अशिक्षा और अंधविश्वास के कारण गांव का नहीं हो रहा विकास
कहीं भी जाए सूरतेहाल एक जैसा है। स्वास्थ्य बदहाल, शिक्षा नदारद, सड़कें बेहाल। इसके लिए कोई सरकार को
कहीं भी जाए सूरतेहाल एक जैसा है। स्वास्थ्य बदहाल, शिक्षा नदारद, सड़कें बेहाल। इसके लिए कोई सरकार को दोषी ठहराता है तो कोई अधिकारी को। लेकिन सच तो यह है कि इन तमाम परेशानियों की वजह हमारी खुद की लापरवाही और सक्रियता की कमी है। हम यह अक्सर भूल बैठते हैं कि गंदगी कोई सरकार नहीं बल्कि हम खुद फैलाते हैं। अगर हम थोड़े सचेत हो जाए तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी पृथ्वी स्वर्ग बन जाए। छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर हम स्वस्थ और खुश रह सकते हैं। सरकार खुले में शौच मुक्त भारत बनाने के लिए कटिबद्ध है। लेकिन हम अपनी आदते छोड़ने को तैयार नहीं। अब जब हमारी सोच ऐसी होगी तो हम स्वस्थ रहने की बाते भला कैसे कर सकते हैं। सब कुछ सामान्य होने के लिए हमें खुद की आदतों में बदलाव लाना होगा।
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जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ : सुबह ही हमारा कारवां दरूआरा पंचायत की ओर निकल पड़ा। डगर मुश्किल नहीं था लेकिन शिकायतें बहुत थी। हमारे साथ शिक्षाविद और चिकित्सक भी थे। जो समाज की नब्ज टटोल रहे थे। इस पंचायत में विद्यालय, पीएचसी सब कुछ थे लेकिन संचालक नहीं थे। पूछने पर पता चला कि विद्यालयों में अक्सर शिक्षकों की कमी रहती है। क्लास भी सही ढंग से नहीं चलता। कुछ ऐसा ही हाल स्वास्थ्य का था। पीएचसी में किसी ने भी आज तक चिकित्सक को नहीं देखा। जब हालत ऐसे हो तो भला स्वास्थ्य की बातें कैसे की जा सकती है।
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डाले एक नजर अपने पंचायत पर :
- पंचायत : दरूआरा
- जनसंख्या 10071
- गांव की कुल संख्या : 9
- आंगनबाड़ी केन्द्र : 8
- विद्यालय : 1 मध्य विद्यालय का जर्जर भवन
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सुने चिकित्सक की :
जागरण के इस कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए शहर के जाने-माने शल्य चिकित्सक डॉ. बालमुकंद ने कहा कि गांवों के विकास पर ही हमारे शहरों का विकास टिका है। जब गांवों में खुशहाली आएगी तो पूरा देश स्वत: खुशी से झूम उठेगा । उन्होंने कहा सरकार के अलावा गांवों में विकास लाने की जिम्मेवारी हर उपक्रम की है चाहे वो सरकारी हो या गैर सरकारी। उन्होंने स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि छोटी-छोटी आदतें डालकर हम स्वस्थ रह सकते हैं। उनमें से हाथों की सफाई तथा स्वच्छ जल का प्रयोग महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि खुले में शौच मुक्त भारत बनाने के लिए हमारी जागरूकता महत्वपूर्ण है। खुले में शौच करना न केवल हमारे स्वास्थ्य को बाधित करता है बल्कि यह हमारे सम्मान पर भी बड़ा आघात है।
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शिक्षाविद ने कहा :
ड्रीम क्लासेस के निदेशक तथा शहर के जाने-माने शिक्षाविद डॉ. शशिभूषण प्रसाद ने कहा कि बच्चों की क्षमता का आंकलन हम काफी देर से करते हैं। चौदह वर्ष की उम्र में हमें बच्चों के राह का चयन हर हाल में कर लेना चाहिए। लेकिन हम उसके भविष्य के बारे में निर्णय लेते-लेते एक लंबा समय गुजार देते हैं फलत: जीवन सजाने की जगह बिखरने लगता है। उन्होंने कहा कि बैंक, एसएससी, रेलवे आदि में भी जीवन संवारने की अपार संभावनाएं हैं। इसके लिए सही मार्ग दर्शन की जरूरत है।
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मुखिया ने कहा
