उपभोक्ताओं की परेशानियों से बेफिक्र विद्युत विभाग
जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ : नित नये अनुभवहीन छात्रनुमा रीडरों को मीटर पठन का कार्य सौंपकर विद्युत विभाग उपभोक्ताओं के लिए परेशानी पैदा कर रहा है। जहां मीटर दस हजार यूनिट से ज्यादा है वहां से रीडर दस हजार केअंक को छोड़ सौ का ही रीडिंग दर्ज कर विभाग को सौंप रहे हैं। यही रीडिंग कम्प्यूटर में जाकर तीन सौ के बजाय पचपन हजार भुगतान बिल निर्गत कर रहा है। रीडरों के क्षेत्र महीनों में ही परिवर्तित हो जाने से गड़बड़ी ज्यादा बढ़ी है। जहां विद्युत विभाग के नियमावली में बड़े बड़े बदलाव के दावे किये गये हैं और 24 घंटे के भीतर जले हुए ट्रांसफार्मर बदलने का प्रावधान किया गया है। वहीं इन गलत बिलों के सुधार के लिए बड़ी बड़ी प्रक्रियाएं बनाई गई है। त्रुटिपूर्ण बिलों को सुधार के लिए बिजली आफिस के चक्कर लगाते रहे लेकिन सुनवाई कब होगी इसकी कोई गारंटी नहीं है। यही कारण है कि उपभोक्ता न्यायालय में बिलों से संबंधित मुकदमें बढ़ रहे हैं। जबकि कार्यालय के बिल का साक्ष्य स्वयं विभाग के लिए विश्वसनीय नहीं होता है और बिल सुधार की लंबी प्रक्रिया की जाती है। इन परेशानियों का निदान शीघ्र न कर कम्प्यूटर के सामने नतमस्तक हैं। जबकि प्रत्येक उपभोक्ता का अकाउंट न. कम्प्यूटर में दर्ज है। ऐसा लगता है कि कम्प्यूटर ने कर्मचारियों के ज्ञान व दृष्टि को शून्य कर दिया है। यही वजह है कि प्रत्येक माह त्रुटि पूर्ण विद्युत विपत्रों में सुधार के लिए उपभोक्ता न्यायालय में कई मुकदमें दायर होते हैं।