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अधिवक्ताओं का प्रतिरोध मार्च, विरोध के साथ किया पुतला दहन

नालंदा। जिला अधिवक्ता संघ ने सैकड़ों सदस्यों के साथ अध्यक्ष प्रभार कुमार रूखैयार की अध्यक्षता तथा सचि

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Apr 2017 03:03 AM (IST)Updated: Sat, 22 Apr 2017 03:03 AM (IST)
अधिवक्ताओं का प्रतिरोध मार्च, विरोध के साथ किया पुतला दहन
अधिवक्ताओं का प्रतिरोध मार्च, विरोध के साथ किया पुतला दहन

नालंदा। जिला अधिवक्ता संघ ने सैकड़ों सदस्यों के साथ अध्यक्ष प्रभार कुमार रूखैयार की अध्यक्षता तथा सचिव दिनेश कुमार के संचालन में अधिवक्ता अधिनियम 1961 में प्रस्तावित संशोधन विधेयक 2017 के अनुशंसा के विरोध में प्रतिरोध मार्च निकाला। विधिक आयोग द्वारा अनुशंसित इस विधेयक की वापसी के लिए अधिवक्ता पूरे देश में अधिवक्ता हर संभव प्रयास करने का तैयार है। इस विधेयक को अधिवक्ता काला बिल करार दे रहे हैं। यह प्रतिरोध मार्च अधिवक्ता संघ परिसर से शुरू होकर स्थानीय अस्पताल मोड़ पर विधि आयोग अध्यक्ष का पुतला तथा का बिल की प्रतियों का दहन करते हुए डीएम कार्यालय पहुंच जहां पीएम, विधि मंत्री व जिला सांसद को प्रेषित करने के लिए स्मार पत्र सौंपा। इस मौके पर सचिव दिनेश कुमार ने कहा कि यह अनुशंसा असंवैधानिक अलोकतांत्रिक, जन विरोधी एवं अधिवक्ता विरोधी है। पूर्व उपाध्यक्ष डा. अरूण कुमार तथा सैयद इफ्तियार अहमद व सरफराज मल्लिक ने विचार व्यक्त किया कि भ्रष्ट न्यायाधीशों तथा न्यायिक पदाधिकारियों के अन्याय और मनमानी कार्रवाई के विरूद्ध आवाज बुलंद करने में यह विधेयक सहायक है। एक मामूली शिकायत पर अधिवक्ताओं के लाइसेंस रद्द करने की शक्ति प्रदान करने वाले विधेयक को केन्द्र सरकार को अस्वीकार कर देना चाहिए। अधिवक्ताओं के मांग और अधिकार शक्ति छीनने वाला यह काला विधेयक है। वहीं तत्कालीन एपीपी व संयुक्त सचिव विनोद कुमार तथा उमेश कुमार निराला ने कहा कि इसके जरिए अधिवक्ताओं पर सर्विस टैक्स लगाने के साथ ही उपभोक्ता न्यायालय के अंतर्गत भी लाया जाएगा। जिससे अंतत: नुकसान पक्षकार को ही उठाना होगा। तथा इसे वापस नहीं लिया गया तो अधिवक्ता किसी भी हद तक जा सकते हैं। अधिवक्ता मनोज कुमार ¨सह, मो. इम्तिया, अमरेन्द्र पासवान आदि ने भी इसी प्रकार से विचार व्यक्त किया।


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