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पुत्र की दीघार्यु को माताओं ने रखा निर्जला जितिया व्रत

नालंदा। संतान की दीघार्यु व उनके सुख समृद्धि के लिए सोमवार को माताओं ने निर्जला जितिया व्रत रखा।

By Edited By: Published: Mon, 05 Oct 2015 07:58 PM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2015 07:58 PM (IST)
पुत्र की दीघार्यु को माताओं ने रखा निर्जला जितिया व्रत

नालंदा। संतान की दीघार्यु व उनके सुख समृद्धि के लिए सोमवार को माताओं ने निर्जला जितिया व्रत रखा। इसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है। आश्विन कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को यह व्रत करने की परंपरा है। इस वर्ष अष्टमी तिथि का प्रवेश हृषीकेष पांचांग के अनुसार है। मान्यता है कि द्रौपदी ने धौम्य ऋषि के कहने पर यह व्रत किया था। इसमें कुश की आकृति बाकर व्रती उसकी पूजा करती हैं। चील-सियार की पूजा भी की जाती है। क्योंकि जितिया की कथा में वर्णन आया है। महिलाएं जितिया का लाल व पीला धागा अपने शरीर में धारण करती हैं। इनमें सोने व चांदी का जितिया भी परोया जाता है। आज के दिन माताएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर अपने पुत्र की दीघार्यु की कामना करती है। मंगलवार की सुबह माताएं स्नान ध्यान कर पूरी विधि विधान के साथ अकुड़ी-भात खाकर व्रत तोड़ती है। इधर पर्व को लेकर बाजारों में पोय का पत्ता, गोलवा साग, कंदा, झिगनी आदि की खरीदारी को लेकर लोगों की भीड़ उमड़ी रही। आज बाजारों में झिगनी 80 रुपये किलो के भाव से बेची गई। इन सामानों की खरीदारी में गृहणियों को अपनी जेब ढ़ीली करनी पड़ी।

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