दस हजार से उपर की आबादी वाले दरूआरा पंचायत के लोगों की हर समस्या का समाधान तलाश्ने वाले मुखिया उपेन्द्र मिस्त्री को राजनैतिक अनुभव के साथ शैक्षणिक दुनिया का भी खासा अनुभव है। अध्यापक से अवकाश प्राप्त करने वाले मुखिया जी ने गांव के कई उतार चढ़ाव को देखा है। वे कहते हैं कि आज गांवों से बड़े पैमाने पर लोगों का पलायन हो रहा है। जिसका कारण किसी से छुपा नहीं है। यहां संसाधन का अभी भी घोर अभाव है। पर्यावरण की ¨चता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के जीवन के लिए कम से कम चार वृक्षों की आवश्यकता है लेकिन यहां मात्र एक व्यक्ति पर केवल एक पौधा है। -------------------------------------------------------------------------------------------------------------
पूर्व मुखिया के ¨बदास बोल :
पूर्व मुखिया शैलेन्द्र गराय कहते है सरकार की योजनाओं का इतना डंका बज रहा है लेकिन न सात निश्चय योजना की धमक पहुंची है न खुले में शौच मुक्त भारत निर्माण की बातें। शुद्ध पेयजल के लिए आज भी हाहाकार मचा है। सरकार की योजनाएं भ्रष्टाचार के कारण नहीं फल-फूल पाती है।
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ग्रामीणों ने कहा :
फोटो : 1
शिशुपाल पासवान जागरण के इस कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि जागरण चले गांव की ओर कार्यक्रम से गांवों के लोगों में जागरूकता आएगी। उन्होंने कहा कि गांव में संसाधन की जोरदार कमी हे। इस कारण गांवों से लोगों का पलायन हो रहा है। युवकों के पलायन को रोकने के लिए यहां बड़ी संस्थाएं खोलनी होगी तथा रोजगार के अवसर उत्पन्न करना होगा।
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फोटो : 2
राजेश कुमार कहते हैं कि गांव तो समस्याओं का बसेरा बन चुका है। शिक्षा की हालत दुरूस्त नहीं है। मध्य विद्यालय का भवन ऐसा कि कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है। लेकिन सरकार खामोश है।
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फोटो :3
संतोष कुमार कहते हैं कि गांव के विकास की कोई भी योजना पूरी तरह से गांव तक नहीं पहुंच पाती जिससे गांव के विकास की गति धीमी पड़ जाती है।
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फोटो : 4
¨पटू कुमार दास कहते हैं कि वृद्ध पेंशन तथा बीपीएल परिवार के लोगों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। इसके लिए अधिकारी बातें पहुंचाई गई लेकिन कोई फायदा नहीं हो सका।
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फोटो : 5
निरंजन कहते हैं कि पीएचसी में चिकित्सक का कभी भी दर्शन नहीं हुआ। सेविकाएं भी समय पर नहीं आती।
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फोटो : 6
गोलू कुमार कहते हैं कि सात निश्चय की कितनी बातें हो रही पर यह गांवों तक नहीं पहुंच सकी।
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फोटो : 7
सदन कुमार कहते हैं कि गांवों की सड़कें खराब है कई जगह जल जमाव हे लेकिन सरकार को इसकी फिक्र नहीं।
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फोटो : 8
रामानंद प्रसाद कहते हैं कि गांव में आधी आबादी दलितों की है लेकिन सुविधाएं नगण्य है। विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा के लिए शहर की ओर रूख करना पड़ रहा है।
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फोटो : 9
नीलम संजीव रेड्डी कहते हैं कि सरकार गांवों को उपेक्षा की ²ष्टि से देखती है। शहरों की अपेक्षा गांवों में सुविधाओं का अभाव है। भंडारण की कमी के कारण किसान के अधिकांश फसल यूं ही नष्ट हो जाते हैं। इस पर विचार करने की जरूरत है।
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फोटो : 10
राम कृष्ण प्रसाद वर्मा कहते हैं कि गांव की शिक्षा की ओर किसी का ध्यान नहीं है। गांवों में प्रतिभा काफी है लेकिन उचित प्रोत्साहन के आभाव में वह दम तोड़ देती है।