..गर्मी आई भी नहीं और महाराज गायब
नालंदा। सुप्रभात बाबा। सुप्रभात बच्चा। इ का बाबा। बड़े परेशान लग रहे हैं। अरे बच्चा यहां कुछ
नालंदा। सुप्रभात बाबा। सुप्रभात बच्चा। इ का बाबा। बड़े परेशान लग रहे हैं। अरे बच्चा यहां कुछ बोलने लिखने से कुछ फायदा नहीं। न कोई सुनने वाला न समझने वाला। बड़बोलापन से ही यहां सब कुछ चल रहा है। घर-घर तक सात निश्चय पहुंचाने की बात हो रही है, लेकिन यहां तो बिजली ही गायब जब देखो गायब। लग रहा है मानो आदम जमाना लौट आया हो। अधिकारी बोलते बिजली कम आ रही है। लेकिन इतना बोल देना ही काफी है का। अभी गर्मी का आगाज भी नहीं हुआ और स्थिति विषम बन गई। ठीक कहते हैं बाबा मैंने भी बिजली विभाग के अधिकारी से अपने इलाके में पोल लगाने का आवेदन दिया। बेचारे अपने अधीनस्थ अधिकारियों को कहते थक गए , लेकिन कुछ नहीं हुआ। अभी भी तार सड़क पर झूल रही है। शायद किसी की मौत का इंतजार विभाग को हो। जब तक कोई बड़ी घटना घटती नहीं विभाग जागता ही नहीं। मुझे तो कभी कभी लगता है। सब बेपरबाह हैं। जनता की ¨चता किसी को नहीं। अपनी जिम्मेदारी से भागना चाहते हैं। सरकार कहती है कि बिजली पर्याप्त है विभाग कहता है बिजली ही नहीं। आखिर किसकी बात मानूं । विभाग सिर्फ जनता को परेशान करना जानती है। जब चाहे रेड मार दिए। किसी न किसी ऐंगल में जनता फंस ही जाती है। मैं तो देखता हूं बाबा जब बिजली आंख मिचौनी करनी बंद कर दे तो समझ ले उस क्षेत्र के लिए अच्छी खबर नहीं है। कभी भी परेशान करने को उड़न दस्ता आ सकता है। ठीक कहते हैं बाबा अब तो बिजली भी परेशानी का सबब बनता जा रहा है। छोड़े बाबा इ मच्छर को देखें। कितना बढ़ गया है। शाम होते ही इसका डंक तबाह करने लगता है। निगम भी बेचारी क्या करे ? कितनी चीजों को खत्म करे। मच्छर है वो तो बढ़ेगा ही। इसमें निगम का क्या दोष ? फॉ¨गग तो और भी परेशान करती है। मच्छर से शायद तो वह मानव को तबाह करती है। वो तो निगम का शुक्र मनाएं कि फा¨गग शहर में बंद कर दिया गया। अन्यथा स्वास्थ्य और भी बुरी स्थिति में होती।