विश्व शांति को ले पद यात्रा
नालंदा । नव नालंदा महाविहार नालंदा और महाबोधी मंदिर बोधगया के सौजन्य से कार्तिक पूर्णिमा के
नालंदा । नव नालंदा महाविहार नालंदा और महाबोधी मंदिर बोधगया के सौजन्य से कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार को छठा सारीपुत्र विश्व शांति पद यात्रा निकाली गई। इस यात्रा में शामिल लोग महा विहार से चलकर उनके जन्मस्थली घोडा-कटोरा राजगीर गिरीयक तक गए। उक्त कार्यक्रम का शुभारंभ बौद्ध भिक्षुओं के सम्माधिष्ठ सुत के मंगल पाठ से किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय दरभंगा के प्राध्यापक राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि भगवान बुद्ध के शिष्यों में सारीपुत्र का स्थान सर्वोपरि था। धर्म सेनापती सारीपुत्र बौद्ध धर्माकाश का वृहस्पति की संज्ञा से विभूषित किया गया है। बुद्धकालीन संघ मे कुछेक भिक्षुओं को देशना देने का अधिकार प्राप्त था। उनमें सारीपुत्र श्रेष्ठ थे। सारीपुत्र को गुजरे एक जमाना हो गया। वे अपने कर्तव्य पर चलकर बुद्ध की बानी को जन-जन तक पहुंचाने में सफल रहे थे। लेकिन आज वो समय नहीं है। गुरू शिष्य का रिश्ता आज पहले वाला नहीं रहा। इस अवसर पर डा. विश्वजीत कुमार ने कहा कि सारीपुत्र के जन्म स्थल को लेकर आज भी संशय बना है। इस विषय पर महाविहार को सेमीनार आयोजित कर चर्चा करानी चाहिए ताकि सारीपुत्र के जन्म स्थली पर से पर्दा हटे। इस अवसर पर डा. रूबी कुमारी, डा. दीपंकर लामा, अमित कुमार पासवान आदि ने सभा को संबोधित किया।