
गृहिणी प्रिया कुमारी कहती हैं कि शराबबंदी कानून सरकार का बेहतर प्रयास था लेकिन इस कानून के दायरे में हम सभी लोगों के बीच खतरे की घंटी बज रही थी। हमेशा मन में यह डर बना रहता है कि कहीं शराब की एक बोतल घर में किसी ने रख दी और इसकी सूचना पुलिस को दे दी तो परिवार के सभी सदस्यों को जेल जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि शराबबंदी का प्रयास बेहतर था पर इसके कानून में संशोधन करने की जरूरत थी।